पानी में घातक आर्सेनिक की पहचान के लिए नए सेंसर का विकास      Publish Date : 16/05/2025

पानी में घातक आर्सेनिक की पहचान के लिए नए सेंसर का विकास

                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

देश के ग्रामीण और दूर दराज के क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल की भारी कमी के बीच आईआईटी जोधपुर के विज्ञानियों ने एक बेहद उपयोगी नवाचार खोज निकाला है। संस्थान के द्वारा पानी में घुले घातक आर्सेनिक तत्व की पहचान के लिए एक किफायती, पोर्टेबल और सटीक सेंसर विकसित किया गया है, जो दूर-दराज के क्षेत्र में पानी की टेस्टिंग के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होगा।

इस सेंसर की सबसे खास बात यह है कि यह बिना किसी विशेषज्ञ टेक्नीशियन आर्सेनिक की मात्रा की पहचान आसानी से कर सकता है। इसे एक सर्किट बोर्ड और आडुइनो मॉड्यूल से जोड़ा गया है, जिससे यह रियल टाइम में आंकड़े संजोकर रख सकता है।

यह अपनी तरह का पहला ऐसा सेंसर है जो बिना किसी जटिल लैब उपकरणों या विशेषज्ञ या टेक्नीशियन की मदद के मौके पर ही सही और बार-बार दोहराए जा सकने वाले परिणाम देता है। यह तकनीक इंसान और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रहे आर्सेनिक से निपटने में मददगार साबित हो सकती है। प्रमुख शोधकर्ता डॉ महेश कुमार ने बताया कि इसका डिजाइन उपयोगकर्ता अनुकूल किया गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे आसानी से प्रयोग कर सके।

                                                                

अभी तक आर्सेनिक की जांच के लिए स्पेक्ट्रोस्कॉपी और इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीक का उपयोग होता रहा है, हालांकि यह बहुत महंगी और तकनीकी रूप से जटिल भी होती है। ऐसे में यह तकनीक के गरीब और दूर दराज के इलाकों के लिए व्यावहारिक नहीं है इसके लिए अब यह उपकरण काफी लाभकारी साबित होगा।

आर्सेनिक स्वास्थ्य के लिए होता है हानिकारक

अत्यंत विषैला रसायन आर्सेनिक बहुत कम मात्रा में भी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। आर्सेनिक से होने वाली स्वास्थ्यगत परेशानियों में त्वचा का कैंसर, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं और हृदय रोग आदि में प्रमुख हैं। भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा 10 पीसीबी से अधिक होने पर गंभीर रूप धारण कर सकती है।

कई देशों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर पर

जिओ साइंस फ्रंटियर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में 250 करोड लोग पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर है। इनमें से 108 देशों के भूजल स्रोतों में आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित स्तर से अधिक पायी गई है। भारत के 20 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में यह समस्या अब गंभीर रूप धारण कर चुकी है। उक्त अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में करीब 23 करोड लोग, जिनमें से 18 करोड़ एशिया में है, आर्सेनिक प्रदूषित पानी के कारण गंभीर जोखिम में है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।