
उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन सेवन करें पपीता Publish Date : 20/03/2025
उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन सेवन करें पपीता
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
क्हते हैं कि अमेरिका के दक्षिणी क्षेत्रों में होने वाले इस गुणकारी फल को अमेरिकी यात्री कोलम्बस अपनी द्वितीय यात्रा के समय पुर्तगाल लेकर गया था, और इसके बाद वहीं से यह पूरे एशिया महाद्वीप में फैल गया। आज यह फल भारत में पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त किए हुए है। यह फल पौष्टिक होने के साथ ही पाचक फलों में इसका एक प्रमुख स्थान है। महत्वपूर्ण रोग निवारक तत्वों का भंडार होने के कारण विभिन्न रोगों में इसका उपयोग आप औषधि के रूप में भी किया जा सकता हैं। हमारे देश के विभिन्न प्रांतों में अब इसकी खेती बहुतायत में होने लगी है।
पपीते के पेड की लम्बाई 25 फीट के लगभग होती है। इसके पत्ते अरण्डी के पत्तों की तरह के होते हैं। इसकी छाल का रंग सफेद होता है, और इसका फल पत्तों के बीच में लटका रहता है। कच्चे फल का छिलका हरा और गूदा सफेद रहता है, लेकिन पक जाने के बाद इसका छिलका कुछ केसरिया रंग का होता है।
पपीते के गुण
आयुर्वेद विशेषज्ञों ने पपीते को कई महत्वपूर्ण गुणों का आगार बताया है। उनके अनुसार कच्चा पपीता मलरोधक, कफ और वात को नष्ट करने वाला होता है। इसलिए पके फल का ही सेवन करना चाहिए। अच्छी तरह पका फल खाने में मधुर रुचिकारक, पित्तनाशक, भारी और स्वादिष्ट होता है।
आम का फल जैसे ही पकता जाता है तो इसमें मौजूद विटामिन कम होते जाते हैं, परन्तु इसके विपरीत पपीता के पकने पर इसमें मौजूद विटामिन बढ़ते ही जाते हैं। पके पपीते में 68 से 100 मिलीग्राम तक विटामिन सी रहता है। पके फल में उचित गुणों की अधिकता के कारण ही आयुर्वेद में पपीते को पेट के रोगियों के लिए काफी गुणकारी माना जाता है।
पपीते का रासायनिक विश्लेषण
इसकी प्रति आधी छटांक खाद्य सामग्री में जीवनदायक 14 कैलॉरियां प्राप्त हो सकती हैं। पपीते में पेप्सिन नामक पदार्थ की मौजूदगी के कारण यह पाचन शक्ति में वृद्धि कराने तथा मन्दाग्नि को दूर करने की क्षमता रखता है। सूर्य किरणों का भी इस फल पर अद्भुत प्रभाव परिलक्षित होता है। विटामिन ए और सी इसमें काफी मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि ‘विटामिन ए के अभाव में शरीर में रोग के कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण निमोनिया, तपेदिक, श्वास एवं दृष्टि आदि से सम्बन्धित रोग हो सकते हैं। विटामिन सी के पर्याप्ज मात्रा में न मिलने पर स्कर्वी, रक्ताल्पता आदि के होने का भय रहता है। पपीता इन विटामिनों से युक्त होने के कारण उपर्युक्त रोगों से रक्षा कर, शरीर को कान्तिमय एवं शक्तिशाली बनाता है। इसमें लौह तत्व के होने के कारण इसका सेवन करने से शरीर में रक्त की वृद्धि होती है तथा फास्फोरस होने के कारण मस्तिष्क एवं वात संस्थान को शक्ति प्राप्त होती है। कैल्शियम होने से यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। पपीते में कार्बाेहाइड्रेट होने से शरीर की गर्मी बढ़ती है, और प्रोटीन मांस की वृद्धि करता है।
पपीते के उपयोग
पपीते का न केवल फल के रूप में बल्कि अन्य कई प्रकार से भी पपीते का हमारे घरों में प्रयोग किया जाता है। कच्चे फल से सूखी सब्जी, रसदार सब्जी तथा रायता एवं आचार आदि बनाया जाता है। अन्य सब्जियों की तरह ही इसको सुखाकर बेमौसम में भी इसकी सब्जी का आनन्द लिया जा सकता है। पपीते की खीर तथा हलवा पौष्टिक और रुचिकारक भोज्य पदार्थ माने जाते हैं।
कच्चे फल के दूध को एकत्रित करके पापेन के रूप में सुरक्षित किया जाता है। पापेन ऊनी तथा सूती वस्त्रों को सिकुड़ने से भी बचाता है। कई महत्वपूर्ण औषधियों के बनाने में भी इसे काम में लाया जाता है। आजकल पापेन की मांग अधिक है अतः अब पपीता विदेशी मुद्रा कमाने का यह महत्वपूर्ण माध्यम बनता जा रहा है।
पपीते के पके फल के गूदे को दूध-चीनी में घोल कर या नींबू के साथ इसका शरबत बनाकर गर्मी में पीने से काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है। यह शरबत सस्ता तो पड़ता ही, साथ ही काफी गुणकारी भी रहता है। पपीते के अच्छी तरीके से पके फल के टुकड़े सेब, ककड़ी, संतरा के साथ नमक, काली मिर्च और नींबू या संतरे का रस मिलाकर आप स्वादिष्ट सलाद भी बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त पपीते से जैम, जैली, तेल तथा सिरके के साथ अचार आदि भी बनाए जा सकते हैं।
पपीते के फल को नियमित रूप से प्रतिदिन खाली पेट खाते रहने से सौंदर्य में निखार आता है। इसका गूदा चेहरे पर प्रतिदिन रगड कर धो डालने से मुंहासे, झाइयां, आदि दूर होकर त्वचा की सुन्दरता निखरती है। इसका प्रयोग करने से त्वचा में सुकुमारता और कांति आती है। अतः सौंदर्य वृद्धि का यह एक सस्ता और सुलभ उपाय है।
पपीते का औषधि के रूप में प्रयोग
महत्वपूर्ण रोग निवारक तत्वों का भंडार होने के कारण कई रोगों में इसका उपयोग आप औषधि के रूप में भी कर सकते हैं। हमारे दैनिक जीवन में आने वाली सामान्य बीमारियों में पपीते के माध्यम से निम्न सरल उपचार संभव हैं। समय आने पर आप भी इनका प्रयोग करके सहज ही पपीते के गुणों से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- दाद, खुजली, तथा अन्य चर्म रोगों पर कच्चे पपीते का ताजा रस/दूध कुछ दिन लगातार लगाते रहने से इस परेशानी से मुक्ति पा सकते हैं। चर्म रोगों को जड़ से मिटाने में पपीते का दूध काफी गुणकारी होता है।
- बच्चों का यकृत के बढ़ जाने पर पपीते का रस 5-7 बूंद चीनी के साथ मिलाकर दिन में तीन बार उपयोग करते रहना चाहिए, समस्या से छुटकार मिल जाता है।
- रक्ताल्पता के कारण अधिकांश स्त्रियों में दूध का उत्पादन कम हो जाया करता है। ऐसे रोगियों को ताजे, अच्छे पके हुए पपीता प्रभावित स्त्री को लगातार दस-पन्द्रह दिन तक खिलाने चाहिए। इससे सम्बन्धित स्त्री का दूध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही रक्त की कमी तथा अन्य उदर रोग भी नष्ट होंगे।
- यकृत रोगों, पीलिया, वात व्याधि में पपीते का रस 5 से 10 बूंद तक बताशे में रखकर खाना बहुत फायदेमंद रहता है।
- पेट में कीड़े पड़ जाने पर या निरंतर अजीर्ण की स्थिति बने रहने पर पपीते के बीजों का रस अथवा कच्चे पपीते का रस पेट के कीडे नष्ट करने में बड़ा लाभकारी रहता है।
- बवासीर के मस्सों पर कच्चे, ताजे पपीते का रस लगातार कुछ दिन लगाने पर मस्से कट कर अपने आप गिर जाते हैं, और रोगी भला-चंगा हो जाता है।
- कच्चे पपीते की सब्जी तथा रायता आदि का सेवन करने से अजीर्ण, आंतों के रोग और उसके कृमि तुरन्त नष्ट हो जाते हैं।
- मन्दाग्नि के रोगियों को पपीते के अधपके फल से दूध इकट्ठा करके औषधि के रूप में पानी में मिलाकर लगातार 10-15 दिन तक सेवन करना चाहिए। इससे रोगी को खुलकर भूख लगने लगेगी।
- पेट के रोगियों, तिल्ली आदि में खाली पेट अच्छा पका हुआ ताजा पपीता खाना चाहिए। इससे आमाशय और आंतें साफ हो जाती हैं और पाचन संस्थान ठीक से काम करने लगता है।
- पपीते का हलवा तथा खीर वजन और बल बढ़ाने में एक चमत्कारिक औषधि का काम करते हैं। पपीते का फल पचने में हलका और काफी पौष्टिक होता है। जिन्हें कच्चा पपीता खाने में रुचिकर नहीं लगता वे उसमें जरा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च छिड़क कर खाएं।
- सुखाया हुआ और नमकीन पपीता बढ़े हुए यकृत, तिल्ली तथा अन्य पेट के रोगों में फायदेमन्द है। इसका शर्बत गर्मी जन्य रोगों में अत्यधिक लाभदायक है।
पपीता ऐसा फल है, जिसे हम कई रूपों में काम में ला सकते हैं। इसे खाते रहने से हम बहुत से रोगों से बचे रहते हैं। कुछ स्थानों को छोड़कर आज भी पपीता एक सस्ता, सुलभ और लोकप्रिय फल है। इसके गुणों को देखते हुए हमें इसका अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।