जलवायु शिक्षा बच्चों को स्कूल से ही प्रदान की जानी चाहिए      Publish Date : 30/05/2025

जलवायु शिक्षा बच्चों को स्कूल से ही प्रदान की जानी चाहिए

                                                                                                                                                        प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

बच्चों को स्कूल में ही दी जाए जलवायु शिक्षा, तभी आएगा व्यापक बदलाव। अपने ग्रह घरती को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए किए जा रहे सभी प्रयास तभी पूरी तरह से सफल हो सकते हैं जब प्रत्येक व्यक्ति की इसमें सक्रिय रूप से भागीदारी सुनिश्चित् हो। इसके लिए जलवायु शिक्षा को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करके, युवाओं को इसके प्रति जागरूक बनाया जा सकता है और इससे सकारात्मक बदलाव भी निश्चित रूप से आएगा।

पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में किया गया कोई भी कार्य मानवता के सामूहिक कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, क्योंकि हम ग्रह के पाकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर हैं। हम अपने कार्बन फुटप्रिंट कम करने में प्रभावी रूप से कैसे योगदान दे सकते हैं?

इस प्रयास का आधार इस बात की समझ में निहित है कि मानवीय गतिविधियां जलवायु परिवर्तन को किस प्रकार से प्रभावित करती हैं और जलवायु परिवर्तन समाज पर किस तरह के असर डालता है। ऐसे में जरूरी है कि जलवायु शिक्षा को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। इसका मकसद कम उम्र से ही युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की भावना विकसित करना है। इसके अलावा, शिक्षा पर्यावरणीय कार्रवाई के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है।

                                                         

अर्थ एक्शन डे जैसे स्मारक कार्यक्रम जलवायु विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और मानव स्वास्थ्य पर प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों सहित महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ने के लिए अमूल्य अवसर प्रदान करते हैं। हमारे सलाहकार और भारत के सौर पुरुष प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी द्वारा तैयार किए गए ऊर्जा साक्षरता पाठ्यक्रम को अपनाकर ऊर्जा साक्षरता को बढ़ावा दिया जा सकता है। सरकार के पास इमारतों, उपकरणों और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए कठोर ऊर्जा दक्षता मानकों को लागू करने के लिए नीतियों और नियमों को लागू करने का अधिकार सुरक्षित है।

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके इस पहल को और आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का विस्तार इस प्रयास की समय प्रभावशीलता में योगदान देगा।

उद्योग जगत मानता है कि मुनाफा बढ़ाने में ऊर्जा संरक्षण महत्वपूर्ण है। उन्हें न केवल बेहतर प्रथाओं को अपनाने में बल्कि स्कोप 2 और स्कोप 3 उत्सर्जन से संबंधित उनकी पहलों में भी सरकार का समर्थन मिलना चाहिए। उपकरणों के लिए स्टार रेटिंग के महत्व के बारे में उपभोक्ताओं की शिक्षित किया जा सकता है, जिससे वे ऊर्जा कुशल विकल्पों का चयन करने में सक्षम होंगे, जैसे कि ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) द्वारा रेट किए गए विकल्प।

                                                          

इसके अतिरिक्त, उन्हें अप्रयुक्त उपकरणों को बंद करने, एलईडी लाइटिंग में बदलाव करने और अपने एयर कंडीशनिंग इकाइयों का तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रखने जैसी आदतों के माध्यम से अपने उपयोगिता बिलों को कम करने की रणनीति प्रदान की जानी चाहिए। सरकार ग्रिड पर निर्भरता कम करने के लिए सौर पैनल लगाने के लिए पहले से ही प्रोत्साहन दे रही है। अतः उपभोक्ताओं को इन योजनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

जमीनी स्तर पर गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और नागरिक समाज संगठन ग्रामीण समुदायों विशेष रूप से किसानों के बीच, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा कर सकते हैं। धार्मिक संगठनों की भी इसमें अहम भूमिका है शिरडी में श्री साईं बाबा के मंदिर जैसे बड़े मंदिर प्रतिदिन 25,000 से 55,000 आगंतुकों की सेवा के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।