14 यौगिकों से समाप्त होगी अल्जाइमर्स की समस्या      Publish Date : 18/03/2025

             14 यौगिकों से समाप्त होगी अल्जाइमर्स की समस्या

इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के वैज्ञानिकों की टीम ने बुजुर्गों में होने वाले अल्जाइमर्स यानी भूलने की समस्या के उपचार के लिए 14 यौगिकों (मालिक्यूल्स) की खोज की है। विवि के रसायन विज्ञानियों के द्वारा कम्प्यूटर परीक्षण के उपरांत सफलता के पहले पड़ाव को भी पार कर लिया गया है। अब इसके नमूनों का अंतिम परीक्षण अमेरिका में किया जा रहा है। अब यह पता चल सकेगा कि इनमें से कौन-सा यौगिक इस गैर उपचारी रोग पर सर्वाधिक प्रभावकारी सिद्व होगा। इस शोध के परिणामों को नीदरलैण्ड के जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर में प्रकाशित किया गया है।

इविवि के रसायन विभाग के प्रोफेर रमेन्द्र कुमार सिंह और उनकी टीम के द्वारा इस शोध के प्रथम पायदान को भी पार कर लिया गया है। इनसिलिको अर्थात कम्प्यूटर आधारित परीक्षण के अन्तर्गत परीक्षण के दौरान यह यौगिक भूलने की बीमारी पर प्रभावी प्रभाव दिखाते पाए गए हैं। प्रोफेसर सिंह के अनुसार, भूलने की बीमारी हाइपर फॉस्फोराइलेटेड टाउ प्रोटीन के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारी है।

मानव मस्तिष्क में इस प्रोटीन का निर्माण एसिटिलकोलीन नामक ट्रांसमीटर की कमी के चलते होता है। कहा जाता है कि इस ट्रांसमीटर की कमी के लिए एसिटिलकोलीन एस्टटरेज जिम्मेदार होते हैं। एंजाइम की इस क्रिया को रोकने में विभिन्न प्रकार के यौगिकों को लाभकारी पाया गया है। 

प्रोफेसर रमेन्द्र कुमार सिंह के अनुसार अमेरिकी लैब में यौगिकों का प्रयोग ऐसी सेल लाइंस पर किया जा रहा है, जिनमें अल्जाइमर्स के लिए जिम्मेदार हाइपर फॉस्फोराइलेटेड टाउ प्रोटीन मौजूद होते हैं। इस जांच के माध्यम से ज्ञात होगा कि खोज किए गए इन 14 यौगिकों में से कौन-सा यौगिक भूलने की इस बीमारी के उपचार के लिए कितना प्रभावी सिद्व होता है। दो से तीन महीनों में जांच के परिणाम आने के बाद सबसे अधिक प्रभावी यौगिक से इस रोग के उपचार के लिए दवाई बनाना शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा।

शोधकर्ता टीम के द्वारा इसके लिए लैब में विभिन्न प्रकार के यौगिकों की खोज कम्प्यूटर के माध्यम से की गई है। इसके बाद टीम ने मॉलिक्यूलर डॉकिंग एवं कम्प्यूटर सिमुलेशन विधियों के द्वारा इन यौगिकों की सक्रियता और कोशिकाओं को मारने या उनको नुकसान पहुँचाने की क्षमता का विस्तृत अध्ययन किया गया है। प्रोफेसर रमेन्द्र, कम्प्यूटर आधारित इस अध्ययन में यह यौगिक काफी प्रभावशाली पाए गए हैं। अब इन 14 यौगिकों को इनविट्रो (पीखनली अथवा पोर्शलीन) में अध्ययन के लिए अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी की फुलटर्न लैब में भेजा गया है।