
मलेरिया की दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें Publish Date : 14/05/2025
मलेरिया की दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
मलेरिया एक घातक बीमारी है, जो मच्छर के काटने के अलावा भी कुछ अन्य तरीकों से फैलती है। लेकिन इसके इलाज में हर मरीज के लिए एक जैसी दवा नहीं होती है। इसलिए दवा लेने से पहले डॉक्टर की राय लेना बहुत जरूरी है।
मलेरिया ज्वर मच्छर से फैलने वाली बीमारी है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होती है। संक्रमित मच्छरों में प्लाज्मोडियम परजीवी होते हैं। जब यह मच्छर काटता है तो परजीवी खून में मिल जाते हैं और लिवर में पहुंचकर पनपने लगते हैं। इसके बाद परिपक्व परजीवी रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करना शुरू कर देते हैं। आमतौर पर इसके बाद ही मलेरिया के लक्षण विकसित होने लगते हैं। इन लक्षणों में हल्के बुखार से लेकर जानलेवा जटिलताएं तक हो सकती हैं।
मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 10-15 दिन बाद दिखाई देते हैं। इलाज न मिलने पर प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया 24 घंटे के भीतर गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है। प्लाज्मोडियम की पांच प्रजातियां मलेरिया का कारण बनती हैं। इनमें फाल्सीपेरम (सबसे खतरनाक रूप), ओवेल, विवैक्स, मलेरिया और नोलेसी हैं।
कैसे फैलता हैः मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने के अलावा मलेरिया संक्रमित मां से अजन्मे बच्चे, संक्रमित खून चढ़ाने और संक्रमित व्यक्ति को लगाई गई सुई का दोबारा इस्तेमाल करने से भी फैल सकता है। छोटे बच्चों, शिशुओं, वृद्धों, गैर-मलेरिया क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों और गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा अधिक रहता है।
लक्षणों की पहचानः मलेरिया होने पर सबसे पहले ठंड लगती है और कंपकंपी के साथ बुखार आता है। इसके बाद पसीना आकर बुखार उतर जाता है। इसके अन्य लक्षणों में तेज सिर दर्द, हृदय गति का तेज, छाती में दर्द, मतली, उल्टी और दस्त हैं। मरीज को मांसपेशियों में दर्द और अत्यधिक थकान हो सकती है। इसके अलावा परजीवियों द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने से एनीमिया भी हो सकता है। लिवर की वजह से गंभीर मामलों में त्वचा और आंखों का पीला पड़ना तथा संक्रमित लाल रक्त कोशिकाओं को हटाने में तिल्ली बढ़ सकती है।
बचाव के उपायः एनोफिलीज मच्छर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं। ऐसे में मलेरिया की रोकथाम के लिए बेहद जरूरी है कि खुद को मच्छरों से बचाकर रखें। पूरी बाजू के कपड़े पहनें। अपने आसपास साफ-सफाई बनाए रखें। सोते समय कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करें। त्वचा और कपड़ों पर मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग भी कर सकते हैं। इसके अलावा दरवाजों और खिड़कियों पर जाली जरूर लगाएं। घर और आस-पास के क्षेत्रों में नियमित रूप से कीटनाशकों का छिड़काव करते रहें। घर के आसपास पानी वाले स्थानों, जैसे कि गमले, टायर और कंटेनर आदि न रखें। ऐसी जगहों की यात्रा करने से बचें, जहां मलेरिया का प्रकोप ज्यादा हो।
मलेरिया से बचाव के लिए को वैक्सीन जरूर लगवाएं। अगर लक्षण महसूस करें तो तुरंत जांच कराएं। मलेरिया के इलाज में एंटीमलेरियल ड्रग्स और लक्षणों को नियंत्रण में लाने के लिए दवाएं, जरूरी टेस्ट, घरेलू नुस्खे और तरल पदार्थ एवं इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल होते हैं।
खतरनाक है कुछ मामलों में
मलेरिया जानलेवा भी हो सकता है। सेरेब्रल मलेरिया इसका सबसे घातक रूप है। इसमें दौरे, कोमा और मस्तिष्क को क्षति हो सकती है। फुफ्फुसीय एडिमा के कारण सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा गुर्दे और लिवर जैसे अंग काम करना बंद कर सकते हैं, जिससे जान जोखिम में आ सकती है। बच्चों में खून की अत्यधिक कमी हो सकती है। मलेरिया में रक्त शर्करा का स्तर कम होना या हाइपोग्लाइसीमिया एक गंभीर जटिलता है, जो कभी-कभी कुनैन उपचार से और भी बढ़ जाती है।
गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव हो सकता है। इसके अलावा पीलिया, तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) और प्रसारित इंट्रावास्कुलर जमावट जैसी जटिलताएं शामिल हैं।
अगर मलेरिया का समय पर उपचार न मिले तो कुछ घंटों या दिनों के भीतर मौत भी हो सकती है। इसलिए उपचार में लापरवाही न बरतें। मलेरिया स्वास्थ्य पर तेजी से असर डालता है, जिससे शुरुआती लक्षणों के कुछ घंटी या दिनों के भीतर गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। अगर मलेरिया के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में जाने या रहने के बाद बुखार आता है तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। गंभीर लक्षणों में आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत पड़ती है।
तरल पदार्थों का सेवन बेहद जरूरी
मलेरिया के इलाज में हर मरीज के लिए एक जैसी दवा नहीं होती है। यदि मलेरिया बुखार में शरीर का तापमान जल्दी-जल्दी बढ़ या घट रहा है तो दोबारा से रक्त जांच करानी चाहिए। तबियत बिगड़ने पर अपनी मर्जी से किसी भी प्रकार की दर्द निवारक दवाइयों को न लें। मलेरिया होने पर तरल पदार्थों का सेवन लगातार करते रहे। शरीर का तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा टॉवल लपेट लें। थोडे-थोड़े अंतराल पर माथे पर ठंडी पट्टियां रखते रहे। दवाइयों के सेवन के बाद भी तेज बुखार बना रहे तो दोबारा रक्त की जांच कराएं। लक्षण कम होने पर भी बिना चिकित्सकीय सलाह के किसी दवा का प्रयोग न करें।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।