गेंदा के फूलों की खेती यानि अधिक मुनाफा      Publish Date : 08/10/2025

                 गेंदा के फूलों की खेती यानि अधिक मुनाफा

                                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा

गेंदा फूल की खेती करने से किसानों की बढ़ेगी आमदनी और मिलता है प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपये तक का अनुदान सरकार की ओर से-

केन्द्र सरकार के द्वारा फूलों की खेती करने वाले किसानों की आय को बढ़ाने के लिए गेंदा विकास योजना शुरू की जा रही है। इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपये तक का अनुदान दिया जाना सुनिश्चित किया है। साथ ही, फूलों की बिक्री को भी आसान बनाने के लिए मालवाहक वाहन योजना भी लागू की जा रही है। इस योजना से किसानों को लागत कम और मुनाफा बढ़ाने का अवसर प्राप्त होगा।

                                                            

सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने की दिशा में काम कर रही है। सरकार के द्वारा अब तक कई फसलों के लिए अनुदान योजनाएं चलाई जाती रही हैं। लेकिन इस बार सरकार ने किसानों को नई राह देने के लिए गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी है। इसके लिए गेंदा विकास योजना शुरू की गई है, जिसके तहत जो किसान गेंदा फूल की खेती करते हैं, उन्हें कुल लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, यानी अब किसान आधे खर्च में ही फूलों की खेती कर सकेंगे।

योजना की विशेष बात यह है कि सरकार ने सिर्फ खेती तक ही इस योजना को सीमित नहीं रखा है, बल्कि फूलों की आसान बिक्री के लिए मालवाहक वाहन योजना भी लागू की है। इस योजना के तहत किसान अब अपनी फसल यानी फूल सीधे मंडी और बाजार तक आसानी से पहुंचा सकेंगे और उन्हें इसका बेहतर दाम भी मिलेगा। इन योजनाओं का लाभ किसान ऑनलाइन आवेदन कर आसानी से उठा सकते हैं।

फूलों की खेती पर है सरकार का फोकस

                                                              

कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार, किसानों को इस योजना का लाभ न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम 2 हेक्टेयर तक भूमि पर फूलों की खेती करने से मिलेगा। सरकार ने प्रति हेक्टेयर गेंदा फूल की खेती की लागत 80,000 रुपये तय की है। इस हिसाब से किसानों को 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक अनुदान दिया जाएगा। इससे किसानों को शुरुआती खर्च कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं रहेगा और वह गेंदा फूल की खेती को आत्मविश्वास के साथ शुरू कर पाएंगे।

कौन किसान ले सकते हैं इस योजना का लाभ?

इस योजना का लाभ केवल वही किसान ले पाएंगे जिनके पास आवश्यक कागजात उपलब्ध होंगे। इसके लिए किसानों को एलपीसी (भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र) और जमीन की अपडेट रसीद देनी होगी। जिन किसानों के पास जमीन नहीं है, वे एकरारनामा यानी लिखित समझौते के आधार पर भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यदि किसी किसान का नाम राजस्व रसीद या भूमि-स्वामित्व पत्र में दर्ज नहीं है, तो उन्हें वंशावली की प्रति संलग्न करनी होगी।

फूलों की बिक्री में मदद के लिए मालवाहक वाहन योजना

गेंदे के फूलों की खेती शुरू करने के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है फूलों को मंडी या बाजार तक लेकर जाना और अक्सर परिवहन की समस्या के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मालवाहक वाहन योजना भी शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों को माल वाहक वाहन के खरीदने पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।

सरकार ने वाहन की अनुमानित लागत 6,50,000 रुपये तय की है. इस पर किसान को 3,25,000 रुपये तक की सहायता मिल सकती है या फिर वाहन के वास्तविक मूल्य का 50 प्रतिशत तक दोनों में से जो भी कम होगा, उतना ही अनुदान मिल सकेगा। इस सुविधा से किसान तैयार फूल सीधे बाजार तक आसानी से पहुंचा सकेंगे, जिससे उनकी बिक्री भी आसान होगी और किसान का मुनाफा भी बढ़ेगा।

अगर कोई किसान गेंदा फूल की खेती कर रहा है और मालवाहक वाहन योजना का लाभ लेना चाहता है, तो उसे आवेदन के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इन दस्तावेजों में मुख्य रूप से निम्न दस्तावेज शामिल हैं:

  • वाहन की कोटेशन।
  • जमीन से जुड़े दस्तावेज।
  • गेंदा फूल की खेती से जुड़ा एकरारनामा।

इन दस्तावेजों को आवेदन के साथ ऑनलाइन अपलोड करना होगा और बिना इन कागजात के आवेदन अधूरा माना जाएगा।

किसानों के लिए बड़ा अवसर

                                                            

सरकार की यह पहल किसानों को नई दिशा देने वाली है। गेंदा फूल की मांग शादी-ब्याह और अन्य कार्यक्रमों में हमेशा ही बनी रहती है और ऐसे में इसकी खेती से किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा। साथ ही, वाहन योजना से उनकी उपज सीधे बाजार तक जाएगी और इससे किसान की बिचौलियों पर निर्भरता भी कम होगी।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।