पलायन से बंजर हुए खेतों से अब गुलाब व गुलमेहंदी की सुगंधित खेती      Publish Date : 18/03/2025

पलायन से बंजर हुए खेतों से अब गुलाब व गुलमेहंदी की सुगंधित खेती

                                                                                                 प्रोफेसर आर.एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

पिथोरागढ़ चीन-नेपाल सीमा से लगा उत्तराखंड का खूबसूरत सीमांत जिला पिथौरागढ़। प्रकृति की खूबसूरत वादियों और नेमतों के बाद भी पलायन का दंश झेलते सुदूरवर्ती गांव व बंजर हो चुके खेतों की तस्वीर बीते कुछ सालों में बदली है। यहां के दर्जन भर से अधिक गांव गुलाब, गुलमेहंदी और कैमोमाइल (बबूना) के फूलों से महाक उठे हैं। चार साल पूर्व बबवंत सिंह सामंत ने यहां खुशहाली लौटाने का जो प्रण लिया, उसे पूरा कर दिया है। जैविक खेती से सैकड़ों हाथों को काम मिल रहा है और यहां तैयार हो रहे शुद्ध हिमालयी शहद व बद्री गाय के घी का स्वाद देश-प्रदेश तक पहुंच रहा है।

                                                      

नेपाल सीमा से लगे बर्फीली पहाड़ियों के बीच तहसील डीडीहाट में स्थित है परमा गांव। यहां की प्रगतिशील काश्तकार हैं बबीता सिंह। पति महेंद्र सिंह सामंत नेवी में अफसर हैं। शहर की बजाय बबीता ने गांव में रहने का मन बनाया। चार साल पहले उन्होंने गांव के बंजर खेतों में हरियाली लौटाने के बारे में सोचा, जिससे पहाड़ पर रहने वाली अन्य महिलाओं के चेहरों पर भी खुशी लाई जा सके। उन्होंने गांव की महिलाओं को प्रेरित किया।

सिंचाई के लिए आसपास के प्राकृतिक जलस्रोतों से पाइपों के द्वारा गांव तक पानी पहुंचाया। पोर्टेबल ट्रैक्टर खरीद कर खेतों की जुताई की। पहले साल पारंपरिक गोबर व कंपोस्ट खाद से पारंपरिक गेहूं और धान की खेती के साथ कुछ नकदी फसलें जैसे अदरक, हल्दी, करी पत्त्ता और अन्य जड़ी-बूटियों की खेती आरम्भ कर दी। फिर सेंटर आफ एरोमैटिक प्लांट देहरादून जाकर सगंध पौधों के बारे में जानकारी प्राप्त की और फूलों की खेती शुरू की। एक वर्ष बाद गुलाब, गुलमेहंदी, बबूना समेत कई प्रकार के फूलों की खेती पर फोकस किया। बबीता सिंह को हाल में उत्तराखंड सरकार ने प्रगतिशील महिला किसान सम्मान से सम्मानित किया है।

                                                  

बाजार तक बनाई पहुंच, डीएम भी उत्सुक

पर्वतीय क्षेत्रों में अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने और उनकी वाजिब कीमत प्राप्त करना भी बड़ी चुनौती होती है। बबीता के समक्ष भी जब यही संकट उभरा तो उन्होंने अपने उत्पाद को प्रदेश व देश के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर (आरबीआइ) से जुडकर प्रमाणन, प्रशिक्षण, मार्केटिंग और ग्राहक वर्ग तलाशने में महारत हासिल की। धीरे-धीरे मांग बढने लगी और उनके उत्पाद देहरादून-दिल्ली सहित अन्य शहरों में पहुंचने लगे।

हाल में जिला उद्यान अधिकारी पीसी वर्मा, भूमि संरक्षण अधिकारी पूजा पुनेडा, बीडीओ प्रेम राम, सेंटर आफ एरोमैटिक प्लांट सेलाकुई देहरादून की विशेषज्ञ विजय बमोला व विज्ञानियों की टीम ने बबीता के खेत व प्लांट का निरीक्षण कर खूब प्रशंसा की। कंपनी के उत्पादों को देख चुके जिलाधिकारी वी जी गोस्वामी भी गांव भ्रमण को उत्सुक है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।