माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिएंट्सः परिभाषा और महत्व      Publish Date : 15/03/2025

      माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिएंट्सः परिभाषा और महत्व

                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

मैक्रो न्यूट्रिएंट्स वे पोषक तत्व होते हैं जो पौधों को अधिक मात्रा में चाहिए होते हैं। इनमें नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटेशियम (K), सल्फर (S), कैल्शियम (Ca), और मैग्नीशियम (Mg) आदि शामिल हैं।

                                                       

माइक्रो न्यूट्रिएंट्स वे पोषक तत्व होते हैं जो पौधों को कम मात्रा में चाहिए होते हैं लेकिन उनकी अनुपस्थिति या कमी से फसल पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन पोषक तत्वों में जिंक (Zn), आयरन (Fe), मैंगनीज (Mn), कॉपर (Cu). बोरोन (B), मोलिब्डेनम (Mo) और क्लोरीन (Cl) आते हैं।

मुख्य फसलों में पोषण की उचित मात्रा और देने का उचित समय

1. गन्ना (Sugarcane)

                                              

मैक्रो न्यूट्रिएंट्सः

नाइट्रोजन (N) – 150-200 कि.ग्रा./हेक्टेयर (तीन भागों में- रोपाई के समय 30, 60 और 90 दिन बाद)।

फॉस्फोरस (P) – 60-80 कि.ग्रा./हेक्टेयर (रोपाई के समय)।

पोटेशियम (K) – 100-120 कि.ग्रा./हेक्टेयर (रोपाई और बढ़वार के समय)।

सल्फर (S) – 30-40 कि.ग्रा./हेक्टेयर।

माइक्रो न्यूट्रिएंट्सः

जिंक (Zn) – 25 kg ZnSO₄/हेक्टेयर (रोपाई के समय)।

बोरोन (B) – 1.5-2 kg/हेक्टेयर (स्प्रे के माध्यम से)।

कैसे दें?

  • नाइट्रोजन को यूरिया या DAP के रूप में दें।
  • फॉस्फोरस और पोटेशियम को बेसल डोज़ में देना चाहिए।
  • जिंक और बोरोन का फोलियर स्प्रे करें।

2. गेहूँ (Wheat)

                                                    

मैक्रो न्यूट्रिएंट्सः

नाइट्रोजन (N) – 120-150 kg/हेक्टेयर (तीन भागों में:- बुवाई के समय, 20-25 दिन बाद, और तीलवा अवस्था पर)।

फॉस्फोरस (P) – 50-60 kg/हेक्टेयर (बेसल डोज़ में)।

पोटेशियम (K) – 40-50 kg/हेक्टेयर (बेसल डोज़ में)।

सल्फर (S) – 20-30 kg/हेक्टेयर।

माइक्रो न्यूट्रिएंट्सः

जिंक (Zn) – 25 kg ZnSO₄/हेक्टेयर।

आयरन (Fe) और मैंगनीज (Mn) – 0-5% घोल स्प्रे करें (50-55 दिन की अवस्था पर)।

कैसे दें?

  • यूरिया (46% N) या DAP (18-46-0) से नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दें।
  • मॉप (MOP) या SOP से पोटाश दें।
  • फोलियर स्प्रे से जिंक और आयरन दें।

3. धान (Paddy)

                                              

मैक्रो न्यूट्रिएंट्सः

नाइट्रोजन (N) – 100-150 kg/हेक्टेयर (तीन बार मेंः रोपाई, 30 दिन बाद और पैनिकल इनीशिएशन स्टेज पर)।

फॉस्फोरस (P) – 50-60 kg/हेक्टेयर (बेसल डोज़ के रूप में)।

पोटेशियम (K) – 60-80 kg/हेक्टेयर (दो बार, बेसल और फ्लावरिंग स्टेज पर)।

माइक्रो न्यूट्रिएंट्सः

जिंक (Zn) – 25 kg ZnSO₄/हेक्टेयर (रोपाई के 10-15 दिन बाद स्प्रे करें)।

बोरोन (B) – 2 kg/हेक्टेयर।

आयरन (Fe) – 0-5% का स्प्रे करें।

कैसे दें?

  • DAP और MOP को बेसल डोज़ में दें।
  • जिंक सल्फेट और आयरन का फोलियर स्प्रे करें।

4. सरसों (Mustard)

                                                         

मैक्रो न्यूट्रिएंट्सः

नाइट्रोजन (N) – 80-100 kg/हेक्टेयर (बुवाई और फूल आने से पहले)।

फॉस्फोरस (P) – 40-50 kg/हेक्टेयर (बेसल डोज़ के रूप में)।

पोटेशियम (K) – 40-50 kg/हेक्टेयर (बेसल डोज़ के रूप में)।

माइक्रो न्यूट्रिएंट्सः

                                               

बोरोन (B) – 1-5 kg/हेक्टेयर (बुवाई के समय या 0-2% का स्प्रे फूल आने से पहले करें)।

जिंक (Zn) – 25 kg ZnSO₄/हेक्टेयर।

कैसे दें?

  • डीएपी और पोटाश को बेसल डोज़ के रूप में दें।
  • बोरोन का स्प्रे फूल आने से पहले करें।

वैज्ञानिक तरीका और सुझाव

1. सॉयल टेस्टिंग - मृदा की जांच के आधार पर ही उर्वरक की मात्रा तय करें।

2. संतुलित उर्वरक प्रयोग - मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स को सही अनुपात में प्रदान करें।

3. फोलियर स्प्रे - माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की कमी होने पर स्प्रे करना प्रभावी होता है।

4. ऑर्गेनिक न्यूट्रिएंट्स - जैविक खाद जैसे नैनो यूरिया, समुद्री शैवाल (Seaweed) और ऑर्था सिलिसिक एसिड का प्रयोग करें।

5. ड्रिप फर्टिगेशन - गन्ने और सब्जियों में पोषक तत्वों की सही आपूर्ति के लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग करें।

यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही मात्रा में पोषण देने का तरीका है जिससे उपज बढ़ेगी और मिट्टी की सेहत भी बनी रहेगी।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।