
पीरियड्स के दौरान होने वाले तनाव से निपटने के उपाय Publish Date : 25/03/2025
पीरियड्स के दौरान होने वाले तनाव से निपटने के उपाय
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
लड़कियों और महिलाओं में होने वाला मासिक धर्म एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया होती है। मासिक धर्म के दौरान होने वाले हॉर्मोनल चेन्जेज जो महिलाओं में शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से तनाव का कारण बनते हैं और अन्य विभिन्न कारक भी इस तनाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
कई महिलाएं, मासिक धर्म के शुरू होने से पूर्व अथवा इसके दौरान तनाव की ऐसी स्थिति से गुजरती हैं कि इसके दौरान उन्हें किसी चिकित्सीय परामर्श की आवश्यकता भी हो सकती है, क्योंकि यह एक सामान्य बात है कि चिंता, तानव और चिड़चिड़ापन, किसी भी व्यक्ति के जीवन और रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में यदि आपको पीरियड्स के दौरान हल्का तनाव अनुभव होता है तो यह एक सामान्य स्थिति मानी जाती है।
सामान्य तौर पर पुरूषों की तुलना में महिलाओं के तनावग्रस्त होने की आांका अधिक होती है। यह समस्या महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान बढ़ सकती है, क्योंकि यह हॉर्मोनल कोस्टर आपके ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर्स, जिनमें सैरोटीनिन और डोपामाइन आदि पर प्रभाव डाल सकते हैं जो आपके मूड को ठीक बनाए रखने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त जि लड़कियों और महिलाओं को अपने पहले पीरियड के दौरान बहुत अधिक ऐंठन या ब्लीडिंग होती है वह होने वाली असुविधा और दर्द को लेकर पीरियड से पहले चिंतित हो सकती हैं जो कि तनाव का एक कारण भी बन सकता है।.
महावारी के दौरान टीनएजर्स भी अयाधिक तनाव महसूस कर सकते हैं। टीनएजर्स हो मांसपेशियों में खिंचाव, पेट में दर्द, जोड़ों में दर्द, कमर में दर्द और थकान का अनुभव भी हो सकता है। यह समस्त परिवर्तन उनके यौवन काल में हो रहे परिवर्तनों से जुड़े होते हैं।
ऐसे में हमारे विशेषज्ञ आपको पीरियड्स के दौरान होने वाली इन सभी असुविधाओं को कम करने वाले कुछ उपायों के बारे में बता रहें हैं जो आपके मासिक धर्म के दौरान होने वाली इन सभी परेशानियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
रिलेक्शेसन टैक्नीकः इस तकनीक का उपयोग करने से तनाव का स्तर कम होता है। इस तकनीक में आपको योगा, मेडिटेशन और मसाज थेरेपी का सहारा ले सकती हैं।
पर्याप्त नींद आवश्यकः पीरियड्स के दौरान पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी होता है, हालांकि केवल पर्याप्त नींद लेना ही काफी नही है, बल्कि आप प्रयास करें कि आपके सोने और जागने का समय निर्धारित हो। जरूारी है कि छात्राएं अपने सोने की प्रक्रिया को न बिड़ने दें, क्योंकि इससे हॉर्मोन्स प्रभावित होते हैं।
डाइट का रखें ध्यानः पीरियड्स के दौरान आपको कॉन्फ्लेक्स और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेना चाहिए। आप अपनी डाइट में साबुत अनाज और स्टार्ची वेजिटेबल्स का समावेश करें। यह पीरियड्स के दौरान होने वाले तनाव और मूड स्विंग को कम करने का काम करती हैं।
विटामिन्स अधिक ले: विभिन्न शोधों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि कैल्शियम और विटामिन- B-6, तनाव के मानसिक और शारीरिक लक्षणों को कम करते हैं।
व्यायाम भी है आवश्यकः हल्की एक्सरसाइज जैसे पैदल चलना या साइक्लिंग करना भी आपके मूड को बेहतर बनाता है।
कॉग्निेटिव बिहेवियरल थेरेपीः इस तकनीक के माध्यम से आप अपने तनाव पर एक अलग तरह से काबू पा सकते हैं। इसके माध्यम से समय के साथ आपके मस्तिष्क की तंत्रिकाओं के मार्ग बदल जाते हैं, जो आपको बेचैन करने करने वाली प्रतिक्रियाओं को कम करने में आपकी मदद करते हैं।
विभिन्न महिलाओं में प्रीमैंस्टुअल सिंड्रोम एक सामान्य लक्षण होता है, लेकिन पेट फूलने और ऐंठन की तरह ही तनाव को भी इस प्रकार से नियंत्रित किया जा सकता है।
अन्त में महिलाओं से अपील है कि वह इस समस्या से घबराएं नहीं, बल्कि अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करे, क्योंकि दवाईयों के द्वारा इसे भी नियंत्रित किया जा सकता है।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।