
दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को गति देती जायद फसलंं Publish Date : 21/03/2025
दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को गति देती जायद फसलें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
‘‘घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दशकों से दालों आयात करती आ रही केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों के भीतर दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए गम्भीर रूप से प्रयासरत है। रबी एवं खरीफ दाल से अलग जायद (ग्रीष्म-कालीन) दलहन की फसलों ने के रकबे में तेजी से हो रही वृद्धि एक नई उम्मीद जगा रही है। यह वृद्धि उस स्थिति में है जब कई राज्यों में जलाशयों का स्तर कम है। दूसरी ओर, दाल के बफर स्टाक को भी समृद्ध करने के प्रयास जारी है।
देश में ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा लगभग 72 लाख हेक्टेयर है। मार्च मध्य तक 40 लाख हेक्टेयर में बुवाई की जा चुकी है। पिछले वर्ष इसी अवधि में लगभग 33 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई की गई थी। इस बार मध्य मार्च में ही दलहन का रकबा दोगुना से भी अधिक हो गया है, जबकि ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई मई तक चलती है। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान दलहन का रकबा 2.05 लाख हेक्टेयर था। इस बार मूंग एवं उड़द की बुआई में तेज वृद्धि देखी जा रही है। मूंग की बुआई 1.34 लाख हेक्टेयर से 168 प्रतिशत बढ़कर 3.58 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि उड़द की बुआई 63 हजार हेक्टेयर से 106 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख हेक्टेयर हो गई है।
दालों के बफर स्टाक को भी समृद्ध करेंगी सरकार
दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार दालों की पैदावार बढ़ाने के साथ बफर स्टाक को भी समृद्ध कर रही है। दलहन की खेती के लिए किसानों को प्रेरित और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार अगले चार वर्षों तक तुअर (अरहर), मसूर एवं उड़द की सारी उपज की खरीदारी करेगी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बफर स्टाक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुअर 13.22 लाख टन, मसूर 9.40 लाख टन एवं उड़द 1.35 लाख टन खरीदारी को मंजूरी दी है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।