तेजी से बढ़ रही कैंसर के चलते मृत्यु दर      Publish Date : 17/03/2025

               तेजी से बढ़ रही कैंसर के चलते मृत्यु दर

                                                                                                                    डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

भारत सहित कैंसर अब पूरी दुनिया में अब एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए हालिया सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि भारत में कैसर से होने वाली मौतों की दर चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। विशेष रूप से महिलाजों में कैंसर की दर पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है।

                                                

मणेोथीकैन 2022 के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं में कैंसर से मृत्यु की दर में 1.2 फीसद से 4.4 फीसद तक तक वार्षिक वृद्धि हुई है, जबकि पुरुषों में यह वृद्धि 1.2 फीसद में 2.4 फीसद तक रही है।

ये आंकडे न केवल एक स्वास्थ्य आपातकाल की ओर संकेत कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक और चिकित्सा व्यवस्था को कमियों को भी उजागर करते हैं। महिलाओं में कैंसर से बढ़ती मृत्यु दर एक जटिल समस्या है, जो केवल जैविक या निकायों कारणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमे सामाजिक, आर्थिक, जागरुकता और स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच की भी बड़ी भूमिका है। भारत में हर पांच में से तीन लोग कैंसर के निदान के बाद अपनी जान गंवा देते हैं। यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि कैंसर न केवल एक गंभीर रोग है, बल्कि भारत में इसका उपचार भी उतना प्रभावी नहीं हो पा रहा है। खासकर महिलाओं में यह स्थिति अधिक गंभीर होती जा रही है।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देतीं। परिवार की जिम्मेदारियां, सामाजिक दबाव, और आर्थिक निर्भरता उन्हें समय पर जांच और इलाज कराने से रोकते हैं। कई बार कैंसर के शुरुआती लक्षणों को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे बीमारी तब पकड़ी जाती है जब यह अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी होती है। महिलाओं में कैंसर को बढ़ती दर के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हो सकते है। इनमें सबसे पहले, जागरुकता की भारी कमी एक प्रमुख कारण है। स्तन कैंसर और भीशय फ्रेंचा (सर्वाइकल) कैसर जो भारत में महिलाओं में सबसे आम हैं, यदि प्रारंभिक अवस्था में पकड़ लिए यहां तो इनका इलाज संभव है, लेकिन दुर्भाग्यवश महिलाओं में नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की आदत नहीं होती। आधुनिक जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियों की कमी असंतुलित आहार, धूम्रपान, शराब का सेवन करना और अत्यधिक तनाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।

                                                    

पहले के समय में महिलाएं अधिक शारीरिक श्रम करती थीं और उनका खान-पान भी पारंपरिक और पोषक तत्वों से भरपूर होता था, लेकिन आज की इस भागदौड़ से भरी जिंदगी में यह सब चीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन, व्यायाम की कमी, और मानसिक तनाव ने महिलाओं में कैंसर के खतरे को कई गुना तक बढ़ा दिया है। इसमें एक और महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि महिलाओं में कैसर के कई मामले अनुवांशिक और हार्माेनल असंतुलन से भी जुड़े होते हैं। स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और अंडाशय (ओवेरियन) कैंसर मुख्यरूप से जलवायु परिवर्तन और अनुवांसिक प्रवृत्तियों के कारण होते हैं।

महिलाओं में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में स्तन कैंसर, गर्भीशय ग्रीवा (सर्वइकाल) कैसर, फेफड़ों का कैंसर, अंडाशय (ओवेरियन) कैंसर और कोलोरेक्टल कैसर शामिल हैं। ये कैसर भारत में महिलाओं को कैंसर मृत्यु दर का 44 फीसद हिस्सा बनते है। महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम है और इसको मृत्यु दर भी अधिक है, क्योंकि यह देर से पहचाना जाता है। इस गंभीर समस्या का समाधान केवल चिकित्सा उपचार तक सीमित नहीं हो सकता। इसके लिए व्यापक स्वर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, जिससे महिलाओं को समय पर जांच और इलाज कराने के लिए प्रेरित किया जा सके। महिलाओं को स्वयं अपनी सेहत को प्राथमिकता देने की मानसिकता विकसित करनी होगी।

साथ ही सरकार को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवकों की उपलब्धता को बढ़ने के लिए मोबाइल हेल्थ चैन, निःशुल्क कैंसर जांच शिविर, और जागरूकता जैसे कार्यक्रमों को आयोजित करने की आवश्यकता है।

भारत में कैंसर की रोकथाम और इलाज को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना होगा। सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक जांच और उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं भी समय पर अपना उचित इलाज करा सकें। इसके अलावा, एचपीवों वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण जैसी गतिविधियां भी कार्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए, ताकि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सके। महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना भी आवश्यक है। यह केवल एक चिकित्सा समस्या नहीं, बॅल्कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दा भी है।

                                          

इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार, स्वास्थ्य संगठनों, समाज और स्वयं महिलाओं को मिलकर प्रयास करने होंगे। महिलाओं के जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए हमे ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके और भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र बनाया जा सके।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।