
अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक उपाय Publish Date : 28/01/2025
अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक उपाय
डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा
दमा अर्थात अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी होती है जिसमें सांस की नली में सूजन आ जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगते हैं जैसे सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई होना, खांसी और खाँसते समय सीने में दर्द होना अस्थमा के मुख्य लक्षण होते हैं। अस्थमा के लक्षणों को अनदेखा न करें, बल्कि सही समय पर अस्थमा का उपचार कराएं।
यदि अस्थमा का सही तरीके से उपचार न किया जाए तो इसके लक्षण और बढ़ने लगते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ आसान आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। हमारे इस लेख में हमारे आयुर्वेदिक एक्सपट। ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं जो अस्थमा के उपचार में सहायक हैं।
1. तुलसी (Tulsi)
आयुर्वेद में तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। तुलसी में कफ को दूर करने वाले गुण पाए जाते हैं और इसका सेवन करने से रेस्पिरेटरी ट्रैक में जमा कफ दूर होता है साथ ही सांस की नली की सूजन भी कम होती है।
अस्थमा के उपचार में तुलसी का प्रयोग
तुलसी की चायः 5-10 तुलसी की पत्तियां पानी में डालकर उबालें और हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद मिलाकर इसका सेवन करे।. दिन में एक से दो बार इसका सेवन करने से खांसी से आराम मिलता है और गले में जमा कफ दूर होता है।
तुलसी का अर्कः आजकल बाजार में तुलसी का अर्क आसानी से उपलब्ध है. अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए तुलसी के अर्क की 2-3 बूंदें एक कप पानी में मिलाकर सेवन करें।.
तुलसी की पत्तियां: तुलसी से मिलने वाले फ़ायदों को पाने के लिए आप सीधे तुलसी की पत्तियों का सेवन भी कर सकते हैं। इसके लिए तुलसी की 5-6 पत्तियां रोजाना चबाकर या सलाद में डालकर खाई जा सकती हैं।
2. मुलेठी या यष्टिमधु (Licorice Root)
मुलेठी को यष्टिमधु भी कहते है. आयुर्वेद के अनुसार यह कफ की एक उत्तम औषधि है जो कफ को गले में जमने से रोकतीं है। मुलेठी में कफ को शांत करने वाले गुण होते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए यह काफी उपयोगी होती है और इससे गले में कम नहीं जमता है और खांसी से जल्दी राहत मिलती है।
अस्थमा में मुलेठी के सेवन का तरीका
मुलेठी चूर्णः मुलेठी के चूर्ण को शहद या गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीने से फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में लाभ मिलता है।
मुलेठी की चायः मुलेठी का उपयोग चाय के रूप में भी किया जा सकता है। जब भी आप चाय बनाएं तो उसमें आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण मिला दें और चाय को 5-10 मिनट तक उबालें और दिन में एक से दो बार इस चाय का सेवन करें।
3- अदरक (Ginger)
अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। कुछ लोग चाय में इसका उपयोग करते हैं तो वहीं कुछ लोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ को कम करने की अचूक दवा है और अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। अदरक श्वासनली को फैलाने में भी मदद करता है जिससे सांस लेने की समस्या में आराम मिलता है।
अस्थमा से राहत के लिए ऐसे करें अदरक का सेवन
अदरक की चायः अदरक की चाय बनाने के लिए, एक छोटी सी कटी हुई अदरक को पानी में डालकर उबालें, इसमें थोड़ा शहद और नींबू का रस भी मिलाकर सेवन करे। इस चाय को दिन में एक से दो बार पी सकते हैं। अदरक की चाय फेफड़ों की समस्याओं से आराम दिलाती है।
अदरक का रसः अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अदरक का ताजा रस निकालकर पिएं. अदरक के रस में शहद मिलाकर पीना ज्यादा जल्दी असर करता है।
इसके अलावा आप सब्जियों में या कोई भी डिश बनाते समय उसमें कटी हुई अदरक डालकर इसका सेवन कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि जल्दी फायदे के लिए अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कदापि न करें।
4. अडूसा (Adusa)
अडूसा एक औषधीय पौधा है जिसकी पत्तियां अस्थमा के इलाज में बेहद लाभकारी सिद्व होती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक अड़ूसा की पत्तियां का प्रयोग अस्थमा के लक्षणों को कम करने में प्रमुखता से करते है। अडूसा की पत्तियों में श्वासनली को फैलाने का गुण भी पाया जाता है और इसके सेवन से सांस लेने में कठिनाई की समस्या से आराम मिलता है।
अस्थमा के इलाज में ऐसे करें अडूसा का उपयोग
अडूसा पत्ती का काढ़ाः अडूसा की पत्तियों को सूखा लें और इनका पाउडर बना लें। इस पाउडर को एक कप गर्म पानी में डालकर उबालें और जब पानी एक चौथाई बचे, तब छानकर चाय की तरह पिएं।
अडूसा पत्ती चूर्णः अडूसा पत्ती चूर्ण का इस्तेमाल शहद के साथ करने से अस्थमा के लक्षणों में कमी आती है। अडूसा पत्ती का चूर्ण बाजार में भी आसानी से मिल जाता है।
अस्थमा के लिए प्राणायाम और योग (Yoga for Asthma Treatment)
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के अलावा योग और प्राणायाम की सहायता से भी आप अस्थमा के लक्षणों से राहत प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप अस्थमा से पीड़ित हैं तो अनुलोम विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति योगासन करकें इसके लक्षणों में राहत प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप पहली बार ये योगसान करने जा रहे हैं तो किसी योग एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें-
अस्थमा के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं क्योंकि लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखकर और आयुर्वेदिक उपायों की मदद से आप अस्थमा के लक्षणों को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। यहां बताई गई जड़ी-बूटियां अस्थमा के उपचार में बेहद प्रभावकारी हैं फिर भी यदि आप अस्थमा से गंभीर रूप से पीड़ित हैं तो ये घरेलू उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।