
ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज Publish Date : 04/07/2025
ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
ल्यूकोरिया (Leucorrhea) को कुछ लोग लिकोरिया (Likoria) नाम से भी पुकारते हैं। इस बीमारी में महिला की योनि से एक चिपचिपा, दुर्गन्धयुक्त, गाढ़ा पानी बहता है। जब यह बीमारी किसी महिला को होती है, तो महिला शुरुआत में ल्यूकोरिया के बारे में किसी को नहीं बताती है। नतीजा यह होता है कि बीमारी और बड़ी हो जाती है, जबकि महिलाओं को ऐसा नहीं करना चाहिए। ल्यूकोरिया के इलाज के कई सारे घरेलू उपाय उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग कर आप ल्यूकोरिया का इलाज कर सकती हैं।
आयुर्वेद में ल्यूकोरिया को श्वेत प्रदर कहा गया है। इसे एक स्वतंत्र रोग ना कहकर योनि के विभिन्न रोगों का लक्षण भी कहा गया है। जो महिलाएं अस्वस्थकर आहार, अधिक नमकीन, खट्टे, चटपटे, प्रदाही, चिकने तथा मांस-मदिरा का अधिक सेवन करती हैं, उनको ल्यूकोरिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर)?
ल्यूकोरिया को सामान्य भाषा में सफेद पानी या श्वेत प्रदर भी कहा जाता है। यह स्त्रियों में होने वाली एक आम बीमारी है। इसमें योनिमार्ग से सफेद रंग का गाढ़ा और दुर्गन्धयुक्त पानी निकलता है। किसी तरह का इन्फेक्शन होने पर स्राव पीले, हल्के नीले या हल्के लाल रंग का, और बहुत चिपचिपा एवं बदबूदार होता है। हालांकि यह किसी योनि या गर्भाशय से संबंधित रोग का लक्षण भी हो सकता है। ल्यूकोरिया का उचित उपचार न करने पर महिला का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। अलग-अलग महिलाओं में स्राव की मात्रा एवं समयावधि अलग-अलग होती है। इसके कारण प्रजनन अंगों में सूजन आ जाती है।
ल्यूकोरिया के प्रकार
ल्यूकोरिया के दो प्रकार के होते हैं:-
- स्वभाविक योनिस्राव
- अस्वभाविक योनिस्राव
स्वभाविक ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर)
मासिक चक्र के दौरान योनि से पानी जैसा बहने वाला दुर्गन्धरहित, चिपचिपा और पतला स्राव सामान्य माना जाता है। महिलाओं में अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव बढ़ जाता है। यह स्त्री के शरीर की एक सामान्य प्रक्रिया है। इसमें किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें केवल उचित आहार-विहार का पालन करना चाहिए।
अस्वभाविक ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर)
महिला को बैक्टेरियल इन्फेक्शन होने पर इस प्रकार का स्राव देखा जाता है। स्राव का रंग असामान्य गाढ़ापन लिए हुए एवं दुर्गन्धयुक्त होता है। यह Yeast Infection भी हो सकता है।
ल्यूकोरिया के सामान्य लक्षण
ल्यूकोरिया की पहचान इन लक्षणों के आधार पर की जा सकती हैः-
- योनि में तीव्र खुजली एवं चुनचुनाहट होना।
- कमर में लगातार दर्द का बने रहना।
- कमजोरी महसूस होना एवं चक्कर आना।
- बार-बार पेशाब आना और पेट में भारीपन बना रहना।
- भूख न लगना एवं जी मिचलाना।
- आखों के नीचे काले घेरों का पड़ना।
- थोड़ा-सा मेहनत करने पर भी आंखों के सामने अंधेरा छा जाना एवं कभी-कभी चक्कर आना।
- पिंडलियों में खिंचाव एवं शरीर भारी रहना।
- चिड़चिड़ापन बना रहना।
ल्यूकोरिया के कारण
मासिक धर्म में पहले या बाद में थोड़ी मात्रा में सफेद पानी बहना एक सामान्य बात है, लेकिन अधिक मात्रा में, नियमित रूप से पीला या नीलापन लिए स्राव आने लगे तो इसके निम्न कारण हो सकते हैं:-
- अविवाहित महिलाओं में यह पोषण की कमी, योनि की अस्वच्छता, खून की कमी और अधिकता से तला हुए और तेज मसालेदार भोजन का सेवन करने से होता है।
- योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया के कारण ल्यूकोरिया होता है।
- बार-बार गर्भपात होना या कराना।
- डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं की योनि में फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण ल्यूकोरिया होता है।
- असामान्य यौन सम्बन्धों से होने वाले संक्रमण के कारण।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होने के कारण।
- तनाव एवं अत्यधिक मेहनत करने के कारण।
- कॉपर-टी लगा हुआ होने पर।
ल्यूकोरिया के इलाज के कुछ लिए घरेलू उपाय
आप ल्यूकोरिया के लिए निम्न घरेलू नुस्खे आजमा सकती हैं:-
आंवले से ल्यूकोरिया का उपचारः आंवले को सुखाकर इसका चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ सेवन करें। नियमित रूप से सेवन करने से ल्यूकोरिया की समस्या जड़ से खत्म हो जाती है।
केले से ल्यूकोरिया का उपचारः
- पके हुए केले को चीनी के साथ खाने से कुछ ही दिनों में सफेद पानी की समस्या दूर हो जाती है।
- पके हुए केले को घी या मक्खन के साथ दिन में दो बार खाने से लिकोरिया से आराम मिलता है।
- पके हुए केले को बीच से काट लें। इसमें एक ग्राम कच्ची फिटकरी डालें और दिन में एक बार खाएं। इस नुस्खे को एक हफ्ते तक हर रोज करने से लिकोरिया की समस्या ठीक हो जाती है।
जामुन से ल्यूकोरिया का उपचारः जामुन के वृक्ष की छाल को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण को दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया से राहत मिलती है।
अंजीर से ल्यूकोरिया का उपचारः रात भर एक कप पानी में 2-3 सूखें अंजीर भिगोकर रखें। अगली सुबह, गले अंजीरों को पीसकर खाली पेट सेवन करने से लाभ मिलता है।
ल्यूकोरिया का उपाय त्रिफला चूर्णः चार चम्मच त्रिफला चूर्ण को लगभग 2-3 गिलास पानी में रात भर भीगने दें। सुबह छानकर इस पानी से योनि को धोने से आराम मिलता है।
अमरूद के पत्तों से ल्यूकोरिया को ठीक करें: अमरूद के 5-7 पत्तों को आधे घण्टे तक पानी में उबाल लें। ठण्डा होने के बाद छानकर इस पानी से दिन में दो बार योनि को धोएं।
नीम से ल्यूकोरिया का उपचारः नीम की छाल को पीसकर उसका पाउडर बना लें। इसे शहद में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है।
ल्यूकोरिया को ठीक करने के कुछ अन्य घरेलू उपचार
- दालचीनी, सफेद जीरा, अशोक की छाल और इलायची के बीज को पानी में उबाल कर इसका काढ़ा बना लें। इसे ठण्डा होने के बाद छान लें। अब इस पानी से दिन में दो बार योनि को धोएं, आपको आराम मिलेगा।
- अपने आहार में दही का इस्तेमाल करें। दही में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है, जो शरीर में संक्रमण को कम करती है।
- गुलाब के पत्तों को पीस कर दिन में दो बार एक चम्मच दूध के साथ सेवन करें।
- सफेद मूसली के चूर्ण में इसबगोल मिलाकर दूध के साथ इसका सेवन करें।
- नियमित रूप से गाजर, मूली एवं चुकंदर के रस का सेवन करें।
ल्यूकोरिया में कैसा हो आपका खान-पान
ल्यूकोरिया के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
- अधिक नमक एवं मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जंक फूड एवं बासी भोजन का सेवन करने से बचें।
- फल एवं रेशेदार सब्जियों की अधिक से अधिक मात्रा को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।
- पौष्टिक भोजन लें।
ल्यूकोरिया रोग में आपकी जीवनशैली
ल्यूकोरिया के दौरान आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
- शरीर को साफ रखें। योनि को अच्छी प्रकार से पानी से साफ करें।
- अंडरगार्मेंट (अंत:वस्त्र) सूती कपड़ों के पहने और दिन में दो बार इन्हें बदलें।
- गर्भपात के लिए अधिक दवाइयों का सेवन ना करें।
- मासिक धर्म के समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- प्रति 4-6 घण्टे में पैड बदलते रहें।
- स्टरलाइज पैड्स का उपयोग करें।
ल्यूकोरिया की बीमारी में डॉक्टर से कब सम्पर्क करें: इन अवस्थाओं में डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिएः-
- यदि योनिमार्ग से लंबे समय तक स्राव होता रहे, तथा बहुत अधिक खुजलाहट एवं जलन होती हो।
- स्राव का रंग पीला, हल्का लाल या हल्का नीला हो।
- अधिक चिपचिपा एवं दुर्गन्धयुक्त हो तो यह इन्फेक्शन को दर्शाता है। ऐसे में महिला में कमजोरी एवं अन्य शारीरिक समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं।
नोटः उपरोक्त को आजमाने से पूर्व किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य ही करें।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।