सब्जी का अधिक मात्रा में सेवन करना भी घातक      Publish Date : 17/05/2025

       सब्जी का अधिक मात्रा में सेवन करना भी घातक

                                                                                                                                    डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

नाइट्रेट शब्द सुनते ही आपके मन में केमिस्ट्री की क्लास का खयाल आता है, जिन लोगों को ज्यादा जानकारी है, वह ये समझते हैं कि खाने में नाइट्रेट होने का मतलब है कि यह सेहत बहुत नुकसान करेगा। नाइट्रेट का इस्तेमाल मांस के टुकड़ों को संरक्षित करने और ज्यादा दिनों तक खराब न होने देने के लिए किया जाता है। लेकिन, अब रिसर्चर इससे कैंसर होने की बात कह रहे हैं।

जब नाइट्रोजन का एक अणु ऑक्सीजन के तीन अणुओं से मिलता है, तो नाइट्रेट बनता है। इसी तरह नाइट्रोजन का एक और ऑक्सीजन के दो अणु मिलकर नाइट्राइट बनाते हैं। दोनों की मदद से खाने को खराब होने से रोका जाता है और इनका इस्तेमाल कानूनी रूप से वैध है। नाइट्रेट और नाइट्राइट की मदद से मांस और अन्य चीज को खराब होने से बचाया जाता है, ताकि हम उनका लंबे समय तक प्रयोग कर सकें। हमारे शरीर में मौजूद नाइट्रेट का केवल 5 परसेंट हो प्रोसेस्ड फंड या मीट से आता है।

                                              

सब्जियों से 80 परसेंट से ज्यादा नाइट्रेट और नाइट्राइट मिलते हैं। सब्जियों के एंजाइम, मिट्टी में मौजूद खनिज से केमिकल रिएक्शन कर के नाइट्रेट और नाइट्राइट बना लेते हैं। पालक या चौलाई के पत्तों में काफी नाइट्रेट होता है। इसी तरह चुकंदर का जूस और गाजर में भी ये दोनों केमिकल होते हैं।

तो क्या इससे कैंसर होता है?

नाइट्रेट हानिरहित केमिकल होते हैं। शरीर में जाने पर ये दूसरे केमिकल से रिएक्शन नहीं करते। लेकिन, नाइट्राइट, हमारे शरीर के प्रोटीन में मिलने वाले केमिकल से रिएक्शन करते हैं।

क्या कोई फायदा भी है?

कई अमीनो एसिड के साथ मिलकर रिएक्शन करता है। हमारे शरीर में अधिकतर नाइट्राइट, हमारे मुंह में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की वजह से होता है। जब हम माउथवॉश करते हैं, तो बड़ी तादाद में मुंह के बैक्टीरिया मर जाते हैं और इससे शरीर में नाइट्राइट जाने का खतरा कम होता है। मुंह से पेट में पहुंचने वाले कई नाइट्राइट दूसरे केमिकल से मिलकर आंतों के कैंसर की वजह बन सकते हैं।

हालांकि इसके लिए पेट में खास तरह के अमीनो एसिड होने जरूरी हैं, या फिर मांस को ज्यादा तेज गर्म करने, मांस को तल कर खाने से ये ही ये अमीनो एसिड पेट में पहुंचते हैं। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड की केट एलेन कहती हैं कि नाइट्रेट या नाइट्राइट से कैंसर नहीं होता, जिस तरह से उन्हें पकाया जाता है। मांस में खास अमीनो एसिड होते हैं ये नाइट्राइट के साथ मिलते हैं, तो खतरनाक साबित हो सकते हैं।.

                                           

ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च के अनुसार 100 में से 6 मांसाहारी लोगों को कैंसर होने का खतरा होता है।

इनमें से उन लोगों को ये डर ज्यादा होता है, जो रोज 50 ग्राम या इससे ज्यादा मांस खाते हैं। वैसे नाइट्राइट इतने बुरे केमिकल नहीं हैं। इनसे हमें दिल और धमनियों को कई बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।