
बालों के झड़ने और पुनः विकास के लिए प्रामाणिक आयुर्वेदिक उपचार Publish Date : 18/07/2025
बालों के झड़ने और पुनः विकास के लिए प्रामाणिक आयुर्वेदिक उपचार
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
बालों का झड़ना क्या है?
तनाव, चिंता, बेचैनी और अपर्याप्त पोषण के चलते बाल झड़ते हैं और समय से पहले सफेद भी हो जाते हैं। कुछ हद तक बालों का झड़ना सामान्य माना जाता है, क्योंकि पुराने बालों की जगह नए बाल आ जाते हैं। परन्तु जब बाल बहुत अधिक झड़ें, तो सावधानी बरतना आवश्यक है इसी तरह, एक निश्चित उम्र के बाद बालों का सफेद होना एक सामान्य बात है, लेकिन जब यह जीवन के शुरुआती वर्षों में ही यह शुरू हो जाए, तो सफेद बालों को रोकने और बालों के प्राकृतिक रूप से पुनः विकास को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
बाल झड़ने के लक्षण
सिर के ऊपर बालों का पतला होनाः यह बालों के झड़ने का सबसे आम प्रकार है, जो उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है।
गंजेपन के धब्बे पड़ना
गंजे धब्बेः ये गोलाकार या धब्बेदार हो सकते हैं और खोपड़ी, दाढ़ी या भौंहों पर दिखाई दे सकते हैं।
बालों का ढीला अचानक होनाः किसी शारीरिक या भावनात्मक आघात के कारण बाल जड़ों से ढीले हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कंघी करते या धोते समय मुट्ठी भर बाल झड़ सकते हैं।
पूरे शरीर के बालों का झड़नाः कुछ चिकित्सा उपचार, जैसे कि कीमोथेरेपी, आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, और इनके परिणामस्वरूप पूरे शरीर के बाल झड़ सकते हैं।
आयुर्वेद बालों के झड़ने का मुख्य कारण तीन दोषों, वात, पित्त और कफ, के असंतुलन को मानता है। पित्त दोष, जो गर्मी, चयापचय और हार्मान से जुड़ा है, की अधिकता को ही बालों के झड़ने का एक प्रमुख कारण माना जाता है। अस्वास्थ्यकर पोषण, तनाव का उच्च स्तर, हार्मान का असंतुलन और बालों की उचित देखभाल न करना जैसे कारक पित्त के बढ़ने का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बालों के रोम कमज़ोर हो जाते हैं और बाल अधिक संख्या में झड़ने लगते हैं।
बाल झड़ने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं:
आनुवंशिकीः वंशानुगत बालों का झड़ना, जिसे एंड्रोजेनिक एलोपेसिया के रूप में जाना जाता है, कई लोगों के लिए सबसे आम कारण है।
हार्मानल परिवर्तनः गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति या थायरॉइड संबंधी समस्याओं के कारण हार्मानल परिवर्तन होते हैं, जिसके कारण बाल झड़ने लगते हैं।
विभिन्न चिकित्सीय स्थितियां: सिर में संक्रमण, एलोपेसिया एरियाटा या स्वप्रतिरक्षी रोगों के कारण बाल झड़ सकते हैं।
दवाएं: कैंसर, गठिया, अवसाद, हृदय संबंधी समस्याओं और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के लिए ली जाने वाली कुछ दवाएं बालों के झड़ने का कारण बन सकती हैं।
पोषण संबंधी कमियां: जब भी आयरन, प्रोटीन और विटामिन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है, तो यह बालों की जड़ों को कमजोर कर सकती है।
तनावः तनाव को बाल झड़ने का एक प्रमुख कारण माना जाता है और इससे बाल अस्थायी रूप से झड़ सकते हैं।
जोखिम और जटिलताएँ
हालाँकि बालों का झड़ना अक्सर एक बीमारी नहीं माना जाता, लेकिन यह व्यक्ति के लिए भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत गंभीर होता है। लगातार बालों के झड़ने के निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं:
नकारात्मक शारीरिक छवि: बाल सुंदरता और युवापन से जुड़े होते हैं, और जब ये झड़ जाते हैं, तो व्यक्ति की स्वयं के प्रति धारणा बदल जाती है।
सामाजिक अलगावः जब लोगों के बाल झड़ने लगते हैं, तो वे अपनी आत्म-छवि के बारे में सचेत होने लगते हैं, और इसलिए वे सामाजिक मेलजोल से बचते हैं क्योंकि उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है।
एक भावनात्मक संकटः बालों का झड़ना रोगियों में चिंता और अवसाद को जन्म दे सकता है, विशेष रूप से जब यह अचानक या कम उम्र में होता है, जब लोग अच्छा दिखना और अपने बारे में अच्छा महसूस करना चाहते हैं।
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ मामलों में, बालों का गिरना हाइपरथायरायडिज्म या ऑटोइम्यून स्थिति जैसी अधिक गंभीर स्थिति का पहला संकेत हो सकता है, जिसके लिए उपचार की आवश्यकता होती है।
कब मिलें डॉक्टर से?
डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर है यदिः
- बालों का अचानक और आंशिक रूप से झड़ना होता है, जिसके साथ सिर में दर्द या कोमलता भी होती है।
- कंघी करते समय, नहाते समय या सोते समय भी सामान्य से अधिक बाल झड़ते हैं।
- आप अचानक गंजेपन या बालों के पतले होने का अनुभव करते हैं जो आपके आत्मविश्वास को प्रभावित करता है।
- दवाओं के उपयोग और जीवनशैली में बदलाव के बावजूद बाल गिरना जारी है।
बालों के झड़ने के साथ अन्य लक्षण भी होते हैं, जैसे वजन में परिवर्तन या थकान, जो किसी चिकित्सीय स्थिति का संकेत हो सकते हैं।
बालों के झड़ने का आयुर्वेदिक उपचारः
आयुर्वेद बालों के झड़ने की समस्या के मूल कारण को दूर करके बालों के झड़ने के इलाज के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। उपचार योजना में आमतौर पर शामिल हैं:
हर्बल उपचारः
आयुर्वेद में, बालों की जड़ों को मज़बूत बनाने, बालों को घना बनाने और दोषों को संतुलित करने के लिए भृंगराज, आंवला, नीम और ब्राह्मी जैसी शक्तिशाली जड़ी-बूटियों का उपयोग करके बालों का उपचार किया जाता है। ये जड़ी-बूटियाँ तेल, पाउडर या कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध होती हैं और इनका उद्देश्य स्कैल्प और बालों, दोनों के पोषण को बढ़ाना होता है।
आहार और पोषणः
आयुर्वेद में बालों के उपचार में आहार सबसे महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि यह आपके शरीर में स्वस्थ बालों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को सीधे प्रभावित करता है। आयरन, कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक दिशा-निर्देश हरी पत्तेदार सब्ज़ियों, मेवों, बीजों और मौसमी फलों को शामिल करने का सुझाव देते हैं, जबकि पित्त को बढ़ाने वाले अत्यधिक मसालेदार, तले हुए या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह देते हैं।
जीवनशैली में बदलावः
यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति स्वास्थ्य के लिए लाभकारी जीवनशैली पर ज़ोर देती है, जैसे पर्याप्त आराम, व्यायाम और तनाव पर नियंत्रण आदि। तनाव प्रबंधन तकनीकें जैसे योग और ध्यान महत्वपूर्ण हैं क्योंकि तनाव बालों के झड़ने के प्रमुख कारणों में से एक है।
आयुर्वेदिक मालिश
नारियल या तिल के तेल जैसे शक्तिशाली तेलों और भृंगराज तेल जैसे अन्य लोकप्रिय हेयर ऑयल से नियमित मालिश करने से सिर के रक्त संचार पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है और इससे बालों के रोमकूप मज़बूत होते हैं। शिरोधारा (माथे पर हर्बल तेल डालना) जैसे पंचकर्म उपचार भी लाभकारी हो सकते हैं।
शरीर की समय-समय पर सफाई, जिसमें विरेचन और नास्य जैसी विभिन्न तकनीकें शामिल हैं, जिन्हें पंचकर्म विषहरण प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है, शरीर के लिए सबसे अधिक लाभदायक हैं और दोषों को संतुलित करने में मदद करती हैं, जो स्वस्थ, घने बालों को बढ़ावा देती हैं।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।