
त्वचा पर सफेद दाग का आयुर्वेदिक उपचार Publish Date : 07/04/2025
त्वचा पर सफेद दाग का आयुर्वेदिक उपचार
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
अक्सर हमारे चेहरे से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती रहती हैं, जिनमें पिम्पल्स, दाग-धब्बे या फिर ड्राइनेस सबसे आम हैं। यह समस्याएं काफी आम होती हैं लेकिन इन समस्याओं के अलावा काफी लोगों के चेहरे पर सफेद दाग और पैच हो जाते हैं, जिन्हें सहुआ भी कहा जाता है, जो कि लम्बे समय तक या समय पर उपचार नहीं कराया जाए तो आजीवन बने रह सकते हैं। दरअसल, यह हमारी त्वचा पर एक तरह के फंगल इन्फेक्शन होता है, जो कि सामान्य परेशानियों में से एक है, लेकिन इस समस्या पर समय के रहते ही ध्यान देना बेहद जरूरी है।
शरीर पर सफेद दाग के कारण
शरीर पर सफेद दाग होने को अंग्रेजी में विटिलिगो कहा जाता है। हम सभी ने अपनी जिंदगी में एक न एक बार किसी न किसी विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति को अवश्य देखा होगा। ऐसा देखा जाता है कि उनके शरीर के लगभग सभी अंगों पर सफेद धब्बे होते हैं, जो ज्यादातर पैरों, चेहरे और हाथों पर दिखाई देते हैं।
दरअसल, विटिलिगो यानी सफेद दाग होना त्वचा से संबंधित बीमारियों में से एक बीमारी है, जो खून से संबंधित एलर्जी, गलत खाना-पीना और स्किन इन्फेक्शन के कारण होती है।
सफेद दाग के कारण
शरीर पर सफेद दाग के कई कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार से हो सकते हैं-
ल्यूकोडर्माः इस बीमारी से पीड़ित होने पर त्वचा पर सफेद दाग बनते हैं। इसमें त्वचा के कुछ हिस्से में मेलानोसाइट्स यानी त्वचा के रंग को नियंत्रित करने वाली कोशिकाओं की कमी होती है, जिसके कारण सफेद दाग बनते हैं। यह अधिकांशतः गर्मी या सूर्य के प्रभाव से होता है।
विटिलिगोः यह भी एक और त्वचा रोग है जिसमें भी मेलनोसाइट्स नामक कोशिकाओं की कमी होती है, और जिसके चलते त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते हैं।
स्कैबिजः यह एक प्रकार का कीटाणु संक्रमण होता है, जिसमें त्वचा पर छोटे छोटे चकत्ते वाले दाग बनते हैं।
फंगल इन्फेक्शनः त्वचा पर सफेद दाग बनने का एक कारण फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है।
लेकोप्लेकियाः इस रोग में भी शरीर के कुछ हिस्सों की मेलनोसाइट्स सेल्स की संख्या कम होती है, जिससे सफेद दाग बनते हैं।
वंशानुगतः वंशानुगत कारणों से भी त्वचा पर सफेद दाग बनते हैं।
अन्य कारणः त्वचा का अधिक धूप, तनाव या औद्योगिक केमिकल्स के संपर्क में आना।
सफेद दाग के लक्षण
शरीर पर सफेद दाग के लक्षण बीमारी के कारणों के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं।
खुजली होनाः सफेद दाग के साथ खुजली या खुजली वाली जगह पर बाद में सफेद दाग का बनना।
त्वचा पर सफेद दाग पड़नाः शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर सफेद रंग के छोटे या बड़े दाग दिखाई देना।
त्वचा का रंग बदलनाः यदि त्वचा के किसी भाग का रंग बदलता है और वह सफेद हो सकता है तो यह सफेद दाग का लक्षण हो सकता है।
अन्य त्वचा समस्याएं: उपरोक्त के अलावा त्वचा में सूखापन, फैलाव, या त्वचा की कोई परेशानी हो सकती है, उसे भी लक्षण के रूप में देखा जा सकता है।
सफेद दाग के प्रकार
सफेद दाग या विटिलिगो का प्रकार, दाग के रंग और उसके आकार पर निर्भर करता है, जिसे इस प्रकार समझा जा सकता हैं-
यूनिवर्सल विटिलिगोः यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। इस प्रकार का सफेद दाग चेहरे से लेकर पैरों तक सभी जगह पर होता है।
सेगमेंटल विटिलिगोः यह शरीर के किसी खास हिस्से में ही होता है। आमतौर पर यह 1 से 2 साल तक फैलता है।
सामान्यीकृत विटिलिगोः यह विटिलिगो सबसे आम प्रकार है, जो शरीर के किसी भी भाग पर हो सकता है और कभी भी बढ़कर रुक भी सकता है।
फोकल विटिलिगोः यह फोकल विटिलिगो आकार में छोटा होता है और शरीर के किसी एक खास भाग को ही प्रभावित करता है।
एग्रोफेशियल विटिलिगोः यह विटिलिगो विशेष रूप से चेहरे पर होता है और कभी-कभी हाथों पैरों पर देखने को मिल सकता है।
सफेद दाग ठीक होने में लगने वाला समय
सफेद दाग का ठीक होने की दर उसके कारणों पर निर्भर करती है। रोग का प्रकार, रोग का स्थान, रोग की गंभीरता, और उपचार के आधार पर ही इसके ठीक होने का अनुमान लगाया जा सकता है। साथ ही सफेद दाग को ठीक करने के लिए उपचार के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं और इसमें समय लग सकता है।
वहीं, ऐसा भी देखा जाता है कि सही उपचार के प्रयासों के बावजूद भी सफेद दाग पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाते हैं। यह स्थिति जीवनभर रह सकती है या कुछ समय के लिए रुक कर फिर से बढ़ सकती है।
सफेद दाग का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में सफेद दाग के उपचार के लिए विभिन महत्वपूर्ण उपाय बताए गए हैं, जो सफेद दाग की बीमारी से छूटकारा पाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
नीमः नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी को सफेद दाग पर लगाने से इसमें सुधार हो सकता है। नीम के पत्ते, नीम का तेल या नीम का छाल भी इसके उपचार में अत्यंत उपयुक्त माने जाते हैं।
तुलसीः तुलसी के पत्तों को पीसकर उनका रस निकालकर, सफेद दाग पर लगाना भी इसके उपचार में मददगार हो सकता है।
हल्दीः हल्दी में मौजूद कुर्कुमिन के गुणों के कारण, इसका उपयोग सफेद दाग के उपचार में किया जा सकता है।
नींबू का रसः नींबू का रस सफेद दाग के लिए एक प्रमुख और प्रभावी उपचार है। इसे नियमित रूप से सफेद दाग पर लगाने से उसका रंग धीरे-धीरे सामान्य होने लगता है।
अम्लीय पदार्थों का उपयोगः अम्लीय पदार्थों का उपयोग सफेद दाग के उपचार में किया जा सकता है। इसके लिए आंवला, टमाटर, या दही आदि का सेवन करना सहायक हो सकता है।
खीरा का पेस्टः खीरे को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर सफेद दाग पर लगाने से इसके लक्षणों में सुधार हो सकता है।
गंधकः गंधक को तेल के साथ मिलाकर मिश्रण को सफेद दाग पर लगाने से इस समस्या में लाभ हो सकता है।
आम के पत्तेः आम के पत्तों और त्वचा को सफेद दाग पर लगाने से लाभ प्राप्त हो सकता है।
आंवला: आमला के रस का सेवन करने से भी त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जो सफेद दाग को कम करने में भी पर्याप्त मदद करता है।
पुदीनाः पुदीने के पत्ते को पीसकर उसके रस को सफेद दाग पर लगाने से लाभ हो सकता है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।