बीजों के द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा      Publish Date : 14/05/2025

                   बीजों के द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा

                                                                                                                                                          डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

बीजों का उपयोग केवल फसल बोने में ही नहीं किया जाता है, बल्कि बीजों का सही तरीके से सेवन करने से शरीर में पौष्टिक तत्त्वों की कमी को भी पूरा किया जा सकता है। आजकल की दौड़ती-भागती जिंदगी में खाने में सही पोषण में कमी रह जाती है। हैल्दी स्नैक्स है. घर हो या ऑफिस, खाने की टेबल पर यह होना चाहिए जिस से भूख लगने पर सब से पहले इस का सेवन किया जा सके। बीज को पानी में भिगो कर अंकुरित होने पर भी इस का सेवन किया जा सकता हैं। हमारे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ बता रहे हैं कुछ बीजों की हमारे स्वास्थ्य के सम्बन्ध में विशेषता-

केवल मसाला ही नहीं है अजवाइन

                                                         

अजवाइन का आकार अंडाकार होता है। इस का रंग भूरा होता है और खाने में इसका स्वाद तीखा होता है। अजवाइन का दवा के रूप में उपयोग बहुत पहले से होता आ रहा है। अजवाइन के बीजों में शिमला मिर्च, चिरायता और हींग के मिलेजुले गुण पाए जाते हैं।

अजवाइन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फैट, मिनरल, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस और भी तमाम चीजें पाई जाती हैं। यह भूख को भी बढ़ाती है और पाचन किया को भी ठीक रखती है।

पेट में गैस बनने की दशा में अजवाइन का उपयोग करना उचित रहता है। इस का इस्तेमाल दाल, करी, मछली और अचार बनाने में किया जाता है। यह सांस संबंधी बीमारी में भी आराम पहुंचाती है।

अजवाइन के इतने गुणों को देखते हुए लोग खाना बनाने में इस का इस्तेमाल करते हैं, यह खाने के स्वाद को बढ़ाने का काम भी करती है।

लाभकारी मेथी

मेथी को अंगरेजी में फेनग्रीक सीड कहते हैं। इस में प्राकृतिक तत्त्वों में आयरन, कैल्शियम, सोडियम, विटामिन ए, बी, सी और निकोटेनियम एसिड पाया जाता है।

मेथी सेलेनियम और ऍटॉरडिएंट का सबसे अच्छा माध्यम होती है, इससे शरीर में ऑक्सिजन की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है।

मेथी का इस्तेमाल काफी पहले समय से दवा के रूप में किया जाता रहा है। मेथी खाने से पाचन क्रिया सही ढंग से काम करती है। पेट में होने वाले रोगों को भी मेथी खाने में आराम मिलता है। जाड़े के दिनों में बीज की जगह पर मेथी के साग का परांठा भी खाने का लाभ होता है, इस का स्वाद खाने में भी अच्छा लगता है।

मेथी के बीजों का इस्तेमाल शरीर की सूजन दूर करने, संक्रमण और डायबिटीज के रोग को भी दूर करने में किया जाता है। गरम पानी में डाल कर गरारे करने से गले की खराश को दूर करने में भी यह मददगार है। इससे गले की सूजन में भी आराम मिलता है।

मेथी की चाय पीने से बुखार में आराम मिलता है। मेथी की चाय बनाने के लिए आधा चम्मच मेथी दाना एक कप पानी में डाल कर गरम करें, इसकी चाय बुखार से शरीर को आराम दिलाती है। मेथी के दानों को रात में भिगो दें. सुबह कुछ खाने से पहले इन को खा लें। इस से पेट को बेहतर तरीक से लाभ प्राप्त होता है।

प्राकृतिक इलाज में मेथी का इस्तेमाल फोड़े, फुंसी और दानों को दुरुस्त करने में भी किया जाता है। मेथी की तासीर गरम होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से मना किया जाता है।

तमाम गुणों से युक्त है काली कलौंजी

                                                  

काले रंग की कलौंजी का उपयोग यूनानी दवा बनाने में बहुत पहले से होता आ रहा है। कलौंजी मिश्र देश में बहुतायत पाई जाती है। कलौंजी में आयरन, सोडियम, कैल्शियम और पोटेशियम आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।

कलौंजी अस्थमा, एलर्जी और त्वचा संबंधी रोगों में काफी लाभकारी होती है। इसे खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

कलौंजी में अनसैचुरेटेड फैटी एसिड यानी ईएफएएस, लाइनोलेनिम, ओमेगा 3 व लाइनोलेजिक एसिड (ओमेगा 6) नामक तत्व पाए जाते हैं, इन्हें हमारा शरीर अपने से नहीं बना पाता है, इन तत्वों की कमी को सप्लीमेंट के द्वारा पूरा किया जाता है।

कलौंजी को गरम पानी और भोजन के साथ लिया जा सकता है। प्रसव के बाद मां के दूध को बढ़ाने में भी इस का प्रयोग किया जाता है। गर्भावस्था में इस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

सदाबहार हैं तिल

तिल मुख्यतः अफ्रीका और भारत में पाया जाता है। इस का प्रयोग खाने के अलावा तेल के रूप में भी किया जाता है। तिल हल्का सफेद और काले रंग का होता है। तिल का इस्तेमाल खाने की चीजें बनाने में किया जाता है। खाने के लिए तिल से हलवा, लड्डू, बिस्किट, सलाद, कैंडी और नूडल्स बनाए आदि जाते हैं।

तिल के माध्यम से शरीर को मैगनीज, कैल्शियम, विटामिन बी, ई और आयरन मिलता है। इस का इस्तेमाल जाड़ों के दिनों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।

अल्फाअल्फा

                                               

अल्फाअल्फा का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। इस में विटामिन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैगनीशियम, फास्फोरस, आयरन जैसे तत्त्व पाए जाते हैं। इसमें मौजूद तत्त्व शरीर में खून को जमने अर्थात खून का थक्का बनने से रोकते हैं।

अल्फाअल्फा में जो प्रोटीन पाया जाता है, वह दूसरी खाने की चीजों में नहीं पाया जाता है। इसके सेवन से कौलैस्ट्रोल, आर्थराइटिस, डायबिटीज जैसे रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

अल्फाअल्फा किडनी, गाल ब्लैडर की तमाम बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। साथ ही प्रोस्टैंट और अस्थमा में भी अल्फाअल्फा के सेवन से आराम मिलता है।

अलसी के बीज

अलसी में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो खाना पचाने में मददगार है। साथ ही, शरीर के टॉक्सिन को निकालने में कैल्शियम, आयरन, मैगनीशियम, जिंक और सेलेनियम भी सही मात्रा में पाए जाते है, इसलिए फिट रहने के लिए इन बीजों को अपनी खुराक में जरूर शामिल करना चाहिए।

पपीते के बीज

पपीता खाने के बाद कभी भी इस के बीजों को फेंके नहीं, बल्कि इन्हें संभाल कर रखें और बाद में इनका सेवन करें।

इन बीजों में ऐंटी बैक्टीरियल और ऐंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. साथ ही, ये पाचन तंत्र को भी दुरुस्त करते हैं। इन में कैल्शियम, मैगनीशियम और फास्फोरस भी अधिक मात्रा में होता है. इसके चलते इन बीजों को रोजाना खाने से शरीर में मिनरल्स की कमी नहीं होती है।

तरबूज के बीज

तरबूज के बीजों में ओमेगा 6 और फैटी एसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है। साथ ही,

इनमें विटामिन बी कॉप्लैक्स, मैगनीशियम, फास्फोरस, जिंक, आयरन और पोटेशियम की मात्रा भी ज्यादा होती है। थोड़ी मात्रा में इस बीज को रोजाना खाने से आप को ये सारे पोषक तत्त्व आसानी से मिल जाते हैं।

चिया के बीज

                                                    

चिया के बीज ओमेगा 3 फैटी एसिड के मुख्य स्रोत होते हैं, इस के अलावा इस में आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्त्व भी पाए जाते हैं। इसलिए अगर शरीर में आयरन की कमी हो गई है तो इन बीजों को रोजाना खाएं।

बीजों के महत्त्व को देखते हुए आजकल यह बीज पैकेटों में पैक कर के बिकने लगे हैं। ऐसे में न केवल इन की पहचान करना बल्कि इन को तलाशना और खाना भी आसान हो गया है। बीजों में उन के अपने गुण तो होते ही हैं, उनको बनाने में मसाला या घी का बहुत इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके चलते इन का सेवन करने में किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है।

हमारे देश में कई तरह के अनाज और बीजों को भून कर खाने का चलन बहुत समय से है। इसके लिए गांवों में भूनने की तमाम भट्ठियां भी होती थी। भुने हुए अनाज और बीज सेहत के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।