हाथ से भोजन करने के असिमित लाभ      Publish Date : 31/05/2025

             हाथ से भोजन करने के असिमित लाभ

                                                                                                                                     डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

चम्मच या कांटे के बजाय अगर हाथ से खाना खाया जाए, तो यह शरीर के लिए काफी कारगर सिद्व हो सकता है। हाथ से खाना खाने वाले लोग शरीर के मोटापे को नियंत्रित करने में सफल होते हैं और उनमें पेट से संबंधित समस्याएं काफी कम पाई जाती हैं। आयुर्वेद में हाथ से खाना खाने के कई लाभकारी फायदों के बारे में बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, उंगलियों से भोजन छूने से शरीर के पांच तत्वों (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) के साथ संतुलन बनता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

                                                         

हाथ से खाना खाने से लोगों में भोजन को अच्छी तरह से चबाने की आदत विकसित होती है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता है और पाचनतंत्र मजबूत बनता है। हाथ की उंगलियों से भोजन को छूने से मस्तिष्क को मिलने वाले संकेत पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करते हैं। हाथ से भोजन करने से भोजन की मात्रा निर्धारित रहती है, जिससे अधिक भोजन करने की आवश्यकता कम हो जाती है।

कम भोजन करने से मोटापे को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। हाथ से खाना खाने के पीछे हमारा सांस्कृतिक जुड़व भी है।

हाथ से खाना खाकर हम भोजन के प्रति अपनी ओर से सम्मान जाहिर करते हैं। इससे मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच समन्वय बढ़ता है। प्लास्टिक के चम्मच या कांटे की तुलना में अगर हम हाथ से भोजन करते हैं तो हमें चम्मच की आवश्यकता नहीं होती है। इससे हम पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। हाथ से भोजन करने के कई लाभ हैं, लेकिन ये लाभ तभी मिलेंगे जब आप स्वच्छता का ध्यान रखें।

                                                       

इसलिए, खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। इसके बाद तौलिए से हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद ही भोजन करना शुरू करें। आयुर्वेद के अलावा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसके कई लाभ बताए गए हैं। कई शोध में पाया गया है कि हाथ से भोजन करने और धीरे-धीरे भोजन को चबाने से पाचन प्रक्रिया प्रारंभिक स्तर पर ही बेहतर होती है। हाथ से खाना खाने से भोजन के प्रति जागरूकता बढ़ती है, जिसे माइंडफुल इंटिंग कहा जाता है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।