गन्ने की प्रजाति कोलख 16202 का विवरण      Publish Date : 24/03/2025

गन्ने की प्रजाति कोलख 16202 का विवरण

प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

कोलख 1602 (इक्षु-16) उत्तर प्रदेश के लिए शीघ्र पकने वाली नवीन गन्ना किस्म

परिचय

भारत की अर्थव्यवस्था के अंतर्गत गन्ना और चीनी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में देश के कुल गन्ने का लगभग 47 प्रतिशत क्षेत्रफल आता है। उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकों को चीनी मिलों के छोटे पेराई सत्र के चलते गन्ने की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, गन्ने की लोकप्रिय किस्म ‘‘को0 0238’’ का लाल सड़न रोग के प्रति संवेदनशील होना, उद्योग जगत के साथ ही गन्ना उत्पदक किसानों के लिए भी एक गम्भीर चिंता का विषय है।

                                                 

ऐसे समय में कोलख-16202 के जैसी किस्म, जो अपनी उच्च गन्ना उपज क्षमता और उच्च शर्करा से युक्त होने के साथ ही लाल सड़न रोग के प्रति भी अवरोधी किस्म है, प्रदेश के किसानों के लिए एक अच्छी गन्ना किस्म के विकल्प के रूप में उपलब्ध है।

परिपक्वता आधारित खेती का प्रमुख लक्ष्य चीनी के परते में सुधार एवं सही समय पर कटाई आदि गुणों के परिणामस्वरूप, चीनी के उत्पदन में वृद्वि करना है। जब गन्ने की किस्म 8 से 10 महीने की अवधि में 18 प्रतिशत शर्करा और 85 प्रतिशत गन्ने के रस की शुद्वता तक पहुँच जाती है, तो इसे शीघ्र पकने वाली किस्म कहा जाता है। कोलख-16202 किस्म भा.कृ.अनु.प.- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के द्वारा विकसित की गई एक किस्म है।

‘कोलख 16202’ उत्तर पद्रेश राज्य के गन्ना उत्पादक किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। प्रदेश के किसान गन्ने की इस किस्म को शीघ्र पकने, उच्च उपज क्षमता और उच्च गुणवत्ता युक्त होने के साथ ही साथ कीटों और रोगों से कम प्रभावित होने के कारण पसंद कर रहे हैं। कम समय में, बेहतर प्रदशर्न और कीट एवं रोग के हमलों के प्रतिरोध के चलते इसके बीज की माँग बनी हुई है। गन्ने की यह किस्म गन्ना उत्पादक किसान एवं चीनी मिलों की आय को बढ़ाने में अच्छी मदद कर सकती है।

रस की गुणवत्ता

फसल के कटने के समय कोलख 16202 किस्म के रस में शर्करा का औसत प्रतिशत (2 बावक + पेड़ी) 17.74 प्रतिशत दर्ज किया गया है, जो मानक किस्म को- 0238 (17.90 प्रतिशत) से मामूली रूप से थोड़ा ही कम है। कोलख 16202 में पोल प्रतिशत 13.57 प्रतिशत पाया गया है।

कीट एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता

लाल सड़न रोग के संदर्भ में कोलख 16202, दो प्रचलित प्रभेद सीएफ 08 और सीएफ 13 के प्रति रोगरोधी साबित हुई है। इसके साथ ही यह किस्म उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के प्रमुख कीटों के प्रति कम संवेदनशील है।

किस्म की पहचान के लक्षण (डी0 यू0 एस0 लक्षण)

                                        

तालिका के अंतर्गत किस्म का डी0 यू0 एस0 परीक्षण के दौरान दर्ज किए गए लक्षणों की विभिन्न अवस्थाओं को दर्शाया गया है। कोलख 16202 की पौध ऊँचाई मध्यम एवं पत्रदल का घुमाव धुष के आकार का होता है। इस किस्म में गांठ की आकृति अण्ड़ाकार एवं आकार में मझौली होती है। इस किस्म में अंतरगांठ गूदा नही होता है।

तालिका- गन्ने की किस्म कोलख 16202 की पहचान के लक्षण (डी0 यू0 एस0 लक्षण)

क्रमांक

लक्षण

अवस्था

1.

पौधा: बढ़वार एवं स्वभाव

सीधा

2.

पत्राच्छद: रोमिलता

अनुपस्थित

3.

पत्राच्छद: जीभिक की आकृति

त्रिकोणाकार

4.

पत्राच्छद: आंतरिक पालि की आकृति

इन्सिपिएन्ट

5.

पत्राच्छद: ड्यूलप का रंग

पीलापन लिए हुए हरा

6.

पत्राच्दल: घुमाव

धनुषाकार

7.

पत्राच्दल: चौड़ाई

मध्यम

8.

पौधा: पत्राच्छद का चिपकना

मध्यम (अर्ध-अकड़न)

9.

अंतरगांठ: रंग (धूप के सम्पर्क में नही

धूसर पीला

10.

अंतरगांठ: रंग (धूप के सम्पर्क में)

बैंगनी

11.

अंतरगांठ: व्यास

मध्यम

12.

अंतरगांठ: आकृति

अटेरन का आकार

13.

अंतरगांठ: दृमेढ़ा समायोजन

अनुपस्थित

14.

अंतरगांठ: बढ़वार चटक (फुटाव)

अनुपस्थित

15.

अंतरगांठ: छिलके की सतही दिखावट

केवल हस्तिदंत जैसे चिन्ह

16.

अंतरगांठ: मोमियापन

मध्यम

17.

गांठ: कली की आकृति

अंड़ाकार

18.

गांठ: कली का आकार (शीर्ष से कली के आधार तक की माप)

मझौली

19.

गांठ: कलिका खांचा

उथला

20.

गांठ: कलिका आधार (कलिका के आधार तथा पत्ती के बीच का स्थान)

उपस्थित

21.

गांठ: वृद्वि छल्ले के संघरभ में कलिका का शीर्ष

छत्ते को छूते हुए

22.

गांठ: बढ़वार छल्ले की प्रमुखता

सबल (फूला हुआ)

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।