
बर्फ का फूल लिविंग स्टोन डैजी Publish Date : 19/04/2025
बर्फ का फूल लिविंग स्टोन डैजी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
लिविंग स्टोन डैजी का पौधा लगभग 10 से.मी ऊंचा होता है तथा जमीन पर फैला हुआ होता है। इसके पत्ते थोड़े मोटे तथा लबे होते हैं। इस पौधे के पत्तों पर हमेशा ओस सी जमी रहती है। इसी लिए लोग इन्हें ‘बर्फ के फूल’ भी कहते हैं यह फूल 2.5 से.मी तक के व्यास वाले होते है। यह डबल शेड में भी होते हैं।
इन फूलों की पंखुड़ियां बीच से सफेद तथा किनारों से गहरे रंग की होती है। केन्द्र में इन फूलों का रंग बहुत गाढ़ा होता है। देखने में ये फूल ऐसे प्रतीत होते हैं मानो प्लास्टिक के फूल सजा रखे हों। बनावट में ये फूल कुछ-कुछ जरबेरा (फूल) की तरह होते हैं। एक फूल में 40-60 पंखुड़ियां होती हैं। जब ये फूल पूरी तरह खिलते हैं तो इस फूल का पौधा दिखायी नहीं देता। यह फूल धूप में खिलने वाला होता है। अतः हर फूल में धूप को प्राप्त करने की होड़ सी लगी रहती है।
इस फूल की एक और खास बात यह है कि यदि आकाश में बादल हो या बारिश हो रही हो तो यह फूल खिलता नहीं। इन्हें केवल खिलखिलाती धूप ही भाती है। रात में ये फूल बन्द हो जाते हैं। यह फूल कई रंगों में मिलता है। जैसे गुलाबी, क्रिमसन, पोला, संतरी लाल तथा सफेद आदि।
मैसेम्ब्राअन्थम की ऊंचाई कम होने के कारण, ये क्यारियों की आगे की पंक्तियों में बहुत सुन्दर लगते हैं। पीले फूलों के साथ गुलाबी रंग के ये फूल उद्यान की शोभा में चार-चांद लगा देते हैं। इसके अतिरिक्त ये गमलों तथा हैंगिग बास्केट के लिए भी बहुत उपयुक्त होते हैं। यह फूल रॉक गार्डन में काले रंग के पत्थरों के बीच बहुत ही सुन्दर दिखते हैं।
इन फूलों को क्यारियों में सीधे बीज छिड़क कर लगाया जाता है। इसके बाद क्यारी में से कुछ पौधों को उखाड़ कर अन्य स्थान पर भी लगा दिया जाता है। इन फूलों को मैदानी, भागों में सितम्बर-अक्टूबर के माह में तथा पहाड़ों क्षेत्रों में इन्हें मार्च-अप्रैल में लगाते हैं। इन फूलों को बोने से पहले क्यारी अच्छी तरह खोद कर तैयार करनी चाहिए। इन फूलों की क्यारी धूप में ही बनानी चाहिए। क्यारी में पानी के निकास का भी उचित प्रबन्ध होना चाहिए, क्योंकि अधिक पानी इनके लिए ठीक नहीं होता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।