
मिलावट पर कानून Publish Date : 27/04/2025
मिलावट पर कानून
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
खाद्य पदार्थों में मिलावट का विषय भौगोलिक एवं राजनीतिक सीमाओं से मर्यादित होता है, अतः अलग-अलग देशों में मिलावट की अलग-अलग परिभाषाएं हो सकती हैं। वर्ष 2006 तक भारत में खाद्य पदार्थों में मिलावट को प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्टरेशन एक्ट (पीफए) 1954 के साथ-साथ कई अन्य एक्ट व कानूनों के अंतर्गत देखा जाता रहा है। ज्ञात हो कि यह एक्ट 15 जून 1955 को लागू किया गया था। इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी और ठगी से बचाते हुए खाद्य पदार्थों की शुद्धता एवं समग्रता सुनिश्चित करना था। पीफए 1954 के अनुसार दवा और पानी के अलावा सभी खाने योग्य पदार्थ खाद्य की श्रेणी में आते थे। समय-समय पर आवश्यकतानुसार पीफए में अनेक परिवर्तन किये गए, परन्तु वर्ष 2006 में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए जिसमें खाद्य पदार्थों से सम्बन्धित सभी एक्टों व कानूनों को समाहित कर एक नया एक्ट बनाया गया जिसे फूड सेफ्टी एड स्टैण्डर्स एक्ट (फासा) 2006 के नाम से जाना जाता है।
खाद्य पदार्थों की साइंस पर आधारित मानक तैयार करने के उद्देश्य से इस एक्ट के अंतर्गत वर्ष 2010 में फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्स ऑधोरिटी ऑफ इंडिया (फसाई) का गठन किया गया जिसका मुख्य कार्य खाद्य पदार्थों के निर्माण, संसाधन, वितरण, बिक्री तथा आयात की नियमित तथा नियंत्रित करना है ताकि जनता को सुरक्षित तथा समग्र खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो सकें। फासा-2006 के अंतर्गत खाद्य पदार्थों से सम्बंधित पुराने सभी एक्टों, कानूनों, आदेशों तथा नियमों को फासा में समाहित कर उन्हें रह कर दिया गया है। एक्ट के लागू होने के बाद स्टेट फूड सेफ्टी ऑथोरिटी (सफा) तथा फसाई मिलकर प्रावधानों को लागू करते हैं। फसाई के निम्नलिखित कार्य हैं:-
- खाद्य पदार्थों के बारे में मानक तया दिशानिर्देश तैयार करने के लिए नियम बनाना तथा विभिन्न मानकों को लागू करने के लिए विशिष्ट प्रणाली निधर्धारित करना।
- खाद्य पदार्थों संबंधी व्यवसाय के लिए फूड सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम तथा प्रमाणीकरण में कार्यरत संगठनों के एक्रिडिटेन के लिए कार्य प्रणाली तथा दिशा निर्देश तैयार करना।
- प्रयोगशालाओं के एक्रिडिटेशन के लिए कार्यविधि तथा दिशानिर्देश तैयार करना तथा एकिडिटिड प्रयोगशालाओं की अधिसूचना जारी करना।
- परोक्ष पा अपरोक्ष रूप से फूड सेफ्टी तथा न्यूट्रीशन पर प्रभाव डालने वाले क्षेत्रों में पॉलिसी तथा नियम तैयार करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को वैज्ञानिक व तकनीकी सहायता देना।
- खाद्य पदार्थों के उपभोग, जैविक रिस्क की घटनाओं तथा प्रचलनों, खाद्य पदार्थोंको संक्रमित करने वाले पदार्थों, खाद्य पदार्थों में विभिन्न संक्रमणकारी पदार्थों के अवशेषों, उभरते खतरों की पहचान करना तथा त्वरित चेतावनी प्रणाली लागू करने पर आंकड़े एकत्रित करना।
- पूरे देश में सूचना तंत्र तैयार करना ताकि जनता, उपभोक्ता तथा पंचायत आदि को फूड सेफ्टी तथा सम्बन्धित मामलों की जानकारी भरोसेमंद तथा विशिष्ट रूप से शीघ्र पहुंचाई जा सके।
- खाद्य पदार्थों से सम्बन्धित व्यवसाय करने वाले या करने की इच्छा रखने वाले लोगों को प्रशिक्षण देना।
- खाद्य पदार्थों के लिए अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी मानकों, स्वच्छता व सफाई तथा फाइटोसैनिटरी मानकों के विकास में योगदान करना।
- फूड सेफ्टी तथा फूड स्टैंडर्स के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ाना।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।