
मानसून के बारे मे परम्परागत विचार Publish Date : 31/07/2024
मानसून के बारे मे परम्परागत विचार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
क्या आप जानते हैं की मूंज और पटसन की खटिया बता देती है बरसात के लक्षण। आज के जमाने के जैसे पहले सैटेलाइट नहीं हुआ करते थे और ना ही बरसात का पूर्वानुमान सही होता था। एस समय पारंपरिक चीजों से ही इस बात का पता लगाया जाता था कि साल मानसून में बारिश कैसी होगी। उपरोक्त तस्वीर में जो खटिया आपको दिख रही है, यह मूंज की रस्सी और पटसन के ओर्चन से तैयार खटिया है। हवा के तापमान के साथ मूंज और पटसन में तनाव उत्पन्न होता है। इससे से बनी खटिया की स्थिति तस्वीरों में दिख रही खाट की तरह हो जाती है। तनाव के कारण खाट समानांतर नहीं रह पाती और उसका एक पऊंआ (पाया) ऊपर की ओर उठ जाता है. ऐसा होना इस बात का लक्षण है कि इस वर्ष काफी अच्छी बारिश होगी।
जून के महीने में अगर खटिया में तनाव उत्पन्न हो जाए हवा के कारण तो किसान समझ जाता है कि साल मानसून में अच्छी बारिश होगी। फिर उसी के हिसाब से कृषि कार्यों की शुरुआत हो जाती है। खटिया को फिर से सामान्य करने के लिए तालाब में ले जाकर उल्टा करके छोड़ दिया जाता है और पानी में फूलने के बाद पटसन और मूंज यह तनाव खुद-ब-खुद समाप्त हो जाता है। प्लास्टिक या फिर कृत्रिम रस्सी वाली खाट में ऐसा कुछ नहीं होता है।
ग्रामीण परिवेश में ऐसी कई पुरानी परंपराएं मौजूद हैं जिससे मौसम के मिजाज का पता सब प्रतिशत सही लगा लिया जाता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।