
Insomnia का आयुर्वेदिक उपचार Publish Date : 15/08/2025
Insomnia का आयुर्वेदिक उपचार
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
शरीर थका होता है, आँखें भारी होती हैं, लेकिन दिमाग़ चल रहा होता है। कल की मीटिंग, अधूरा प्रोजेक्ट, परिवार की ज़िम्मेदारियाँ या कोई अन्य पुराना तनाव। आप बिस्तर पर जाते हैं, लेकिन नींद नहीं आती। करवटें बदलते हुए सुबह के तीन बज जाते हैं, और फिर आप सुबह थके हुए ही उठते हैं।
अगर आपके साथ यह स्थिति अक्सर होती है, तो यह स्थिति सामान्य नहीं है। हो सकता है कि आपको अनिद्रा ;प्देवउदपंद्ध की समस्या हो, और इसे समय रहते समझना और उपचार कराना बेहद ज़रूरी है।
आयुर्वेद में नींद को ‘‘निद्रा’’ कहा गया है और इसे जीवन के तीन स्तंभों में से एक माना गया है। यानी नींद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का मूल आधार भी है। आइए समझते हैं कि अनिद्रा क्या है, इसके कारण क्या हैं, और आयुर्वेद इसमें आपकी कैसे सहायता कर सकता है।
अनिद्रा (Isomnia) क्या है?
प्देवउदपं एक ऐसी स्थिति है जिसके अन्तर्गत प्रभावित व्यक्ति को नींद आने में परेशानी होने लगती है या वह बार-बार नींद से जाग जाता है। कभी-कभी नींद आती भी है, लेकिन गहरी नहीं होती और सुबह उठने पर शरीर थका हुआ महसूस करता है।
इसकी दो प्रमुख अवस्थाएँ होती हैं:
Acute Insomnia: यह स्थिति कुछ दिनों या कुछ हफ़्तों तक बनी रह सकती है, आमतौर पर तनाव या किसी बदलाव के कारण ऐसा होता है।
Chronic Isomnia: जब नींद की समस्या महीने भर या उससे अधिक समय तक बनी रहती है तो इसे Chronic Insomnia कहते हैं।
अनिद्रा के लक्षण
आपको कैसे पता चलेगा कि यह सिर्फ एक-दो दिन की थकावट है या Insomnia की शुरुआत? तो आप निम्न लक्षणों पर ध्यान दें:
- नींद आने में अधिक समय लगना (30 मिनट से अधिक)।
- रात में बार-बार नींद का टूटना।
- सुबह बहुत जल्दी जाग जाना।
- सोकर उठने के बाद भी थकान महसूस होना।
- दिनभर नींद आना लेकिन रात में सो न पाना।
- चिड़चिड़ापन, बेचैनी या मूड स्विंग्स की समस्या।
नींद न आने के कारण
नींद न आना यानी अनिद्रा की समस्या किसी एक कारण से नहीं होती। यह अक्सर कई शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक कारणों के मेल से पैदा होती है।
मानसिक तनाव और चिंताः अगर आपका दिमाग़ किसी बात को लेकर चिंतित है, कोई निर्णय लेने का दबाव है या रिश्तों की उलझनों से आप परेशान हैं, तो यह बेचैनी दिमाग़ को आराम नहीं करने देती और इससे नींद बाधित होती है।
स्क्रीन टाइम का अधिक होनाः मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन नामक नींद लाने वाले हार्माेन को दबा देती है। इसके कारण दिमाग़ को यह संकेत नहीं मिल पाता कि अब सोने का समय है।
अनियमित दिनचर्याः अगर आप हर दिन अलग-अलग समय पर सोते और उठते हैं, देर रात तक काम करते हैं या रात को भारी भोजन करते हैं, तो यह आदतें आपकी बॉडी क्लॉक को बिगाड़ देती हैं। इससे नींद का नेचुरल पैटर्न गड़बड़ा जाता है।
चाय, कॉफी और शराब का अधिक सेवनः इन चीज़ों में मौजूद स्टिमुलेंट्स दिमाग़ को सक्रिय कर देते हैं। अगर आप शाम या रात में इनका सेवन करते हैं, तो यह नींद आने में देरी कर सकते हैं या नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
शारीरिक बीमारियाँ और दवाइयाँ: एसिडिटी, थायरॉइड, हॉमोनल असंतुलन, डिप्रेशन, या ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएँ भी नींद को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट्स से भी नींद टूट सकती है या गहरी नहीं आ पाती है।
जब इन सभी कारणों में से एक या एक से अधिक लगातार बने रहते हैं, तो नींद न आना एक आदत बन जाती है और यही आदत आगे चलकर गंभीर अनिद्रा का रूप ले सकती है।
आयुर्वेद में अनिद्रा को कैसे समझा जाता है?
आयुर्वेद में अनिद्रा को ‘निद्रानाश’ कहा गया है और यह मुख्यतः वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। जब वात बढ़ता है, तो मन बेचैन होता है, और जब पित्त असंतुलित होता है, तो शरीर में गर्मी और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। यह दोनों मिलकर नींद की प्राकृतिक प्रक्रिया को बाधित करते हैं।
आयुर्वेद यह मानता है कि नींद केवल शरीर की ज़रूरत नहीं, बल्कि मन और आत्मा की संतुलन की प्रक्रिया भी है। अगर पाचन अग्नि गड़बड़ हो, मन शांत न हो या शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो जाएँ तो नींद आने में परेशानी होना भी स्वाभाविक ही है।
इसलिए निदान सिर्फ नींद लाने की दवा से नहीं, बल्कि शरीर और मन दोनों के संतुलन से जुड़ा होना चाहिए यही आयुर्वेद का दृष्टिकोण है।
आयुर्वेदिक नुस्ख़े जो अनिद्रा से देते हैं राहत
अगर आप बिना किसी साइड इफेक्ट के गहरी और सुकून भरी नींद चाहते हैं, तो ये आयुर्वेदिक उपाय अपनाएँ:
ब्राम्ही और शंखपुष्पी का सेवन करें
ये दोनों जड़ी-बूटियाँ मानसिक तनाव को कम करती हैं और दिमाग़ को शांत करती हैं।
कैसे लें?
1/2 चम्मच ब्राम्ही और शंखपुष्पी चूर्ण गुनगुने दूध के साथ रात को सोने से पहले लें।
गुनगुने तेल से सिर और पैरों की मालिश करें
नारियल या ब्राह्मी तेल से सिर और तलवों की मालिश वात को शांत करती है।
कैसे करें?
सोने से 30 मिनट पहले हल्के हाथों से तेल लगाकर मसाज करें।
दूध में जायफल या अश्वगंधा मिलाकर सेवन करें
जायफल नींद लाने में सहायता करता है और अश्वगंधा तनाव कम करता है।
कैसे लें?
रात को सोने से पहले 1 कप गर्म दूध में चुटकीभर जायफल या 1/2 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
त्रिफला चूर्ण का सेवन करें
त्रिफला शरीर की सफाई करता है और नींद को बेहतर बनाता है।
कैसे लें?
रात को सोने से पहले 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
गर्म पानी से स्नान या भाप लें
गर्म पानी से स्नान करने से शरीर रिलैक्स होता है और नींद आने में सहायता मिलती है।
कैसे करें?
सोने से पहले हल्के गर्म पानी से स्नान करें या पैरों को गर्म पानी में डुबोकर रखें।
अच्छी नींद के लिए इन आदतों को बनाएँ
अच्छी और गहरी नींद सिर्फ औषधियों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की आदतों पर भी टिकी होती है। अगर आप अपनी दिनचर्या को थोड़ा बेहतर करें, तो यह न केवल अनिद्रा की समस्या से राहत दिला सकता है, बल्कि आपकी नींद की गुणवत्ता को भी काफी हद तक सुधार सकता है।
नीचे कुछ ऐसी आसान लेकिन असरदार आदतें दी गई हैं जिन्हें अपनाकर आप नींद से जुड़ी परेशानियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं:
- हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
- रात में मोबाइल और स्क्रीन से दूरी रखें (कम से कम 1 घंटा पहले)।
- सोने से पहले चाय, कॉफी और भारी भोजन न करें।
- हल्का म्यूज़िक या ध्यान (Meditation) करें।
- कमरे की लाइट्स मद्धम रखें और शांत माहौल बनाएँ।
- सुबह की धूप लें, इससे मेलाटोनिन बैलेंस होता है।
डॉक्टर से कब मिलना ज़रूरी है?
अगर आपको हफ्तों से नींद नहीं आ रही है, आप दिन में काम करने में अक्षम महसूस करते हैं, या चिंता, डिप्रेशन जैसे मानसिक लक्षण अधिक दिख रहे हैं तो आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना ज़रूरी है।
कई बार अनिद्रा किसी और बीमारी का लक्षण होती है जैसे थायरॉइड, ब्लड प्रेशर या न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ आदि। ऐसे में स्वनियंत्रण से अधिक जरूरी होता है समस्या का सही निदान। आयुर्वेदिक चिकित्सा में ऐसे मामलों में पंचकर्म, विशेष औषधियाँ और मनोबल बढ़ाने वाले उपायों का प्रयोग किया जाता है।
नींद का आना कोई विलासिता नहीं, बल्कि जीवन का बुनियादी हिस्सा है। जब यह प्रभावित होती है, तो उसका असर आपके शरीर, मन और भावनात्मक स्थिति पर पड़ता है। अनिद्रा को नज़रअंदाज़ करना आपकी ऊर्जा, निर्णय लेने की क्षमता और जीवन की गुणवत्ता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
आयुर्वेद आपको एक ऐसा रास्ता दिखाता है जहाँ बिना किसी साइड इफेक्ट के, आप अपने शरीर और मन को प्राकृतिक तरीके से संतुलित कर सकते हैं। दवाइयों से अधिेक ज़रूरी है आपकी आदतें, दिनचर्या और सोच का सही होना और यही है आयुर्वेद का असली समाधान।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।