सेहत व स्वाद का खजाना है जंगल जलेबी      Publish Date : 04/06/2025

            सेहत व स्वाद का खजाना है जंगल जलेबी

                                                                                                                                                          डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

मिठाई के रूप में दुकानों पर बेची जा रही जलेबी से तो लगभग सभी लोग परिचित हैं। लेकिन क्या आने कभी सुना है कि जलेबी पेड़ पर भी उगती है। मतलब जलेबी के भी पेड़ होते हैं और इसका स्वाद भी मीठी चीनी की चासनी में लिपटी जलेबी से कुछ कम नहीं होती। यह जलेबी केवल स्वाद के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि इसके अंदर सेहत का खजाना भी छुपा हुआ होता है। इसी पेड़ को जंगल जलेबी के पेड़ के नाम से जाना जाता है।

                                                       

जंगल जलेबी एक स्वादिष्ट फल है, जिसे देश के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जंगल जलेबी को गंगा इमली, मद्रास थॉर्न या किकर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक मीठा और पौष्टिक फल है जो भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। जंगल में उगने और जलेबी की तरह गोल होने की वजह से इसे जंगल जलेबी कहते हैं। तासीर में यह फल ठंडा होता है और यही वजह है कि गर्मी के दिनों में इसका उपयोग आपको शीतलता प्रदान करता है।

जंगल जलेबी एक कांटेदार पेड़ होता है, इसमें बेलनाकार फल लगते हैं जो जलेबी जैसे मोड़ लिए हुए होते हैं। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। यही वजह है कि यह फल बच्चों और खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय होता है।

जंगल जलेबी का आयुर्देविक दृष्टि से भी काफी महत्व है। यह फल खांसी और दमा में लाभकारी होता है। सूजन, त्वचा रोग व मधुमेह में भी इसे उपयोगी माना जाता है।

                                                        

जंगल जलेबी का फल पाचन में सुधार करने के साथ-साथ खून को भी साफ करने का काम करता है। इसके बीज कब्जनाशक होते हैं और पेट के कीड़ों को नष्ट करते हैं। वहीं दांतों और मसूड़ों के रोगों में इसके छाल उपयोगी होते हैं। त्वचा रोग में लेप और काढ़ा दोनों रूपों इसकी पत्तियां उपयोगी होती हैं।

जंगल जलेबी के फल को कच्चा खाया जा सकता है या फिर सुखाकर चूर्ण बनाकर भी इसे खाया जा सकता है। वहीं इसके बीज को चूर्ण बनाकर शहद के साथ खाया जा सकता है।

दस्त व खांसी में इसके छाल का काढ़ा दिन में 2 बार लिया जा सकता है। ग्रामीण भारत में जंगल जलेबी को औषधीय पौधे के साथ-साथ बच्चों के लिए प्राकृतिक टॉफी के रुप में भी जाना जाता है। इसके फल न सिर्फ स्वाद में शानदार होते हैं, बल्कि पेट की गर्मी को शांत करने में भी मददगार होते हैं।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।