मधुमेह के रोगी सोच समझकर रखें उपवास      Publish Date : 20/08/2025

           मधुमेह के रोगी सोच समझकर रखें उपवास

                                                                                                                                          डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा  

कई धर्मों में उपवास को किसी न किसी रूप में काफी महत्व दिया गया है। उपवास के अनेक शारीरिक व मानसिक लाभ हैं, लेकिन डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त लोगों को उपवास के दौरान कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है।

शरीर के स्वस्थ के लिए भोजन बति आवश्यक होता है। इसके बावजूद भारतीय संस्कृति में भोजन के त्याग को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक संदर्भ में भोजन शरीर को पोषण प्रदान करता है तो उपवास आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। अधिकांश धर्म उपवास को शुद्धिकरण या तपस्या का का एक सशक्त माध्यम मानते हैं। इसलिए अनेक धर्मों में उपवास को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है।

उपवास में आहार योजना

                                                        

उपवास विभिन्न तरीकों से किया जाता है। यह रात भर (सूर्यास्त से सूर्योदय तक) या पूरे दिन (सूर्योदय से सूर्यास्त तक) रखा जाता है। जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने की मान्यता है। इसके अलावा धार्मिक उपवास भी हो सकता है। यह साप्ताहिक (सप्ताह में एक बार) या मासिक (महीने में एक बार) रखा जाता है या फिर विस्तारित अवधि के लिए जैसे नवरात्र और रमजान के दौरान क्रमशः 9 दिन या पूरे महीने के लिए रखा जाता है।

प्रायः ऐसा देखा गया है कि नवरात्र के उपवास के दौरान लोग आलु, साबूदाना और अरबी जैसे उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थों का सेवन अधिकता से करते हैं, जो अक्सर उनकी रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को प्रभावित करते हैं। प्रायः ऐसा भी देखा गया है कि जो लोग रमजान के दौरान रोजा रखते हैं, वे अपने इफ्तार को तोड़ते हुए अक्सर भारी भोजन का सेवन करते हैं, जो रोजा से प्राप्त होने वाले लाभों को कम कर देता है।

वजन नियंत्रण सम्बन्धित आहार

वजन को कम करने के माध्यम के रूप में भी उपवास ने लोगों को अपनी ओर काफी आकर्षित किया है। पारंपरिक तौर पर वजन को कम करने के लिए दैनिक कैलोरी सेवन में लगभग 20 से 25 प्रतिशत कमी करना अनिवार्य होता है, हालांकि इसका पालन करना लोगों के लिए प्रायः थोड़ा कठिन हो जाता है। वजन कम करने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है। अपने आहार में फलों, सब्जियों और प्रोटीन को वरीयता देना और व्यायाम करना वजन कम करने में सहायक हो सकता है।

बेहतर तो यही होगा कि वजन कम करने संदर्भ में आप अपने आहार विशेषज्ञ से बात करें और ऐसे आहार का चयन करें, जिसके साथ आप सहज हों, जो पौष्टिक हो और जो दीर्घकाल तक आपके के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव भी न छोड़ें।

डायबिटीज के रोगियों पर प्रभाव

भारतीय धर्म संस्कृति की मान्यता है कि उपवास हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। उपवास रखने का निर्णय सर्वथा व्यक्तिगत ही होता है, लेकिन मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या से ग्रस्त लोगों को उपवास का निर्णय धार्मिक दिशा-निर्देशों में दी गई छूट को ध्यान में रखकर और उपवास से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए ही करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों में उपवास दौरान कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे हाइपोग्लाइसीमिया या रक्त शर्करा (ब्लड शुगर का कम हो जाना और हाईस्लाइसीमिया (ब्लड शुगर का बढ़ जाना) आदि।

वास्तव में क्या है हाइपोग्लाइसीमिया?

                                                        

जब डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त यक्ति उपवास करते हैं, तो उन्हें आम दिनों की तुलना में कई घंटों तक खाली पेट रहना पड़ता है। इसके कारण उनके खून में ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है, और इस स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। यह स्थिति घातक भी सिद्व हो सकती है।

ब्लड शुगर कम होने के लक्षणः आमतौर पर 70 एम. जी./डी एलैब या इससे कम रक्त शर्करा होने पर कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं। जैसे- अचानक पसीना आना और शरीर में कमजोरी या कंपन होना, दिल की धड़कन तेज होना आदि।

ऐसे करें नियंत्रितः हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति होने पर शहद, कर्म, ग्लूकोज लेकर रक्त शर्करा में आई कमी को दूर किया जा सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति से बचने के लिए नियमित रूप से रक्त शर्करा के स्तर को नापते रहें और उपवास के दौरान लगभग हर तीन घंटे के अंतराल पर स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ जैसे फल, सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, पिस्ता), छाछ और सलाद आदि का सेवन करते रहना चहिए।

ध्यान दें

टाइप टू डायबिटीज से ग्रस्त ऐसे व्यक्ति जो केवल संतुलित आहार और व्यायाम आदि से अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर रहे हैं, वे उपवास कर सकते हैं। ऐसे संतुलित आहार के साथ दवाओं की भी आवश्यकता व्यक्ति जिन्हें डायबिटीजको नियंत्रित करने के लिए पड़ती है, वे निम्न सुझावों का पालन करते हुए उपवास कर सकते हैं-.

डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त लोगों को उपवास से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है, ताकि डॉक्टर आपकी दवाओं की खुराक में परिवर्तन कर सके और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जानकारी प्रदान कर सके। यह जरूरी है कि आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवा का सेवन करें।

उपवास के दौरान धीरे-धीरे अवशोषित होने वाले खाद्य पदार्थ जैसे सब्जियां, सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, पिस्ता आदि), छाछ, मखाना और ऐसे फलों का सेवन करें, जिनमें फाइबर की मात्रा अधिक हो। फलों से पेट भरा हुआ रहता है और खून में ग्लूकोज की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।

उपवास पूर्ण होने के बाद आवश्यकता से अधिक कदापि नही खाना चाहिए। कुछ लोग उपवास पूरा होने के बाद खाते समय बहुत अधिक कैलोरी युक्त आहार लेते हैं, परंतु डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे उपवास तोड़ते समय ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जिनमें वसा, कार्बोहाइड्रेट और चीनी कम मात्रा में हो। बेक किए हुए पदार्थ सबसे अच्छे होते हैं। उपवास में तले हुए आलू, मूंगफली, चिप्स, पापड़ और पूड़ी-कचौड़ी आदि खाने से परहेज करना चाहिए।

उपवास के दौरान शुगर बढ़ने के अलावा डीहाइड्रेशन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, दूध जैसे तरल पेय पदार्थों का सही मात्रा में सेवन सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

ऐसे व्यक्ति जो डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवाओं के साथ इंसुलिन पर भी निर्भर हों, वे दिन में तीन से चार बार रक्त में ग्लूकोज की जांच जरूर करें। ग्लूकोमीटर के जरिए उपवास के दौरान नियमित रूप से घर पर ही शुगर की जांच की जा सकती है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।