बच्चेदानी में गाँठ का आयुर्वेदिक उपचार      Publish Date : 12/08/2025

              बच्चेदानी में गाँठ का आयुर्वेदिक उपचार

                                                                                                                                         डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

इन आयुर्वेदिक चीजों का सेवन करने से ठीक करें बच्चेदानी की गांठ, आयुर्वेदिक डॉ0 ने बताया कि इससे बच सकता है आपकी बच्चेदानी का ऑपरेशन।

जिन महिलाओं को गर्भाशय में रसौली हो जाता है उनमें पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग, लंबे समय तक पीरियड्स का चलना, पैल्विक दर्द, जल्दी-जल्दी पेशाब आना, कब्ज रहना, पीठ दर्द और पैर दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। समय रहते इसका निदान और उपचार कराना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप हमारे आयुर्वेद डॉ0 सुशील शर्मा के बताए हर्ब से भी रसौली के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

फाइब्राइड (Fibroids) महिलाओं के गर्भाशय में या गर्भाश्य के उपर होने वाली एक रसौली जिसे आम भाषा में गांठ कहते है, हो जाती है। इसका आकार मूंग जितना छोटा होने से लेकर एक खरबूजे के आकार के जितना बड़ा भी हो सकता है। यह अक्सर 20 या इससे अधिक उम्र की महिलाओं में होता है।

क्यों होता है फाइब्रॉइड? महिला के गर्भाश्य में फाइब्रॉइड के होने का असली कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है मोटापा, प्रेगनेंसी, हॉर्मोनल चेंजेज अथवा जेनेटिक कारणों से महिलाओं को फाइब्रॉइड की प्रॉब्लम हो सकती है।

                                                                       

जिन महिलाओं को फाइब्राइड की समस्या होती है उन्हें दूसरी कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है, जैसे पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, पीरीयड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होना, सम्भोग के दौरान दर्द महसूस करना और प्रभावित महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत होना आदि। लेकिन समय रहते इस बीमारी का उपचार करके आप इन सभी समस्याओं से बच सकती हैं। वैसे तो यह बीमारी दवा और सर्जरी से ठीक की जा सकती है लेकिन आयुर्वेद में इसके घरेलू उपचार भी बताएं गए हैं, जो काफी प्रभावी होती हैं।

फाइब्रॉयड के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानने के लिए हमने बात की अपने आयुर्वेद के विशेषज्ञ डॉक्टर सुशील शर्मा से। उन्होने बताया कि आयुर्वेद में फाइब्राइड को ठीक करने के लिए पंचकर्म किया जाता है। इसमें वमन, विरेचन के साथ बस्ती भी शामिल होता है। इसके अलावा कुछ जड़ी-बूटी भी है जिनकी सहायता से फाइब्राइड को ठीक किया जा सकता है। बेहतर रिजल्ट प्राप्त करने के लिए डॉक्टर इसे पंचकर्म के साथ लेने की सलाह देते हैं।

त्रिफला कंट्रोल करता है फाइब्रॉयड

                                                                 

विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन महिलाओं को फाइब्रॉयड की समस्या होती है उन्हें त्रिफला का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही एनसीबीआई में प्रकाशित एक स्टडी में भी त्रिफला को गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉयड में बहुत लाभकारी घटक माना गया है। दरअसल, त्रिफला में एंटीनोप्लास्टिक एजेंट होते हैं। ऐसे में फाइब्रॉइड में त्रिफला का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। इसे आप पाउडर या काढ़े के रूप में सेवन कर सकते हैं।

आवंला है रसौली का बेहतर उपचार

आंवले में एंटी-फाइब्रोटिक प्रभाव होता है। इसमें मौजूद मोनोसोडियम ग्लूटामेट चलते गर्भाशय की रसौली के उपचार में आंवला बेहतर काम कर सकता है। इसके अलावा इसमें फेनोलिक और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी होते है जिसके कारण आवंला का सेवन फाइब्रॉयड में लाभदायक सिद्व हो सकता है।

हल्दी रसौली को करती है कम

आयुर्वेदिक डॉक्टर गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार के लिए हल्दी का सेवन करने की सलाह भी देते हैं। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन नामक पॉलीफेनोल होता है और इसमें एंटीप्रोलिफेरेटिव और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव होते हैं। एंटीप्रोलिफेरेटिव इफेक्ट ट्यूमर सेल को बढ़ने से रोक सकता है और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव रसौली को कम करने के लिए जाना जाता है।

कचनार गुग्गुल है रसौली के इलाज में फायदेमंद

कचनार गुग्गुल एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो हार्माेनल असंतुलन को ठीक करने में मददगार होती है। कचनार गूग्गुल कई औषधियों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें कचनार की छाल, अदरक, काली मिर्च, पीपली, हरितकी, बिभितकी, अमलाकी (त्रिफला), वरुणा छाल, इलायची और गुग्गल गोंद की समान मात्रा शामिल होती है। आयुर्वेद में फाइब्रॉएड को सिकोड़ने के लिए कचनार गुग्गुल का उपयोग किया जाता रहा है।

गिलोय फाइब्रॉयड के लक्षणों को कम करने में है कारगर

                                                             

आयुर्वेद में गिलोय को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार करने के लिए उपयोग किया जाता है। ऐसे में डॉक्टर सुशील शर्मा रसौली के लिए गिलोय के सेवन की सलाह देते हैं। इसका काढ़ा पीड़ित महिला में फाइब्रॉयड के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।