
भारत का सबसे अनोखा गांव, अपनी संसद, संविधान और कानून Publish Date : 16/03/2025
भारत का सबसे अनोखा गांव, अपनी संसद, संविधान और कानून
आज हम अपने ब्लॉग के माध्यम से आपको भारत के के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लोग लिटिल ग्रीस के नाम से जानते हैं औऱ इस गांव की प्रत्येक बात अलग और अनोखी होती है। अब बतातें है इस गांव के बारे में सबकुछ-
भारत में सबसे अनोखा है यह गांव
वैसे तो भारत के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी खास पहचान है और उनकी अपनी-अपनी परंपरा और भाषा और वेशभूषा होती है, लेकिन यह सभी भारत के संविधान का पालन करते हैं और भारत के कानूनों को ही मानते है। हालांकि भारत में एक राज्य है जो इन सबसे परे है और यहां पर अपना ही कानून है और जो लोग बाहर से यहां आते हैं उन पर भी बहुत सारी पांबदियाँ लागू होती हैं।
सिकंदर के सैनिकों के वंशज बताते हैं
इस गांव के निवासी लोग स्वयं को सिकंदर के सैनिकों के वंशज बताते हैं और कहा जाता है कि जब सिकंदर भारत पर आक्रमण करने आया था तो उसके साथ आए सैनिकों ने इस गांव में शरण ली थी। इस आक्रमण में मिली हार के बाद सिकंदर तो भारत से चला गया था, परन्तु उसके साथ आए कुछ सैनिक यही रह गए और इस गांव में उन सैनिकों अपना घर बना लिया। इस गांव में घूमने जाने वालों को यहां सिंकदर के समय की एक तलवार देखने को मिलती है।
इस गांव में नहीं चलता है भारत का कानून
इस गांव के लोग भारत के संविधान का पालन नहीं करते हैं. बल्कि यहां के लोगों की अपनी स्व-निर्मित न्यायपालिका और कार्यपालिका होती है और संसद भवन के तौर पर इस गांव में एक चौपाल है, जहां गांव के सारे विवादों को सुलझाया जाता है और यहीं सारे फैसले भी किए जाते है।
दुनिया का सबसे पुराना संविधान मलाणा गांव का है
इस गांव के संविधान को दुनिया का सबसे पुराना संविधान माना जाता है। यहां पर किसी मामले का अगर सदन के सदस्य फैसला नहीं कर पाते हैं तो उसका फैंसला उनके भगवान जमूल देवता फैसला करते है। इस गांव के लोग जमलू ऋषि को ही अपना देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं। गांव के लोगों के लिए इनका फैसला ही अंतिम फैंसला होता है।
पर्यटकों पर क्यों लगता है जुर्माना
आज हम भारत के जिस गांव की बात रहें हैं वह है हिमाचल प्रदेश के कुल्लु जिले के अन्तर्गत आने वाला मलाणा गांव, जो अपने अलग कानून के लिए जाना जाता है। केवल इतना ही नहीं इस गांव में जो भी पर्यटक आते हैं उन्हे गांव की किसी भी वस्तु को स्पर्श करने की अनुमति नहीं होती है और अगर कोई ऐसा करता भी हैं तो उसे 2,500 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
खाने-पीने का सामान नहीं छू सकते
यदि कोई व्यक्ति कभी यहां घूमने जाता हैं तो उस व्यक्ति को दुकानों में रखे सामान तक को छूने की अनुमति नहीं है। यहां आने वाले पर्यटक खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए सामान की कीमत के पैसे दुकान के बाहर रख देते है, इसके बाद दुकानदार पर्यटक की बताई गई वस्तु को दुकान के सामने जमीन पर ही रख देता है।
बकरे के माध्यम से होता है सच का फैसला
इस गांव में एक अजीब परंपरा भी है। इस परंपरा के अनुूसार अगर दो पक्षों में कोई विवाद हो जाए तो इसके समाधान के लिए दो बकरे मंगाए जाते हैं, इसके बाद दोनों पक्षों के द्वारा लाए गए बकरों के पैर में चीरा लगाकर उसमें जहर भर दिया जाता है और इसके बाद जिस पक्ष का बकरा पहले मर जाता है, उसे ही दोषी मान लिया जाता है। केवल इतना ही नहीं, इस फैसले पर गांव का कोई भी व्यक्ति कभी भी कोई सवाल तक नहीं उठाता है।
जमलू ऋषि को मानते हैं अपना देवता
गांव से जुड़े सभी मामलों का फैसला अक्सर सदन की कार्यवाही के दौरान ही हो जाता है। अगर सदन किसी मामले में फैसला नहीं ले पाता तो जमलू देवता ही इसका फैसला करते हैं। यहां के लोग जमलू ऋषि को ही अपना देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं। गांव के लोगों के लिए देवता का फैसला ही अंतिम फैंसला होता है।
रात में टूरिस्टों को गांव से बाहर कर दिया जाता है
मलाणा गांव में घूमने के लिए टूरिस्ट सिर्फ दिन में ही आ सकते हैं, रात में उन्हें गांव में नहीं आने दिया जाता है। रात में मलाणा के सभी गेस्ट आउस को बंद कर दिए जाते हैं। शाम होते ही यहां से टूरिस्ट लोगों को गांव के बाहर निकाल दिया जाता है। हालांकि, समय के साथ अब यहां भी परंपराओं में काफी बदलाव देखा जा रहा है।