एंटरप्रेन्योरशिप के 5 ‘सी’ बढ़ाएंगे फंडिंग-निवेश      Publish Date : 06/04/2025

        एंटरप्रेन्योरशिप के 3 ‘सी’ बढ़ाएंगे फंडिंग-निवेश

                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कर्तिकेय

किसी भी नए स्टार्टअप का दायरे को बढ़ाने के लिए भी अनिवार्य होता है, स्टार्टअप के लिए आवश्यक निवेशकों को आकर्षक करना ही इसकी पहली और महत्वपूर्ण शर्त होती है। स्टार्टअप की दुनिया के विशेषज्ञ कहते हैं, जब भी आप अपने स्टार्टअप के दायरे को बढ़ाने का प्रयास करते हैं, तो स्टार्टअप में आने वाली फंडिंग या निवेश आपके लिए सोने पर सुहागा साबित होती हैं। हालांकि, यह इतना आसान नहीं होता है। स्टार्टअप की फंडिंग या निवेश को 5 ‘सी’ का ध्यान रखकर निवेशकों को अपने स्टार्टअप की ओर आकर्षित किया जा सकता है।

                                                  

किसी स्टार्टअप का पहला ‘‘सी’’ है कैरेक्टर

5 ‘सी’ का पहला सी है कैरेक्टर। आसान भाषा में समझें तो स्टार्टअप की टीम को ऐसा व्यवहार अपनी आदत में शामिल करना होगा कि निवेशक उन पर विश्वास कर सके। इसके लिए टीम को अपना बैकग्राउंड, काम करने का तरीका, क्या-क्या हासिल किया और आगे का प्लान क्या है, इसे दिखा सकते हैं। यह निर्भर करता है कि इसे कितना स्मार्टली तैयार किया जाता है। स्टार्टअप की टीम और उसका माहौल भी निवेशकों को आकर्षित करने का काम करते है, क्योंकि इनका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखई देता है।

दूसरा ‘‘सी’’ कैपिटल

किसी भी कंपनी के कैपिटल यानी पूंजी में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। यानी कर्ज आदि नहीं होना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में कैश भी उपलब्ध होना चाहिए। जब भी कोई निवेशक किसी प्रोजेक्ट में मनी इंवेस्ट करता है, तो कैपिटल के सम्बन्ध में अलग-अलग तरह से सवाल करता है और स्टार्टअप के ओनर से अपने सभी सवालों के जवाब पूरी ईमानदारी के साथ जानने का प्रयास करता है।

तीसरा ‘‘सी’’ कोलेटरल

चाहे बिजनेस कोई भी हो, उसे यह साबित करना होता है कि उसके पास ऐसी एसेट्स उपलब्ध है, जो उसके दिवालिया होने की स्थिति में भी होने वाले नुकसान को कवर करने में उसकी मदद कर सकते है, जैसे- बिल्डिंग, मशीनरी, और स्टॉक आदि। ये समस्त चीजें एक निवेशक को भरोसा दिलाती हैं कि जहां वह पैसे निवेश कर रहा है, वह विश्वास करने के योग्य हैं। कई बार स्टार्टअप ओनर, निवेशकों से बात तो करते हैं और प्रपोजल भी तैयार करते हैं, लेकिन इन सारी बातों के बारे में नहीं सोचते हैं। नतीजा, उन्हें लगता है कि प्लान तो अच्छा बना था, फिर किस कारण से निवेशक ने उनके स्टार्टअप में इंवेस्ट करने से मना किया?

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।