मिलावट का कहरः सरसों का एक दान भी नहीं फिर भी तेल तैयार      Publish Date : 21/05/2025

मिलावट का कहरः सरसों का एक दान भी नहीं फिर भी तेल तैयार

                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

मुनाफा कमाने की इस अंधी दौड़ में आज का मानव कितना गिर चुका है यह इसका एक उदाहरण मात्र ही है कि सरसों का एक दाना भी प्रयोग नहीं किया गया और सरसों का खाद्य तेल बनाकर तैयार कर लिया गया। सरसों के तेल के नाम पर पाम ऑयल धडल्ले से बेचा जा रहा है। प्रतिबन्धित सिन्थेटिक रंग मिलाकर इसे सरसो के तेल का रंग प्रदान कर दिया जाता है। गंध के लिए भी इस तेल में एक विशेष प्रकार की गंध को मिला दिया जाता है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की जांच रिपोर्ट में तथ्य उजागर हुआ है।

इस मिलावटी तेल और इससे बनाए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से फूड पॉयजनिंग के अतिरिक्त दिल, लिवर, दिमाग एवं गुर्दे आदि शरीर के महत्वपूर्ण अंग भी डेमेज हो सकते हैं।

                                                    

59 प्रतिशत नमूने हुए फेलः

वित्तीय वर्ष 2024-25 में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के द्वारा सरसों के तेल मेरठ जिले से 22 नमूने लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए थे। इन नमूनों की जांच रिपोर्ट चौंकाने वाली रही है, और 22 में से 13 नमूने फेल पाए गए हैं। इनमें से एक नमूना अनसेफ, नौ नमूने अधोमान और तीन नमूने मिस ब्रांड पाए गए हैं।

अनसेफ नमूने में केमिकल रंग मेटानिल येलो और टाट्राजिन पाया गया गया है। यह रंग पॉम ऑयल को सरसों के तेल का रंग प्रदान करने के लिए लिाया गया था। पॉम ऑयल का रंग सफेद होता है और यह सरसों के तेल से सस्ता होता है।

अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए पॉम ऑयल को भूरा रंग प्रदान करने के लिए ये केमिकल रंग इसमें मिलाए जाते हैं, क्योंकि सरसों के तेल का रंग भूरा होता है। अधोमानक पाए गए नमूनों में सरसों के तेल में पॉम ऑयल की मिलावट की जा रही है और मिलावट का यह खेल धडल्ले से चल और फल-फूल रहा है।

मिलावट के विरूद्व खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यवाई शुरू

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने मिलावट के खिलफ छापेमारी की कार्यवाई शुरू कर दी है। सोमवार को दूध, सरसों का तेल, आइसक्रीम समेत करीब 10 खाद्य पदार्थों के नमूने लिए गए और इन नमूनों को परीक्षण हेतु लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आने के बाद अग्रिम कार्यवाई शुरू की जाएगी। अलग-अलग टीमों में छापेमारी के लिए गए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की छापेमारी की इस कार्यवाई से स्थानीय दुकानदारों में खलबली मच गई है।

                                                   

छापेमारी के दौरान इन टीमों ने मेरठ जिले के कंकरखेड़ा, परतापुर, सरधना और खैरनगर सहित विभिनन स्थानों पर कार्यवाई की गई। इन नमूनों में एक नमूना आइसक्रीम का कपूर इंटरप्राइजेज श्रद्वापुरी, कंकर खेड़ा, बंटी जूस कार्नर परतपुर, मिश्रित दूध का एक नमूना हंसवीर की दुकान सरधना तथा सरसों के तेल का एक नमूना कंकर खेड़ा स्थित आकर्ष ब्रांड से लिया गया है।

सरधना के बेगमाबाद स्थित प्राथमिक विद्यालय से मिड डे मील की ताहरी का सैंपल भी लिया गया है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी रवि शर्मा ने बताया कि छापेमारी की यह कार्यवाई अभी जारी रहेगी।

‘‘मिलावटी तेल में पाए जाने वाले केमिकल विषाक्त प्रभाव छोड़ते हैं। पॉम ऑयल में अधिक मात्रा में संतृप्त वसा होती है, जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है। इसका अत्याधिक सेवन करना मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और यह मोटापे का कारण भी बनता है।’’

                                                                                                                             - डॉ0 अरविंद कुमार, वरिष्ठ फिजिशियन, मेरठ।

‘‘खाद्य तेल शुद्व होना जरूरी है, चाहे फिर वह सरसों, जैतून, तिल का तेल हो या फिर देशी घी। पॉम ऑयल और रिफाइंड तेल रक्त वाहिकाओं में अधिक जमता है अतः अपने सामने निकाले गए सरसों के तेल का ही सेवन करें। 45 से 60 मिनट तक के व्यायाम करने से जमा हुआ फैट कम हो जाता है।’’

                                                                                                                       - डॉ0 विनीत बंसल, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, मेरठ। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।