
आयुर्वेद क्या क्या है? Publish Date : 25/09/2025
आयुर्वेद क्या क्या है?
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
आयुर्वेद प्रकृति पर आधारित विज्ञान है। इस कारण प्रकृति का संरक्षण ही आयुर्वेद का संरक्षण है। यह हम सब की चिंता का विषय होना चाहिए कि आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किए जाने वाली वनस्पतियां और खनिज आदि वस्तुएं दुर्लभ होती जा रही हैं या फिर उनकी उपलब्धता कम होती जा रही है। इन्हें सुरक्षित करना आयुर्वेद के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। वन संरक्षकों एवं किसानों को औषधि के रूप में प्रयोग की जाने वाली वानस्पतिक पौधों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसका लाभ केवल आयुर्वेद को ही नहीं बल्कि ग्रामीण और विशेष रूप से किसानों को भी होगा।
आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता स्थापित करने के लिए मानक नियमों का पालन भी वर्तमान समय की मांग है। आयुर्वेद की विश्व में वृद्धि के लिए यह भी अनिवार्य है कि आयुर्वेदिक औषधियां की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक शोध को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह कार्य आयुर्वेद से जुड़े संस्थानों को विशेष रूप से करना होगा और साथ ही यह कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया भी जाना चाहिए, क्योंकि मानव को संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने वाला विज्ञान यही है।
इससे स्वदेशी को बढ़ावा भी मिलेगा और लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। भारत सरकार को इस पर अधिक ध्यान देना होगा कि आयुर्वेद की महत्वता विश्व स्तर पर कैसे और अधिक स्थापित की जा सकती है। आयुर्वेद के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए युवाओं में इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न करने की भी महत्ती आवश्यकता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति विज्ञान सम्मत पद्वति है। अभी अपने देश में जनसंख्या के सापेक्ष पर्याप्त संख्या में आयुर्वेदिक चिकित्सा भी उपलब्ध नहीं है। लोगों और विशेष कर विवादों को यह समझना होगा कि मानव स्वास्थ्य की वास्तविक पूंजी आयुर्वेद में ही निहित है और आत्मा, इंद्रियों और मन की प्रसन्नता आयुर्वेद के माध्यम से ही संभव है। आयुर्वेद शरीर मन और चिंता में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और आज की आधुनिक जीवन शैली में इसकी आवश्यकता कहीं अधिक बढ़ जाती है और इस आवश्यकता की पूर्ति ही आयुर्वेद दिवस को सार्थक बनाती है।
आयुर्वेद हर व्यक्ति को जीवन का ज्ञान देता है और यह हर वह व्यक्ति जो स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना करता है। लोगों को आयुर्वेद की ओर ध्यान देना चाहिए और इसको अपनाना चाहिए। उन्हें आयुर्वेद को जानना व अपनाना चाहिए क्योंकि आयुर्वेद न केवल मनुष्य को निरोग रखने का अवसर प्रदान करता है बल्कि स्वस्थ और संतृप्त जीवन जीने का संदेश भी देता है। आयुर्वेद इसलिए विशिष्ट है क्योंकि वह शरीर की व्याधियों को दूर करने के साथ मन के रोगों का भी निदान करता है।
इसलिए योग और ध्यान भी आयुर्वेद के अंग है और मान्यता है कि आयुर्वेद को स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान धन्वंतरि और उनके उपरांत विभिन्न ऋषियों एवं महर्षियों जैसे सूसूर्त, चरक आदि द्वारा जनकल्याण हेतु प्रतिपादित किया गया।
आयुर्वेदिक की मान्यता है कि ब्रह्मांड हो या सूक्ष्म से सूक्ष्मजीव सभी का मूल एक ही है यही पांच महामुक्त शरीर में दोष धातु एवं माल के रूप में विद्यमान रहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोष बात, पित्त और कफ माने गए हैं।
इन दोषों की सम अवस्था की मनुष्य में स्वास्थ्य को परिभाषित करती है। वर्तमान में जहां अधिकांश चिकित्सा पद्धति विशेष कर पश्चिमी चिकित्सा पद्धति मात्रा मनुष्य के भौतिक शरीर के रोगों को ठीक करने पर केंद्रित है वही आयुर्वेदिक जीवन के सभी क्षेत्रों में मनुष्य के सर्वांगीण विकास में सहायक है। इसलिए उसे संपूर्ण चिकित्सा पद्धति कहा गया है। आयुर्वेद के अन्तर्गत दिनचर्या, ऋतुचर्या, योग और आहार आदि मूलभूत जीवन शैली द्वारा एवं प्रकृति से प्राप्त हानि रहित फल फूल जड़ी बूटी खनिजों इत्यादि द्वारा चिकित्सा का प्रावधान केवल और केवल आयुर्वेद में ही पाया जाता है।
आयुर्वेद हमें सिखाता है कि कैसे जीवन में अप्राप्त को प्राप्त किया जाए, प्राप्त का आरक्षण किया जाए और उसकी सुरक्षित की वृद्धि की जाए एवं जो वर्जित है उसका त्याग किया जाए। यही स्वास्थ्य एवं खुशी जीवन का मूल मंत्र है। भारतवर्ष में प्रारंभ से ही आयुर्वेद हमारी संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग रहा है परन्तु कालांतर में आक्रांताओं द्वारा भारतीय संस्कृति को नष्ट करने की प्रवृत्ति एवं दासता की मानसिकता के चलते आयुर्वेद का क्षरण हुआ।
इसके उपरांत अंग्रेजी सत्ता में आयुर्वेद को समाप्त करने का प्रयास किया गया और आयुर्वेद को निश्चित प्रभावी बनाकर पश्चिमी चिकित्सा को ही महत्व दिया गया। आयुर्वेद को श्रीहीन करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों, वेदों को झोलाछाप अर्थात नकली डॉक्टर कहा गया।
कोविड महामारी के समय आयुर्वेदिक औषधियां करोना वायरस के प्रभाव को समाप्त करने और रूप प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुई। इस कारण आयुर्वेद के प्रति पुनः विश्वास एवं रुचि जागृत हुई। वर्तमान में भारत सरकार एवं उसकी संस्थाओं द्वारा आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएं शुरू करने के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा की सुविधाएं बढ़ाने के जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनसे भी आयुर्वेद का प्रभाव और उसके प्रति भरोसा लोगों का बढ़ता जा रहा है। अब शरीर मन और चेतना में संतुलन बनाने वाले आयुर्वेद की आवश्यकता आधुनिक जीवन शैली में और अधिक बढ़ गई है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।