
मस्तिष्क को स्वस्थ रखना भी बेहद जरूरी Publish Date : 31/03/2025
मस्तिष्क को स्वस्थ रखना भी बेहद जरूरी
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धा और चुनौतिया बहुत अधिक बढ़ चुकी हैं और ऐसी स्थिति में दिमाग के तेज रहने पर ही हम वांछित सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आजकल हमारे खाने-पीने और जीवनशैली में ऐसी अनेक ऐसी चीजों का समावेश हो चुका है जो असमय और बिना किसी स्पष्ट कारण के ही हमारे दिमाग की बत्ती को गुल कर देती हैं। वैसे भी मस्तिष्क की क्षमता का महत्व हमारे सभी कार्यों में रहता है और हमारे दैनिक कार्य भी इसी पर निर्भर करते हैं।
दिल की तरह से ही हमारा मस्तिष्क भी सदैव कार्य करता रहता है, यही कारण है हमारे दिमाग में सोते समय भी इसमें कुछ न कुछ अवश्य ही चल रहा होता है। जब हम खामोश होने की स्थिति में रहते हैं, उस समय भी हमारा दिमाग दौड़ता ही रहता है। आकाशीय बिजली की तरह ही हमारे दिमाग में कोई न कोई विचार कौंधता ही रहता है। मानवीय दिमाग को पूरी तरह से समझ पाने के लिए वैज्ञानिक और चिकित्सक आज भी सतत प्रयास कर रहे हैं।
आयोडीन की कमी
आयोडीन तत्व की कमी के चलते बच्चों के बौद्विक स्तर में भी कमी आ जाती है। यदि किसी महिला को उसकी गर्भावस्था के दौरान उचित मात्रा में आयोडीन नहीं मिलता है तो इसका प्रभाव उसके गर्भस्थ शिशु के मानसिक विकास पर भी पड़ता है। आयोडीन का स्तर कम होने से बच्चे की जनरल इंटेलीजेंस कम हो जाती है। आयोडीन की कमी का प्रभाव बौद्विक क्षमता के अतिरिक्त स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
आयोडीन की प्राप्ति हमें समुद्री नमक, सिंघाड़ा, कमल नाल, मूली, शतावर, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, मशरूम, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, दूध, पनीर और समुद्री जीवों के माध्यम से होती है।
रसायन एवं कीटनाशक
खेत में उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न रसायनों एवं कीटों को मारने के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इन रसायनों और कीटनाशकों के प्रयोग की अधिकता से उत्पन्न टॉक्सिंस भी हमोर मस्तिष्क की क्षमता को प्रभावित करते हैं। गर्भावस्था से माता के खानपान में किसी भी प्रकार से इन टॉक्सिंस का स्तर बढ़ता है तो तो यह गर्भस्थ शिशु के दिमागी विकास को कुप्रभावित करता है और बच्चे की शारीरिक वृद्वि पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
ऐसे बच्चे कम बुद्वि लब्धि वाले होते हैं। अतः आपको सलाह दी जाती है कि गर्भावस्था के दौरान आप प्राकृतिक विधि से प्राप्त फल और आहार का अधिकता से सेवन करें।
बचपन मँ, माँ-बाप एवं बड़ों की डांट
बचपन में बात बात पर डांट-फटकार सुनने वाले बच्चे भी दिमागी रूप से बीमार होकर बौद्विक रूप से कमजोर रह जाते हैं। ऐसे में बच्चे तनाव और अवसाद से घिर जाते हैं, अतः यह भी बच्चे के दिमाग की क्षमता को कम करता है। इसलिए अपने बच्चे को दिमागी रूप से स्वस्थ रखने के लिए डांटने अथवा फटकारने के स्थान पर उसे प्यार एवं सहानुभति पूर्वक समझाएं।
फैटी फूड्स का अधिक सेवन करना
वसा की उच्च मात्रा से युक्त भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करना भी मस्तिष्क की क्रिया को प्रभावित कर उसे क्षति पहुँचाता है। केक, बिस्किट और बर्गर आदि में पाया जाने वाला फैट भी बच्चों को पढ़ाई में कमजोर कर देता है। फैटी फूड्स का अधिक मात्रा में सेवन करने से बच्चे का परीक्षा परिणाम खराब हो सकता है। अतः प्रयास करें और फैटी फूड्स का अधिक सेवन करने से यथासम्भव बचकर ही रहें।
मदिरापान करना
शराब पीने के शौकीन लोग की दिमागी क्षमता भी कमजोर हो सकती है। शराब का अधिक सेवन करने से मस्तिष्क की सक्रिय कोशिकाएं मर जाती हैं, जिससे सम्बन्धित व्यक्ति की याददाश्त खत्म को जाती है। इससे किसी बात को लम्बे समय तक याद रखने की क्षमता भी प्रभावित होती है। अतः इस समस्या से बचने के लिए मदिरापान करने से बचें।
धूम्रपान करना
धूम्रपान करने की आदत से भी आपकी याददाश्त क्षमता कम होती है और व्यक्ति मंदबुद्वि हो जाता है। धूमंपान करने से व्यक्ति के संज्ञानात्मक बोध सम्बन्धी कार्य-कलाप भी प्रभावित होने लगते हैं। धूम्रपान करने की आदत आपकी दैनिक याददाश्त का लगभग एक तिहाई भाग खत्म कर देती है। इससे मस्तिक कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं अतः इन समस्त दुष्प्रभावों से बचने के लिए धूम्रपान करने को अविलंब अलविदा कहें।
जक फूड का सेवन
बच्चों के आईक्यू को जंकफूड का का अधिक सेवन करना भी कम करता है। हालांकि, बच्चे जंक फूड्स का सेवन बड़े चाव से करते हैं, परन्तु इससे बच्चों की बौद्विक क्षमता कुंद (भोथरी) हो जाती है। जंक फूड यानि परिष्कृत खानपान में वसा, शर्करा, ऊर्जा एवं रसायनों की मात्रा अधिक होती है और इनका अधिक सेवन करने से आईक्यू का स्तर कम हो जाता है। ऐसे बच्चों की मस्तिष्क की क्षमता में कमी आ जाती है, अतः आपकों सलाह दी जाती है कि अपने बच्चों को और स्वयं भी जंक फूड्स का सेवन के स्थान पर पोष्टिक आहार लेने की आदत डालें।
मिष्ठान एवं टॉफी
सर्वप्रिय बन चुकी मिठाई और टॉफी आदि का सेवन करना भी दिमाग की सेहत के लिए काफी खतरनाक माना जाता है। मुंह में पानी लाने वाली मिठाईयां एवं टॉफी आपकी कमर का घेरा वजन को बढ़ाने में सहयोग करती हैं और साथ ही यह दिमाग को भी कमजोर करती हैं। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से हमारी स्मरण शक्ति भी कम हो जाती है। अतः यदि आप इस स्थिति से बचना चाहते हैं तो मिठाई और टॉफी आदि का सेवन करने से बचें।
प्रदूषण
धूल, धुआँ और गंध आदि के प्रदूषण से भी हमारे दिमाग की कार्य क्षमता को कुप्रभावित करते है। प्रदूषण व्यक्ति को तनाव एवं अवसाद की स्थिति में पहुँचाता है जो कि प्रभावित व्यक्ति की मानसिक क्षमता को हानि पहुँचाता है और उसे कम भी कर देता है। प्रदूषण के माध्यम से हमारे दिमाग में विभिन्न प्रकार के खतरनाक बदलाव होते हैं और साथ ही प्रदूषण का प्रभाव हमारे दिल एवं फेफड़ों पर भी पड़ता है। अतः अपने दिमाग की क्षमता को सही रखने के लिए किसी भी प्रकार के प्रदूषण से स्वयं को बचाकर रखें और स्वच्छ एवं ताजी हवा में सांस लें।
मोबाइल, कम्प्यूटर एवं टीवी
मोबाइल, कम्प्यूटर एवं टीवी आदि संचार एवं मनोरंजन के साधनों का अधिक प्रयोग करना भी हमारी दिमागी क्षमता को कुप्रभावित करता है। यह आधुनिक उपकरण हमें अनावश्यक तनाव प्रदान करते हैं एवं यह अपनी उपयोगिता के चलते यह सबको मूर्ख और गुलाम बनाते हैं। ऐसे में कम्प्यूटर की बढ़ती मेमोरी इंसान की मेमोरी को खाली कर रही है और कम्प्यूटर का ज्ञान, मानव के ज्ञान के भण्ड़ार को लील रहा है। अतः इन डिवाइसो पर अधिक आश्रित रहना अथवा इनका गुलाम बनने की प्रवृत्ति से निजात पाने का प्रयास करें। टेलीफेान और मोबाइल जैसे उपकरणों से लम्बी बातचीत और टीवी तथा कम्प्यूटर की दुनिया में डूबे रहने से बचने का प्रयास करें।
मानसिक दबाव
चिंता, अवसाद और क्रोध आदि के जैसे अन्य मानसिक दबाव हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता और स्मरण शक्ति को कम करते हैं। इसके उपाय और इस स्थिति से उबरने के लिए हंसें और दूसरे लोगों को भी हंसाएं।
विश्राम एवं नींद
किसी भी चीज में अधिक डूबने से हमारी मानसिक क्षमता कम होती है। किसी काम या पढ़ाई की अधिकता या उसे बोझ मानकर चलने से भी हमारे दिमाग की कार्य क्षमता में निर्बलता आती है। इससे बचने के लिए विश्राम करना और भरपूर नींद लेना भी आवश्यक है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं