थ्रेशर चलाते समय बरती जाने वाली सावधानियां      Publish Date : 10/03/2025

     थ्रेशर चलाते समय बरती जाने वाली सावधानियां

                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

थ्रेशर चलाने में किसान सावधानी बरतें- कृषि में मशीनों के अधिकाधिक उपयोग से मानव द्वारा किये जाने वाले श्रमसाध्य कार्यों में काफी कमी आ गई है। गहाई मशीनों (थ्रेशर) के उपयोग से समय पर गहाई पूरी करके पैदावार की क्षति को कम किया जा सकता है।

उच्च क्षमता व दक्षता वाले थ्रेशर के उपयोग से समय की बचत के साथ-साथ गहाई में लगने वाला श्रम भी काफी कम हुआ है। महीनों तक चलने वाला गहाई का कार्य अब कुछ दिनों में ही पूरा हो जाता है। थ्रेशर की दक्षता एवं उत्पादकता में लगातार विकास किया जा रहा है, जबकि इन मशीनों से होने वाले प्रतिप्रभावों की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप इन मशीनों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।

थ्रेशर दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण

थ्रेशर पर काम करते समय दुर्घटनाएँ मुख्यतः उचित जानकारी के अभाव में तथा कुछ असुरक्षित मशीनों के उपयोग के चलते होती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 73 प्रतिशत दुर्घटनाएँ मानवीय कारणों से, 13 प्रतिशत मशीनी कारणों से तथा शेष 14 प्रतिशत दुर्घटनाएँ अन्य कारणों से होती हैं। अतः इन दुर्घटनाओं से बचाव हेतु हमें मुख्य रूप से लोगों को जागरूक करने व थ्रेशर को सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है।

थ्रेशर पर काम करने के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में इस मशीन के तेज गति एवं भारी संवेग के साथ घूमने वाले इसके कलपुर्जे होते हैं। इन कलपुर्जों जैसे थ्रेशिंग सिलिंडर, पंखे या पट्टों, आदि की चपेट में शरीर के अंगों के आने से दुर्घटनाएं होती है। सर्वाधिक दुर्घटनाएँ थ्रेशिंग सिलिंडर की चपेट में हाथों के आने के कारण होती हैं।

बचाव के उपाय

सही मशीन. का चुनाव करें किसान

                                              

किसान भाई थ्रेशर खरीदते समय ध्यान दें कि भराई शूट आई.एस. 9020-2002 के अनुरूप बनाई गई हो, जिसकी लम्बाई कम से कम 900 मिमी. और चौड़ाई (ड्रम के मुँह पर) कम से कम 220 मिमी. और ऊपर से ढके हुये भाग की लम्बाई कम से कम 450 मिमी. हो, जिससे हाथ गहाई धुरे तक आसानी से न पहुँच सके। ढंके हुए भाग का उठाव 10 से 30 डिग्री होना चाहिए। भराई शूट को थ्रेशर से 5-10 अंश के कोण पर ऊपर की ओर झुका देने से फसल आसानी से थ्रेशर में पहुँच जाती है।

  • थ्रेशर खरीदते समय यह ध्यान दें कि थ्रेशर के घूमने वाले कलपुर्जे जैसे पुली व पट्टे सही तरीके से गार्ड्स/आवरण लोहे की मोटे तार की जाली से ढंके हुए होने चाहिए।
  • थ्रेशर में फसल डालने का सही तरीका अपनाएं।  
  • एक व्यक्ति द्वारा मशीन में फसल डालने का काम करने पर प्रायः फसल को जल्दी से थ्रेशर में डालने की कोशिश की जाती है, ताकि उसे फसल उठाने के लिये पर्याप्त समय मिल सके। इस जल्दबाजी के कारण भी कभी-कभी दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
  • इसलिए थ्रेशर में फसल डालने का काम दो व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति फसल को नीचे से उठाए तथा दूसरा उसे मशीन में डाले।
  • फसल अंदर डालने वाले व्यक्ति के खड़े होने की जगह समतल और मजबूत होनी चाहिये। चारपाई, अनाज के बोरे, फसलों के गर्रे या टायर आदि पर खड़े होने से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है और व्यक्ति के मशीन पर गिरने की प्रबल संभावनाएं बनी रहती है।
  • यदि व्यक्ति ऊँचे प्लेटफार्म पर खड़ा हो या सीधे ट्रैक्टर की ट्राली से ही फसल को थ्रेशर में डाल रहा हो तो वह हाथों के अलावा कभी-कभी पैरों से भी फसल को अन्दर धकेलने की कोशिश करता है। फसल के अचानक अन्दर प्रवेश करने पर हाथ या पैर का अन्दर जाना स्वाभाविक ही है। अतः फसल को पैरों से धकेलने की कोशिश तो बिलकुल भी न करें।

झाड़ीदार फसलों की गहाई में विशेष सावधानी

                                               

  • झाड़ीदार फसलों जैसे सोयाबीन, चना, मसूर, मटर आदि की गहाई करते समय विशेष सावधानी रखें।
  • फसल के भराई शूट में फँसने की दशा में शक्ति लगाकर अंदर धकलने के स्थान पर पहले उसे बाहर खींचे तथा थोड़ा-थोड़ा करके लगातार फसल अंदर डालने का प्रयास करें।
  • हाथों में चुभने वाली फसलों की गहाई करते समय किसान प्रायः गमछा, पुराना कपड़ा या बोरे का टुकड़ा हाथ पर लपेट लेते हैं, ऐसा करना भी खतरे से खाली नहीं है। दुर्घटनाओं से बचने हेतु हाथों मे रबर या चमड़े के दस्ताने पहनें।
  • थ्रेशर पर काम करते समय ढीले कपड़े न पहनें। महिलाएँ अपने बाल तथा साड़ी कसकर बॉँधें व लपेटें।
  • जब थ्रेसर को बेल्ट-पुली का उपयोग करके ट्रैक्टर या अन्य किसी शक्ति स्रोत से चलाया जाता है तब घूमने वाले कलपुर्जों को लकड़ी के फ्रेम या लोहे की जाली से ढंककर रखें अथवा विशेष सावधानी रखें।

बिजली कनेक्शन में सावधानी बरतें

  • थ्रेसरों पर कुछ दुर्घटनायें बिजली के तारों की वजह से होती हैं। बिजली का कनेक्शन लेते समय, काटते समय प्रशिक्षित व्यक्तियों की सेवाओं का उपयोग करें।
  • बिजली की लाइन में फ्यूज तथा स्टार्टर का होना अत्यन्त जरूरी है। इनके बिना मोटर को सीधे बिजली पहुँचाना मौत को बुलावा देना है, ऐसा न करें।
  • बिजली की मोटर का मेन स्विच थ्रेशर चालक की पहुँच के अंदर होना चाहिए जिससे आवश्यकता पडऩे पर मोटर को तुरंत बंद किया जा सके।

अत्यधिक थकान- दुर्घटना को आमंत्रण

  • थकावट होने पर कुछ देर कार्य को रोक दें। कुछ दुर्घटनायें अत्यधिक थकान के कारण भी होती हैं। अतः कभी भी थकान की दशा में थ्रेशर पर कार्य न करें विशेष रूप से फसल थ्रेसर के अंदर डालने का कार्य तो कदापि नहीं करें।
  • थ्रेशर के भराई शूट की ऊँचाई अपनी कोहनी की ऊँचाई के बराबर रखें। भराई शूट की ऊँचाई अधिक होने पर हाथ ऊपर उठाना पड़ता है तथा कम होने पर कमर झुकानी पड़ती है और दोनों ही दशा में अधिक थकान होती है।
  • थ्रेशर पर लगातार 7-8 घंटे से अधिक कार्य न करें।
  • दुर्घटनाओं का कारण बनने वाली थ्रेशर की कमियों को निर्माताओं की जानकारी में अवश्य लायें।

आग से बचाव

  • थ्रेशर में फसल डालने से पहले थ्रेशर के अंदर घूमने वाले लोहे के पुर्ज खासतौर पर ड्रम के अंदर वाले पुर्जे ढीले न हों इनमें घर्षण के कारण आग लग सकती है।
  • खेतों या खलिहानों में जहाँ थ्रेशर चल रहा हो वहाँ जमीन पर पड़े बिजली के तारों को खुला न रहने दें। इससे चिंगारी निकलने से खलिहान में आग लग सकती है।
  • थ्रेशर व ट्रैक्टर/इंजन इस प्रकार लगायें कि हवा के झोके से चिन्गारी उड़कर आग लगने का खतरा न हो।
  • थ्रेशर को कभी भी ट्रांसफार्मर या बिजली के तारों के नीचे न लगायें।
  • खलिहानों में धूम्रपान बिल्कुल न करें और न ही किसी को ऐसा करने दें।
  • आग से दुर्घटना की रोकथाम के लिए खलिहान में बालू का ढेर तथा बाल्टियां रखें।

अन्य सावधानियाँ

  • रात को थ्रेशर पर कार्य करते समय पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें।
  • थ्रेशर प्रचालन के दौरान थ्रेशर में किसी प्रकार का समायोजन न करें।
  • किसी प्रकार का नशा आदि करके थ्रेशर पर कार्य बिल्कुल न करे।
  • भूसे की निकासी हवा की दिशा की ओर रखें। भूसे की बारीक धूल श्वास के साथ फेफड़ों में जाती है और फेफड़ों की सीरोसिस बीमारी का कारण हो सकती है।
  • थ्रेशर में फसल जाम हो जाने की स्थिति में सबसे पहले थ्रेशर को बंद करें उसके पश्चात ही थ्रेशिंग सिलिंडर की साफई करें।
  • बच्चों, बूढ़ों एवं बीमार व्यक्तियों को थ्रेशर पर काम न करने दें।
  • छोटी-मोटी चोट के उपचार के लिए प्राथमिक उपचार बॉक्स खलिहान में रखें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।