स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए सस्ते और कारगर विकल्प      Publish Date : 02/06/2025

स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए सस्ते और कारगर विकल्प

                                                                                                                                                   डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

टनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एनआईटी, राउरकेला के शोधकर्ताओं एक नई तरह की सेमी कंडक्टर आधारित बायोसेंसर तकनीक तैयार की जो ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को आसानी से पहचान सकती है। अब इसके लिए किसी भी जटिल या महंगे लैब टेस्ट की जरूरत नहीं होगी।

इस डिवाइस का नाम 'टीएफईटी' (टनल कील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर) है। इसे सीएडी (टेक्नोलॉजी कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन) सिमुलेशन के आधार पर बनाया गया है। यह डिवाइस ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को पहचानने में काफी सक्षम है। एफईटी तकनीक सामान्यतः इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग होती है, लेकिन यहां इसे जैविक पदार्थों की पहचान के लिए खास तौर पर बदला गया है। यह बायोसेंसर पारंपरिक जांचों की तरह किसी रसायन या लेबल की आवश्यकता नहीं होती।

यह कैंसर कोशिकाओं की भौतिक विशेषताओं के आधार पर काम करता है। ब्रेस्ट कैंसर वाली ऊतक सामान्य ऊतकों से अधिक घनी और पानी से भरपूर होती हैं। जब इन पर माइक्रोवेव किरणें डाली जाती हैं, तो उनका व्यवहार अलग होता है। इसी फर्क को 'डाइइलेक्ट्रिक गुण' कहा जाता है, जिससे कैंसर और सामान्य कोशिकाओं में फर्क करना संभव होता है। यह रिसर्च 'माइक्रोसिस्टम टेक्नोलॉजीज' नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है।

इसमें बताया गया है कि यह सेंसर 'टी47डी' नाम की कैंसर कोशिकाओं को बहुत सटीकता से पहचान सकता है, क्योंकि इन कोशिकाओं का घनत्व और डाइइलेक्ट्रिक गुण अधिक होते हैं।

                                                            

एनआईटी राउरकेला के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रसन्न कुमार साहू ने कहा कि इस सेंसर को बनाने के लिए ट्रांजिस्टर के अंदर एक छोटा सा खांचा बनाया गया, जिसमें कोशिकाओं का नमूना रखा जाता है। सेंसर उस नमूने की विशेषताओं के अनुसार विद्युत संकेतों में बदलाव को पढ़ता है और तय करता है कि कोशिकाएं कैंसर वाली हैं या नहीं।

कैंसर कोशिकाओं जैसे टी 47डी की डाइइलेक्ट्रिक क्षमता सामान्य कोशिकाओं (जैसे एमसीएफ-10ए) से अधिक होती है, इसलिए सेंसर इन्हें आसानी से पहचान लेता है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।