
जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के चलते प्रति व्यक्ति आय में गिरावट हो सकती है Publish Date : 19/03/2025
जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के चलते प्रति व्यक्ति आय में गिरावट हो सकती है
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
“लगातार तापमान के बढ़ने के कारण वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत कृषि कर्ज के डूबने की आशंका”
बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के चलते अगले 5 वर्षों में यानी वर्ष 2030 तक कृषि एवं आवासीय कर्ज के 30 प्रतिशत हिस्से तक के डूबने का जोखिम मंडरा रहा है। बीसीजी की एक विश्लेषण रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि औसत वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर की तुलना में लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है। इसके कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ रही है और कृषि उत्पादन भी कम रहा है। इसके परिणाम स्वरुप बढ़ती चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित लोगों की प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का लगभग आधा कर्ज प्रकृति और उसकी परिस्थितियों उपस्थिति की तंत्र पर काफी हद तक निर्भर करता है इसलिए कोई भी प्राकृतिक आपदा उनके मुनाफे को प्रभावित करती है। अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत में 42 फ़ीसदी जिलों में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है और अगले 5 साल में तापमान वृद्धि से 321 जिले प्रभावित हो सकते हैं, जिससे लोगों की कमाई पर असर पड़ सकता है।
भारत, कोयला और कच्चे तेल से दूर होकर नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत को अपने ऊर्जा क्षेत्र में यह बदलाव लाने और परिवर्तन करने के लिए सालाना 150 से 200 अरब डॉलर का निवेश करना होगा। इसके विपरीत भारत में जलवायु वित्त 40 से 60 अरब डॉलर के बीच है, जिससे 100 से 150 अरब डॉलर का बड़ा अंतर पैदा हो रहा है।
बंसल ने कहा यह परिवर्तन अवसरों का परिदृश्य तैयार करेगा, हालांकि हम लक्ष्य से बहुत दूर हैं और इसे 2030 से 2040 तक प्राप्त कर सकते हैं जिसकी शुरुआत अब होने वाली है। अग्रणी इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाएंगे तो बैंकिंग संदर्भ के नजरिए से हम बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
जोखिम से बचने के लिए बढ़ानी होगी जागरूकता
जलवायु परिवर्तन के भौतिक जोखिम व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं, इससे उनके राजस्व पर भी असर पड़ रहा है। बीसीजी के प्रबंध निदेशक एवं वरिष्ठ साझेदारी वैश्विक लीडर जोखिम एवं अनुपालन प्रैक्टिस मोटा पॉपुलर ने कहा कि इस प्रभाव से निपटने के लिए बैंकों को इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अपने ग्राहकों को हरित प्रौद्योगिकी अपनाने की सलाह देने के लिए व्यवस्थित रूप से काम करने की जरूरत है।
बैंकों के लिए 150 अरब डॉलर का अवसर
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते जलवायु जोखिम पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं ऐसे में सामूहिक कार्रवाई की व्यावसायिक आवश्यकता स्पष्ट है। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन बैंकों को देश की ऊर्जा परिवर्तन जरूरतों को पूरा करने के लिए सालाना 150 अरब डॉलर का अवसर भी प्रदान करता है, क्योंकि वर्ष 2047 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को पाने के लिए सार्वजनिक फंडिंग काफी कम है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।