
गर्भवती महिलाओं, स्कूली छात्राओं एवं बच्चों में आयरन की कमी Publish Date : 30/09/2025
गर्भवती महिलाओं, स्कूली छात्राओं एवं बच्चों में आयरन की कमी
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
केंद्र सरकार एक लंबे समय से गर्भवती महिलाओं स्कूली छात्र और बच्चों को आयरन एवं फोलिक एसिड की खुराक देकर उनमें होने वाले एनीमिया दूर करने के लिए एक व्यापक अभियान चला रही है। चूँकि वर्ष 2047 तक स्किल सेल एनीमिया मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इस लक्ष्य को पूरा करने में आयुर्वेद एक अहम भूमिका निभा सकता है।
आयुष मंत्रालय की ओर से एनीमिया पीड़ितों को लौह भस्म से बने सिरप, चूर्ण और गोली खिलाने पर जोर देने की पहल की गई है। विश्व आयुर्वेद परिषद की ओर से भी एक विशेष अभियान चलाया गया है, जिसके अन्तर्गत स्कूली बालिकाओं के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है और जिन बालिकाओं में खून की कमी मिल रही है उन्हें धात्री लोगों के द्वारा औषधि एवं पोषक आहार में गुड़-चना किट व एक पंपलेट भी दिया जा रहा है।
शिक्षकों की माने तो लौह तत्व की अधिकता वाल लौह भस्म के मिश्रण से धात्री औषधि तैयार की जाती है और इसका सेवन सिरप, चूर्ण और गोली के रूप में किया जा सकता हैं।
आँवला महिलाओं, छात्राओं और बच्चों के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने के साथ ही साथ त्वचा की चमक और आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है। शरीर में आयरन के पोषण के लिए अमृत की पूर्ति आँवला बखूबी करता है। रोजाना एक आंवला का सेवन करने से शरीर की शुगर भी नियंत्रित रहती है। इसी प्रकार अंगूर में पाए जाने वाले कुछ रसायन और औषधीय गुणधर्म शरीर में खून की मात्रा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर सिद्व होता है।
यह शरीर को ताकत देने के साथ ही साथ शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी सही बनाए रखता है। इसीके परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2047 तक स्किल सेल मेनिया मुक्त भारत का लक्ष्य रखा गया है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास भी किए जा रहे हैं। एनीमिया नामक रोग में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या या उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। आयुर्वेद में इस रोग को पांडू रोग के नाम से जाना जाता हैं।
आयुर्वेद के अनुसार पांडू रोग रस दोष व्याधि यानी आहार के रस से रक्त के निर्माण की प्रक्रिया में गड़बड़ी को कहा जाता है। शोध के परिणामों के अनुसार इस समय हमारे देश में 50 प्रतिशत लोग एनीमिक हैं, जबकि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का स्तर लगभग 70 से भी अधिक है। इस रोग के कारण थोड़ से परिश्रम से अधिक थकान होना, शरीर का रंग पीला पड़ जाना, सामान्य कमजोरी, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, सांस फूलना, दिल की धड़कन का बढ़ना, चेहरे पर सूजन होना और अनियंत्रित मासिक धर्म आदि के जैस अनेक लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए समय पर चिकित्सक से सलाह लेकर अपने आपको स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।