
क्या मेडिकल साइंस के पास कैंसर का कोई जवाब नहीं Publish Date : 21/06/2025
क्या मेडिकल साइंस के पास कैंसर का कोई जवाब नहीं
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
वास्तव में यह एक मुश्किल प्रश्न है और बहुत सारे लोग इसका जवाब खोजने की कोशिश भी कर रहे हैं। कैंसर क्यों होता है, इसे समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि कैंसर कैसे होता है? हमारे शरीर की रचना कोशिकाओं (सेल्स) के माध्यम से होती है। इन्सान के शरीर में सैकड़ों तरह की कोशिकाएं होती हैं. सभी का काम करने का अपना एक विशेष तरीका होता है।
हमारे शरीर ये कोशिकाएं ही हमारी त्वचा, मस्तिष्क, हड्डियां और शरीर के दूसरे अंगों को बनाती हैं। कुछ कोशिकाएं (जैसे मस्तिष्क और हड्डी) कई वर्षों तक जीवित रहती हैं, जबकि कुछ कोशिकाएं जैसे, लाल रक्त कोशिकाएं, केवल कुछ हफ्तों तक ही जीवित रह सकती हैं। शरीर में, खरबों तारों से भी कहीं ज्यादा कोशिकाएं हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, शरीर नई कोशिकाएं बनाती रहती हैं। जब पुरानी कोशिकाएं नष्ट होती रहती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं ले लेती हैं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
कभी-कभी उन खरबों कोशिकाओं में से कोई एक कोशिका अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है और यह नष्ट भी नहीं है। यह बेकाबू कोशिका बार-बार विभाजित होती है और अपनी लाखों-करोड़ों कॉपियां बना लेती है। इससे एक गांठ (ट्यूमर) बन सकती है। ये कोशिकाएं शरीर के सभी भागों में फैल सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकते हैं, और मृत्यु भी हो सकती है। ये कोशिकाएं प्रतिलिपियां बनाने के लिए स्वयं को निर्देश देती हैं। ये निर्देश जीनोम नामक कोड में संग्रहीत होते हैं, जो डीएनए रसायन से बना होता है। इस डीएनए कोड को लिखने के लिए ए, सी, टी और जी वर्णमाला का उपयोग किया जाता है।
बेकाबू कोशिका लाखों-करोड़ों कॉपियां बना लेती है। इससे एक ट्यूमर बन जाता है, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर देते हैं। एक दिन में लाखों डीएनए कॉपी करने की वजह से कभी-कभी कोशिकाएं गलतियां कर बैठती हैं। इससे कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बन जाता है। इस ट्यूमर को ही हम मेडिकल की भाषा में ‘कैंसर’ कहते हैं।
हर कोशिका में करीब छह अरब ऐसे अक्षर होते हैं, और जब कोशिका विभाजित होती है, तो इन सभी को बिल्कुल सही कॉपी करना पड़ता है। इसे ऐसे समझिए कि हैरी पॉटर की सारी किताबें हाथ से लिखकर एक हजार बारं कॉपी करनी है। कोशिकाएं हर दिन लाखों बार ऐसा करती हैं। एक दिन में लाखों डीएनए कॉपी करने की वजह से कभी-कभी कोशिकाएं गलतियां कर बैठती हैं।
इन गलतियों को हम Mutation (उत्परिवर्तन) कहते हैं। कभी-कभी ये म्यूटेशन कोशिका के निर्देशों को बदल देते हैं, जिससे यह अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है और ट्यूमर बन जाता है। इसे ही हम ‘कैंसर’ कहते हैं। बहुत ज्यादा धूप, कुछ रसायन (जैसे तंबाकू का धुआं), शराब, कुछ खाद्य पदार्थ और यहां तक कि कुछ वायरस भी डीएनए में म्यूटेशन होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। स्वस्थ जीवन-शैली अपनाकर आप कैंसर का खतरा कम कर सकते हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है। हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि किसी व्यक्ति को कैंसर क्यों होता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।