भारत-ब्राजील कृषि सहयोग से निश्चित होती वैश्विक खाद्य सुरक्षा      Publish Date : 19/03/2025

भारत-ब्राजील कृषि सहयोग से निश्चित होती वैश्विक खाद्य सुरक्षा

                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

भारत और ब्राजील, दोनों ही देश कृषि उत्पादन में संसार में अग्रणी हैं। इन दोनों देशों की समानताएं और विशिष्टताएं इस बात का संकेत देती हैं कि यदि ये परस्पर सहयोग करें, तो दोनों देशों की कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है।

साझे प्रयासों से हर क्षेत्र में हरियाली संभव है। यह उक्ति भारत और ब्राजील जैसे दो कृषि प्रधान देशों के लिए विशेष रूप से बिलकुल ही सटीक बैठती है। हाल ही में मुझे ब्राजील देश के सरकारी निमंत्रण पर ब्राजील की कृषि यात्रा का अवसर मिला, जहां मैंने उनकी उन्नत कृषि तकनीकों, प्रयोगशालाओं और खेतों पर खाड़ी शानदार फसलों को देखा। कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण की बड़ी इकाइयों का भ्रमण किया। किसानों और इंबापा के कृषि विशेषज्ञों से चर्चा, उनके सहकारी प्रयासों का अध्ययन किया, और बाजील के कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं भारत के राजदूत से संवाद ने कृषि ज्ञान तथा मेरे दृष्टिकोण को और समृद्ध किया।

कृषि अध्ययन टूर का यह 11 दिवसीय आयोजन ब्राजील सरकार के अपेक्स ब्राज़ील की पहल पर किया गया था और इसमें श्री डोमिनिक कृषि-जागरण, ‘‘रुविका सोढ़ी तथा बाजील दूतावास समूह तथा श्री डोमिनिक का भी विशेष सहयोग रहा। इस यात्रा में मेरे सहयात्री वरिष्ठ पत्रकार संदीप दास, मनीष गुप्ता, चंद्रशेखर, कृषि उद्यमी रजम्मा भी शामिल रहे। अपेक्स ब्राजील के अनिरुद्ध शर्मा, एंजेलो मारिसिओ, एड्रिआना, पाँउला सोआरेस, डेखा फेइटोसा, डाला कालीगारी, फिलिपे आदि अधिकारियों का इस ऐतिहासिक बाजील कृषि-भ्रमण कार्यक्रम को सर्वविध सफल बनाने में विशेष योगदान रहा है।

बाजील का क्षेत्रफल भारत से लगभग ढाई गुना है, जबकि जनसंख्या बहुत कम है। पृथ्वी के दो अलग अलग छोर पर बसे होने के बावजूद, ब्राजील में मैंने भारतीयों के प्रति सर्वत्र मित्रता तथा सौहार्द का भाव पाया जो कि एक उत्साहवर्धक स्थित है। भारत और ब्राजील, दोनों देश कृषि उत्पादन में अग्रणी है। इनकी समानताएं और विशिष्टताएं इस बात का संकेत देती हैं कि यदि ये परस्पर सहयोग करें, तो दोनों देशों को कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है।

भारत और ब्राजील की कृषिः तुलनात्मक दृष्टि

                                                    

भारत-

कृषि प्रधान देशः लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर। प्रमुख फसलें चावल, गेहूं, गात्रा, दलहन, तिलहन, और मसाले।

पशुधन: भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है।

2024 के आंकड़े। भारत ने 51 अरब डॉलर का कृषि निर्यात किया।

चुनौतियां: मानसून पर निर्भरता और छोटे किसानों की सीमित संसाधन क्षमता।

ब्राजीलः-

वैश्विक कृषि निर्यातकः कृषि क्षेत्र का 258 योगदान।

प्रमुख फसलें सोयाबीन, कॉफी, गत्रा, मक्का, और संतरे।

पशुधनः बाजील विश्व का प्रमुख मांस निर्यातक है।

2024 के आंकड़े कृषि निर्यात 150 अरब डॉलर के पार।

विशेषताः प्रभावी कृषि शोध, सहकारिता आधारित बड़े फार्म, मशीनीकरण, और इथेनॉल उत्पादन में अग्रणी।

ब्राजील कृषि-यात्रा से सबकः-

ब्राजील की प्रयोगशालाओं में ऊरत बीजों, पौधों तकनीकों का तीव्र विकास हुआ है, पर उससे भी बड़ी बात यह है कि वह सारे उन्नत बीज और नई तकनीकें उनके अधिकांश खेतों तक पहुंच गई है। बड किसानों द्वारा बीजों तथा नई तकनीकों का खेतों पर व्यापक प्रयोग देखकर यह स्पष्ट हुआ कि भारत भी अपने किसानों को इन्हीं तकनीकों से सशक्त बना सकता है। इसके लिए हमें अपने प्रयोगशालाओं तथा किसानों और खेतों की बीच की खाई को पाटना होगा।

उनकी सफल सहकारिता, मशीनीकरण और स्मार्ट तकनीकों का उपयोग प्रेरणादायक था। वहीं, भारत को जैविक खेती, उच्च लाभदायक मेडिसिनल और एरोमेटिक प्लांट्स, हर्बल्स, स्टीविया एवं काली मिर्च जैसी उच्च लाभदायक फसलों की खेती तथा बहुस्तरीय खेती के ज्ञान एवं विशेष रूप पाली हाउस के विकल्प के रूप में वृक्षारोपण द्वारा बनाए गए ‘‘नेचुरल ग्रीनहाउस’’ ने ब्राजील के विशेषज्ञों में विशेष रुचि पैदा की।

सहयोग के संभावित क्षेत्रः-

1. पशुधन प्रबंधन ब्राजील ने भारत की जैसी देसी नस्लों की गायों का आयात करके उन पर काफी शोध कार्य करते हुए उनको और भी नई प्रजातियों का विकास किया है। वहां की संस्था ‘‘एबीसीजेड’’ का गौर नस्ल की गायों पर किया गया कार्य लेखनीय है।

ब्राजील का पशुधन प्रबंधन और मांस उत्पादन तकनीक भारत के लिए उपयोगी हो सकती है। वहीं, भारत ब्राजील को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग दे सकता है।

2. कपास और गन्नाः

ब्राजील गने से इथेनॉल उत्पादन में अग्रणी है।

भारत, अपने गन्ना उत्पादकों को इस तकनीक से जोड़कर ऊर्जा उत्पादन बढ़ा सकता है।

भारत के कपास उगाने वाले किसान इन दिनों कई तरह की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। इन किसानों को ब्राजील के बड़े पैमाने पर कपास उत्पादन की लाभकारी तकनीकों से फायदा मिल सकता है।

3. सोयाबीन और दलहनः

ब्राजील की सोयाबीन तथा अन्य बीन्स उत्पादन तकनीक भारत के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में संभावनाएं खोल सकती है। देखनी है कि ब्राजील तुअर गानी अरहर की खेती विशेष रूप से भारत के लिए ही करता है और वहां अरहर का उत्पादन भारत के उत्पादन से लगभग ढाई गुना तक है। प्रोटीन के लिए मुख्य रूप से दालों पर निर्भर भारत जैसे शाकाहारी देश के लिए बीस तथा दलों के क्षेत्र में ब्राजील के साथ हर स्तर पर सहयोग लाभकारी होगा।

4. जैव ऊर्जाः

ब्राजील का इथेनॉल और जैव ईंधन उत्पादन, भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

वहीं भारत की पारंपरिक टिकाऊ तथा पर्यावरण हितैषी कृषि विधियां ब्राजील को सतत विकास में सहयोग दे सकती है।

सहयोग के लाभः

1. आर्थिक प्रगति: कृषि व्यापार बढ़ने से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।

2. खाद्य सुरक्षा: फसल उत्पादन और विविधता में वृद्धि से खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।

3. तकनीकी प्रगतिः ब्राजील से मशीनीकरण और तकनीक लाकर भारत अपनी उत्पादन क्षमता बड़ा सकता है।

4. वैश्विक नेतृत्वः संयुक्त अनुसंधान और सहयोग से दोनों देश जलवायु परिवर्तन और खाद्य संकट से निपटने में विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं।

ब्राजील यात्रा की उपलब्धियां और अनुभव

किसानों से संवाद: किसानों ने बताया कि कैसे बड़े पैमाने पर खेती और सहकारी संस्थाएं उनके जीवन को बेहतर बना रही हैं।

अधिकारियों से चर्चा कृषि मंत्री और सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने भारत के साथ दीर्घकालिक सहयोग की रुचि व्यक्त की।

राजदूत से संवादः भारत के सफल राजदूत सुरेश रेडी ने दोनों देशों के बीच कृषि व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता के साथ ही माना कि दोनों देशों को अपने देश के प्रगतिशील किसानों के दलों को एक दूसरे के यहां ‘‘कृषि स्टडी टूर’’ पर नियमित रूप से भेजा जाना चाहिए।

चुनौतियां और समाधान-

1. भाषा और सांस्कृतिक भिन्त्रताः नियमित संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दूरी कम की जा सकती है।

2. तकनीकी लागत: भारत में स्थानीय परंपरागत तकनीकों का विकास कर इसे सस्ता बनाया जा सकता है।

3. नीतिगत अंतर जी20 बिक्स के साथ ही विभित्र क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौतों और व्यापारिक गठबंधनों से इस अंतर को कम किया जा सकता है।

भारत और ब्राजील, कृषि क्षेत्र में परस्पर सहयोग से न केवल अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत बना सकते हैं, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। मेरी इस यात्रा का अनुभव यह दिखाता है कि दोनों देशों के पास एक-दूसरे से सीखने और सिखाने की अपार संभावनाएं है।

अंत में, कहा गया है कि जहां चाह, वहां राह। दोनों देशों के बीच यह सहयोग वैश्विक कृषि का भविष्य बदल सकता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत और ब्राजील दोनों मिलकर पूरे विश्व का पेट भर सकते हैं। इसलिए भारत और ब्राजील एक नैसर्गिक मित्र तथा स्वाभाविक साझेदार हैं। जरूरत है इस साझेदारी एवं मित्रता के पौधे के विकास हेतु क इसे समय-समय पर नियमित रूप से खाद-पानी देते रहने कि और यह जिम्मेदारी दोनों देश दूतावासों को सरकारों को तथा दोनों देश की जनता को मिलजुल कर एकजुटता के साथ निभानी चाहिए।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।