गर्भपात के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार      Publish Date : 09/10/2025

                  गर्भपात के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

                                                                                                                                                                            डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

आमतौर पर देखा जाता है कि कोई महिला मां बनना तो चाहती है, लेकिन किसी शारीरिक या अन्य प्रकार के विकार के कारण वह मां नहीं बन पाती है। यह परेशानी विभिन्न पकार के विकारों के कारण होती है। गर्भपात की समस्या भी एक ऐसा ही एक विकार है। दुनिया की अनेक महिलाओं में गर्भपात की समस्या होती है। कई बार जब शुरुआती महीनों में गर्भपात होता है तो अनेक महिलाओं को गर्भपात के लक्षणों को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में यदि आप भी गर्भपात होने की समस्या से परेशान हैं, और गर्भपात के कारण या गर्भपात रोकने के उपाय के बारे में जानना चाहती हैं, तो हमारा आज का यह लेख आपके लिए ही है।

                                                              

माना जाता है कि 80 प्रतिशत मामलों में गर्भपात, गर्भधारण के 0-13 सप्ताह के अंदर ही हो जाता है। यदि किसी महिला में अनुवांशिक अनियमितता है तो उसका गर्भपात 0-13 सप्ताह के बीच में हो जाता है। वहीं 0-6 सप्ताह में गर्भपात होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए प्रसव से पहले होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए प्रस्तुत लेख में कुछ उपाय बताए जा रहे हैं। आप इन घरेलू उपायों की सहायता से होने वाले गर्भपात को रोकने में सहायता प्राप्त कर सकती हैं। हमारे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ0 सुशील शर्मा आपको बता रहें हैं इन उपायों के संदर्भ में-

वास्तव में क्या है गर्भपात?

प्रसव का समय से पहले भ्रूण का गर्भ से बाहर आ जाना गर्भपात या गर्भस्राव कहलाता है। गर्भपात को अंग्रेजी में मिसकैरेज (Miscarriage) कहते हैं। चार महीने तक के गर्भ में मांस नहीं होता है, इसलिए इस अवधि में होने वाले गर्भपात में पीरियड की तरह से ही योनि से केवल खून निकलता है। जिसे गर्भपात या गर्भस्राव कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन प्रकार के दोष वात, पित्त और कफ होते हैं, जिनके असंतुलित होने के कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के विकार पैदा होते हैं। इसी प्रकार गर्भास्था में वात दोष का असंतुलन हो जाने से गर्भवती महिला का गर्भपात या गर्भस्राव होने की आशंका बढ़ जाती है।

गर्भपात (गर्भ गिरने) होने के कारणः

कभी-कभी गर्भपात, गर्भाशय (Uterus) की कमजोरी के कारण भी हो सकता है। जिसे गर्भाशय ग्रीवा की क्षमता में कमी (Cervical Incompetence) कहा जाता है। जिसके कारण भ्रूण गर्भ में नहीं रुक पाता है। इस प्रकार 80 प्रतिशत गर्भपात 0-13 सप्ताह के दौरान हो जाते है। 0-6 सप्ताह में गर्भपात होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए इस समय के दौरान गर्भपात होने की आशंका बहुत अधिक होती है जिसमें महिलाओं को पता नहीं चलता है कि यह प्रेग्नेंसी है या मासिक धर्म की अनियमितता है। सर्विकल अपर्याप्तता के चलते गर्भपात दूसरी तिमाही में हो जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:-

  • संक्रमण (Infection) ।
  • विभिन्न हॉर्मोनल समस्याएं जैसे प्रोजेस्ट्रान की कमी या एस्ट्रोजन की अधिकता होना।
  • ब्लड शुगर और थायरायड आदि के जैसे रोग।

अब सबसे अहम सवाल यह उठता है कि आखिर किसी महिला को बार-बार गर्भपात क्यों हो जाता है। महिलाओं का इम्यून सिस्टम का कमजोर होना भी गर्भपात में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण गर्भवती महिलाएं संक्रमण रोग (Infecious Disease) का शिकार हो जाती हैं और इसके कारण गर्भपात हो सकता है।

हॉर्मोन्स- महिलाओं में विशेष रूप से कुछ हॉर्मोन्स जैसे; प्रोजेस्ट्रान, एस्ट्रोजन हॉर्मोन्स आदि पाये जाते हैं जो गर्भ की रक्षा करते हैं। अगर गर्भिणी महिला में यह हॉर्मोन्स असमान या असंतुलित हो जायें तो महिला का गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है।

अधिक उम्र- महिलाओं की अधिक उम्र होने पर भी गर्भपात का जोखिम हो सकता है, क्योंकि अंडाणु की खराब गुणवत्ता होना इसका मुख्य कारण होता है। कभी-कभी माता-पिता के जीन (Genes) में अनियमितता हो जाती है तो इसके कारण गर्भाशय में बच्चा अधिक गंभीर हो जाता है और गर्भपात हो जाता है।

अनुवांशिक अनियमितता- क्रोमोसोम (Chromosoms) का अनियमित होना बार-बार गर्भपात होने का एक मुख्य कारण होता है।

ब्लड-ग्रुपः यदि किसी गर्भवती महिला का ब्लड ग्रुप आर.एच. निगेटिव (Rh-) है और बच्चे का ब्लड ग्रुप आर.एच. पोजिटिव (Rh+) है तो गर्भपात होने की समस्या आ सकती है, क्योंकि बच्चे की रक्त कोशिकाएं (Blood Cells) माँ के खून से नहीं मिल पाती है, जिसके कारण गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है। कुछ महिलाएं गर्भावस्था में खून की कमी का शिकार हो जाती हैं जिसके चलते गर्भपात हो जाता है।

इनके अलावा कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे-

  • अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करना।
  • गर्भवती महिला का अत्याधिक धूम्रपान करना।
  • अधिक मात्रा में कैफीन युक्त पदार्थ का सेवन करना।
  • एल्कोहल/शराब का सेवन करना आदि।

गर्भपात (गर्भ गिरने) के लक्षणः

                                                               

गर्भाशय ग्रीवा की कमजोरी के कारण होने वाले गर्भपात के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं-

महिला को अचानक गर्भाशय में दबाव महसूस होने लगता है जिसके चलते बच्चेदानी फट जाती है और उससे पानी बाहर निकलने लगता है और इस दौरान भ्रमण बिना किसी दर्द के ही गर्भ से बाहर निकल जाता है।

गर्भपात से बचने के सम्भावित उपायः

गर्भपात होने के संभावना को कम करने के लिए आहार और जीवनशैली के सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार से हो सकते हैं-

आहार और जीवनशैली में आवश्यक बदलावः

विटामिन सीः विटामिन सी किसी भी इन्सान के लिए काफी अहम होता है, क्योंकि यह विटामिन आपके शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है, लेकिन अक्सर नेचुरली एबार्शन (गर्भपात) करने के लिए विटामिन-सी का इस्तेमाल करने के लिए सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर गर्भिणी को बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन-सी का सेवन कराया जाय तो उसका अपने आप गर्भपात हो जाता है। अगर किसी गर्भिणी को विटामिन-सी वाले फल विशेष रूप से आँवला आदि का सेवन अधिक मात्रा में कराया जाए तो गर्भपात होने की पूरी संभावना बन जाती है। इसलिए विटामिन-सी युक्त आहार का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से बचे।

पुदीना- पुदीने का तेल या पुदीने की चाय का रोज सेवन करने से गर्भपात हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था में इनके सेवन से परहेज करें।

पपीता और अनानास का सेवन- गर्भपात के लिए पपीते के बारे में आप सभी ने सुना ही होगा, क्योंकि हर गर्भवती स्त्री को यह सलाह दी जाती है कि वो पपीते से दूर रहे वरना उन्हें भी गर्भ से जुड़ी समस्या हो सकती है, क्योंकि पपीते और अनानास में पपेन नाम का रसायन पाया जाता है जो गर्भपात को बढ़ावा देता है। इसलिए प्रेग्नेन्सी के समय पपीता व अनानास आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

ग्रीन टी- ग्रीन-टी का इस्तेमाल तो आजकल हर घर में होता है क्योंकि ग्रीन टी या हरी चाय से शरीर में कई फायदे होते हैं जैसे कि वजन कम करना, शरीर को चुस्त रखना और हृदय को स्वस्थ रखना आदि। लेकिन यदि इसका इस्तेमाल गर्भवती स्त्रियाँ करती हैं तो गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।

कम फाइबर स्टार्च- इंस्टेट चावल, अण्डा, नूडल्स खाने से परहेज करें।

वसायुक्त पदार्थ जैस मक्खन और पनीर आदि का सेवन करने से बचें।

जंकफूड- जंकफूड जैसे; पिज्जा, बर्गर, कोल्ड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि हो सके तो बिल्कुल न खाए।

मिठाई- उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले मीठे खाद्य पदार्थों से बचे क्योंकि यह रक्त में शर्करा या ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकते हैं।

गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए स्वयं को मानसिक एवं शाररिक रूप से गर्भावस्था के लिए समय पहले तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण हैं।

  • गर्भधारण करने के लिए अपने शरीर को तैयार करें।
  • इसके लिए प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले पौष्टिक आहार अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  • प्रतिदिन अपने पेट की मालिश हल्के हाथ से करें।
  • दिमाग से तनाव को दूर रखनें का प्रयास करें और शरीर को पूरी तरह से आराम दें।
  • रोज 600 आई.यू विटामिन-ई युक्त पदार्थ अधिक मात्रा में सेवन करें, यदि आपको हाई बी.पी., हृदय रोग या शुगर है तो केवल 50 आई.यू विटामिन-ई ग्रहण करे।
  • अधिक भारी समान को उठाने का प्रयास न करें।
  • जंक-फूड, तेल, मिर्च मसाला वाला खाना बिल्कुल न खाएं।
  • नियमित रूप से अपना चेकअप कराते रहें।
  • स्वस्थ भोजन करें।

गर्भपात को रोकने के कुछ घरेलू उपाय:

गर्भपात को रोकने के लिए कुछ घरेलू उपाय भी आपकी मदद कर सकते हैं। ऐसे ही कुछ प्रमुख घरेलू उपाय अग्रलिखित हैं-

गर्भपात रोकने का घरेलू उपाय हींगः

प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अपने खाने में हींग का प्रयोग अवश्य करना चाहिए, इससे महिलाओं में गर्भपात की समस्या कम हो जाती है। अतः शुरुआती महीनों में महिलाओं को गर्भपात के खतरे से बचने के लिए हींग को अपने रोज के खाने में शामिल करना चाहिए।

गर्भपात रोकने में अनार का पत्ता

यदि अचानक ही गर्भवती महिला को रक्तस्राव (खून) बहने लगा हो तो अनार के ताजा पत्ते (100 ग्राम) लेकर पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर छान लें। छने हुए पानी या जूस को गर्भवती महिला को पिला दें। छने हुए पानी के बाद बचे हुए लेप को पेट के निचले भाग यानि पेडू पर लगा दे, ऐसा करने से रक्तस्राव या खून बहना बन्द हो जाएगा।

विटामिन सी का सेवन संतुलित मात्रा में करें:

प्रेंग्नेंसी के दौरान महिलाओं को विटामिन-सी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि यह विटामिन आयरन की कमी को पूरा करता है और भ्रूण के विकास में भी मदद करता है। यह शिशु की इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। विटामिन-सी के विभिन्न स्रोत जैसे; पत्ता गोभी, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, संतरा आदि को खाने में प्राथमिकता देनी चाहिए, साथ ही इस बात का हमेशा ध्यान में रखें कि विटामिन-सी का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में कदापि न करें।

गर्भपात को रोकने में फायदेमंद है गाजरः

गर्भावस्था में एक गिलास दूध में एक गाजर का रस मिलाकर उबालें, जब यह आधा रह जाए तो इसे गर्भवती महिला को पीने के लिए देना चाहिए। इसका प्रयोग प्रतिदिन करना अधिक लाभकारी होता है। ऐसी महिलाएं जिन्हें गर्भ नहीं ठहर रहा हो वह भी इस नुस्खे को आजमा सकती हैं, इसका प्रयोग करने से अवश्य ही लाभ मिलेगा। यह नुस्खा बहुत-सी महिलाओं के लिए कारगर साबित हुआ है।

गर्भपात रोकने में लाभ देता है काला चना का सेवन करनाः

यदि आपको गर्भपात हो जाने का भय लगातार बना रहता है तो ऐसे हालात में काले चने का काढ़ा बहुत लाभप्रद होता है। यह भी गर्भपात की संभावनाओं को कम करता है।

गर्भपात रोकने में सोंठ का उपयोगः

गर्भधारण करते ही गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 250 ग्राम दूध में आधी चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच मुलहठी मिलाकर पीने से भी गर्भपात का खतरा कम होता है।

गर्भपात पर रोक लगाएं पलाश के पत्तों सेः

गर्भधारण के लिए पलाश के पत्ते किसी वरदान से कम नहीं है। गर्भधारण के पहले महीने में एक पत्ता, दूसरे महीने में दो पत्ते इसी तरह हर महीने के हिसाब से उतने ही पत्ते दूध में मिलाकर गर्भवती स्त्री को दिया जाए तो उसका गर्भ सुरक्षित रहता है।

गर्भपात की समस्या में लौकी का जूसः

जिन महिलाओं को बार-बार गर्भपात की समस्या होती है उन महिलाओं को नियमित तौर पर लौकी का जूस या सब्जी खिलानी चाहिए।

गर्भपात रोकने में सहायक फिटकरीः

जिन महिलाओं को गर्भावस्था के कुछ समय बाद खून आने लगता है और जिसके कारण गर्भपात होने का अंदेशा रहता है तो उस समय एक चम्मच पिसी हुई फिटकरी को कच्चे दूध के साथ पानी मिलाकर लेने से गर्भपात रुक जाता है।

गर्भपात रोकने में सहायक है धतूराः

गर्भवती स्त्रियों में धतूरे के जड़ की माला बनाकर पेट के नीचे बाँध देना चाहिए। ऐसा करने से बार-बार हो रहे गर्भपात की समस्या कम हो जाती है।

जौ का सेवन करे गर्भपात रोकने के लिएः

12 ग्राम जौ के आटे को 12 ग्राम पिसे काले तिल और 12 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर आधा-आधा चम्मच रोज शहद के साथ चाटने से गर्भपात का खतरा दूर होता है। इससे बार-बार होने वाला गर्भपात भी रुक जाता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

महिलाओं को जब गर्भवती होने की जानकारी मिलती है तो उसी समय डॉक्टर से सम्पर्क कर लेना चाहिए, क्योंकि गर्भपात 80 प्रतिशत महीने के शुरुआती दिनों में अधिक होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को महीने की शुरुआती दिनों में डॉक्टर से सम्पर्क कर लेना चाहिए, जिससे कि पता चल सके कि आप और आपका बच्चा स्वस्थ है या नहीं।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।