ऋतु परिवर्तन में बहुत महत्त्व रखते हैं ये फूड्स      Publish Date : 06/04/2025

      ऋतु परिवर्तन में बहुत महत्त्व रखते हैं ये फूड्स

                                                                                                                     डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

होली का त्योहार ऐसे मौसम में आता है, जिस समय ऋतु परिवर्तन हो रहा होता है और लोगों के आहार-विहार में व्यापक परिवर्तन आता है। ऋतु परिवर्तन के कारण इस त्योहार के समय पारंपरिक रूप से कुछ विशेष प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं, लेकिन जिस तरह से हमारी खानपान की आदतों में बदलाव आया है, उसके चलते अब लोग खानपान की अपनी पारंपरिक संस्कृति से भी दूर होते जा रहे हैं। अब नई पीढ़ी इन व्यंजनों का स्वाद ही नहीं जानती। इन परिस्थितियों में जानते हैं होली के ऐसे ही कुछ भूले-बिसरे फूड्स के बारे में जो पोषक तत्त्वों से भरपूर हैं और शरीर को शक्ति भी प्रदान करते हैं।

1. कांजी

                                               

कांजी या कांजी वड़ा, दोनों ही हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। कांजी को चुंकदर और काली गाजर के मिश्रण से बनाया जाता है। इसमें अदरक मिलाकर भी बनाया जाता है। कांजी में डाली जाने वाली सभी चीजें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। यह गट हैल्थ के लिए बहुत लाभकारी है। एक तरह से प्रोबायोटिक के रूप में काम करती है।

2. गुझिया-गोजा

                                                     

होली के दौरान कई जगहों पर गोंठे (गुझिया) बनाने की पुरानी परंपरा है। गोंठे गुड़ और सोंठ से बनाते हैं। असल में गुड़ और सोंठ दोनों में औषधीय गुण हैं। इससे कफ जनित बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसी तरह गोभी का गोजा बनता है। गोभी में मसालें मिला गुझिया जैसा बनाकर पानी में उबालते हैं।

3. चावल की कचरी

चावल के आटे की कचरी भी होली का एक पारंपरिक व्यंजन है, जो एक तरह का स्नैक्स है, जिसे बहुत ही कम तेल में भून कर रखा जाता है। यह पौष्टिक होने के साथ ही ग्लूटन फ्री भी होती है, जिससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर भी नहीं बढ़ता। चावल के आटे से तैयार होने के कारण इसमें बहुत सारे न्यूट्रिशंस भी उपलब्ध होते हैं, जो ऋतु परिवर्तन के दौरान हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं।

4. ठंडाई

                                               

ठंडाई होली का पारंपरिक पेय है, लेकिन अब इसे तैयार करने का चलन भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। असल में ठंडाई शरीर और दिमाग को ठंडक देने के साथ ही पाचन तंत्र को मजबूती भी देती है एवं गैस, एसिडिटी और कब्ज आदि समस्याओं से राहत मिलती है। इसे बादाम, काजू, पिस्ता, सौंफ, खसखस, खरबूजे के बीज, केसर, गुलाब की पंखुड़ियां, कालीमिर्च, इलायची पाउडर आदि की सहायता से तैयार किया जाता है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।