
उत्तम स्वस्थ जीवन का आधार है आयुर्वेद Publish Date : 03/04/2025
उत्तम स्वस्थ जीवन का आधार है आयुर्वेद
डॉ0 सुशील शर्म एवं मुकेश शर्मा
आयुर्वेद, विभिन्न जीवनशैली प्रथाओं (जैसे मालिश, ध्यान, योग और आहार परिवर्तन) के साथ हर्बल उपचारों के उपयोग के माध्यम से एक अच्छे स्वास्थ्य और बीमारी की रोकथाम और उपचार पर जोर देता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा अपने आप में समग्र है, जिसका अर्थ है शरीर और मन का समग्र रूप से उपचार। आयुर्वेद व्यक्ति की शारीरिक समस्याओं से कहीं अधिक समाधान प्रदान करता है।
आयुर्वेद को सबसे पुरानी समग्र चिकित्सा प्रणालियों में से एक माना जाता है, जो भारत में लगभग 3,000 वर्ष पूर्व विकसित हुई थी। यह पद्वति अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और बीमारियों से लड़ने के लिए मन, शरीर और आत्मा के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करती है।
आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, अब दुनिया भर के लोग इसे अपना रहे हैं। आज के हमारे इस लेख में, आप बेहतर और स्वस्थ जीवन जीने के लिए कुछ सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, दवाओं और जीवनशैली प्रथाओं के बारे में विस्तार से जानेंगेः-
जड़ी बूटी
कोविड-19 महामारी के बाद के दौर में स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती मानव की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक बन चुका है। अपने आहार में विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को शामिल करके आप आसानी से बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ बताई गई हैं जिनके स्वास्थ्य लाभ सिद्ध हैं।
अश्वगंधा:-
अश्वगंधा संस्कृत के दो शब्दों ‘‘अश्व’’ और ‘‘गंध’’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है घोड़े के जैसी गंध। चरक संहिता के अनुसार, अश्वगंधा का सेवन करने से ‘दीर्घायु, यौवन, तीव्र स्मरण शक्ति और बुद्धि तथा रोगों से मुक्ति, चमकदार रंग और घोड़े जैसी ताकत प्राप्त होती है।’ इसका उपयोग आमतौर पर तनाव, चिंता, सूजन, मधुमेह, हृदय की समस्याओं और अल्जाइमर आदि के उपचार के लिए किया जाता है और साथ ही इसमें कैंसर विरोधी गुण भी पाए जाते हैं।
गिलोय:-
गिलोय एक अद्भुत जड़ी बूटी है, जिसमें विभिन्न आवश्यक यौगिक उपलब्ध होते हैं, जैसे कि टेरपेनोइड्स, एल्कलॉइड्स, लिग्नान और स्टेरॉयड आदि। इसकी पत्तियों और जड़ों का सेवन मुख्य रूप से पाउडर, जूस या ताजे रूप में किया जाता है। इसका उपयोग आमतौर पर क्रोनिक फीवर, डेंगू फीवर, डायबिटीज, एसिडिटी, रक्त शोधन, लीवर की समस्याओं और श्वसन संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है।
आंवला:-
आंवला एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनोइड्स और विटामिन, विशेषरूप से विटामिन सी से भरपूर होता है, जो शरीर को बीमारी से उबरने में सहायता प्रदान करता है और इसके साथ ही यह अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। आंवला मधुमेह, अपच, आंखों की समस्याओं, लीवर की समस्याओं, मूत्र संबंधी समस्याओं, मस्तिष्क और स्मृति समस्याओं आदि जैसी बीमारियों में चमत्कारी लाभ प्रदान कर सकता है। इसका सेवन जूस, पाउडर, कैंडी या ताजा रूप में व्यापक रूप से किया जाता है।
ब्राह्मी:-
ब्राह्मी सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली चिकित्सीय जड़ी-बूटियों में से एक है। हालाँकि इसका स्वाद कड़वा होता है, लेकिन यह मन, शरीर और मस्तिष्क पर ठंडा प्रभाव छोड़ता है। यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, स्मृति समस्याओं, गठिया, गाउट और त्वचा की विभिन्न समस्याओं के उपचार में विशेष रूप से उपयोगी है। ब्राह्मी टॉनिक और पाउडर आसानी से उपलब्ध हैं, हालाँकि इसे ताज़ा लेने की सलाह दी जाती है।
आयुर्वेदिक दवाएं
आयुर्वेद कुछ आश्चर्यजनक सरल और समय-परीक्षणित स्वास्थ्य समाधान प्रदान करता है जैसे- त्रिफला, च्यवनप्राश, तेल, आदि। आगे हम दो सबसे आम और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं पर चर्चा करेंगे।
त्रिफलाः-
त्रिफला तीन सूखी जड़ी-बूटियों- यथा आंवला (फिलांथस एम्ब्लिका), बिभीतकी (टर्मिनलिया बेलिरिका) और हरीतकी (टर्मिनलिया चेबुला) का सदियों पुराना एक चूर्ण मिश्रण है। इसे दीर्घायु, विषहरण और समग्र स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी औषधियों में से एक माना जाता है। इसका उपयोग आमतौर पर प्राकृतिक रेचक के रूप में किया जाता है- कब्ज का स्थाई उपचार करने, वजन को नियंत्रित करने, मल त्याग प्रक्रिया में सुधार करने और त्वचा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। इसमें गैलिक एसिड और पॉलीफेनोल जैसे शक्तिशाली कैंसर से लड़ने वाले एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। त्रिफला को विभिन्न रूपों में लिया जा सकता है- कैप्सूल, पाउडर या तरल। दैनिक अनुशंसित खुराक 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक होती है।
च्यवनप्राश:-
50 औषधीय जड़ी-बूटियों का मिश्रण, च्यवनप्राश सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक स्वास्थ्य खुराक में से एक है। च्यवनप्राश में एंटी-एजिंग यौगिक, महत्वपूर्ण विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर को फिर से जीवंत करते हैं। च्यवनप्राश विशेष रूप से श्वसन समस्याओं, पाचन संबंधी समस्याओं जैसे- कब्ज, सूजन आदि के उपचार में उपयोगी है, ऊर्जा बढ़ाने, रक्त शोधन, विषहरण, रक्तचाप की समस्याओं, कोलेस्ट्रॉल, मानसिक और स्मृति समस्याओं आदि के निवारण में भी उपयोगी रहता है। यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इसका सेवन करना भी आसान है। आमतौर पर, च्यवनप्राश की अनुशंसित खुराक प्रतिदिन 12 से 28 ग्राम है, सुबह खाली पेट दूध के साथ या बिना दूध के।
आयुर्वेदिक जीवन शैली
आयुर्वेद सिर्फ़ दवाइयों और जड़ी-बूटियों के बारे में नहीं है; बल्कि यह हमें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का तरीका भी सिखाता है। आयुर्वेद सिखाता है कि स्वस्थ शरीर के तीन आधार स्तंभ हैं - आहार (भोजन), विहार (जीवनशैली), और निद्रा (नींद)। तो, आइए इन 3 स्तंभों के बारे में बात करते हैं।
उचित आहार:-
आयुर्वेद के अनुसार छह प्रमुख स्वाद हैं- मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला। आयुर्वेद के अनुसार, छह स्वादों का अच्छा मिश्रण वाला संतुलित आहार- चयापचय में सुधार करता है, मनोवैज्ञानिक स्वभाव को बेहतर बनाता है और शारीरिक प्रक्रियाओं और क्रियाओं को संतुलित रखता है। मौसमी आहार संबंधी सिफारिशें भी हैं जैसे- सर्दियों के लिए- शरीर में वात को संतुलित करने के लिए भारी और गरिष्ठ भोजन लिया जा सकता है। गर्मियों के दौरान कम वसा, तेल, मसाले और पानी वाले हल्के भोजन का सेवन करना चाहिए, मौसमी फल और सब्जियाँ। मानसून के दौरान- हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दही, सलाद और बिना पका हुआ भोजन खाने से बचना चाहिए।
उचित जीवनशैली:-
आयुर्वेदिक ग्रंथों में व्यक्तिगत और सामाजिक स्वच्छता पर बहुत ज़ोर दिया गया है। इसके सामान्य सुझाव हैं- सुबह जल्दी उठना, नियमित रूप से दांतों की सफाई करना, नियमित रूप से नहाना, नाक की बूंदों का इस्तेमाल करना, नियमित रूप से सिर में तेल लगाना, स्वस्थ शरीर के लिए योग और प्राणायाम, स्वस्थ दिमाग के लिए ध्यान, मौसम के अनुसार उचित कपड़े पहनना, निश्चित समय पर भोजन करना, नियमित रूप से पानी पीना आदि।
उचित निंद्राः-
लोग आमतौर पर अपनी नींद के प्रति लापरवाह होते हैं। बहुत अधिक या बहुत कम सोना, दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं। उचित नींद अच्छी सेहत प्रदान करती है, चयापचय में सुधार करती है, शरीर को तरोताज़ा होने का समय देती है, तनाव और चिंता को कम करती है, उचित मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखती है और दीर्घायु बढ़ाती है। आयुर्वेद के अनुसार, हर रात कम से कम 6-8 घंटे सोना चाहिए। गर्मियों के दौरान दिन के समय थोड़ी झपकी ली जा सकती है, अन्यथा, दिन में सोना वर्जित है। योग निद्रा एक प्रमुख योगिक अभ्यास है जिसका उपयोग शरीर और मन को उचित आराम सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है।
निष्कर्ष
लेख में ऊपर बताए गए सभी बिंदु आयुर्वेद के कुछ समय-परीक्षणित उपहार हैं, जो स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। आयुर्वेद ने बार-बार स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने और प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। एक क्षेत्र के रूप में आयुर्वेद का दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, इसलिए इस क्षेत्र में करियर के अवसरों को बढ़ावा मिल रहा है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।