सैनिकों के लिए कृषि महाविद्यालय में 21 दिवसीय वर्मी-कम्पोस्ट उत्पादन तकनीकी प्रशिक्षण      Publish Date : 10/09/2025

सैनिकों के लिए कृषि महाविद्यालय में 21 दिवसीय वर्मी-कम्पोस्ट उत्पादन तकनीकी प्रशिक्षण

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में स्थित कृषि महाविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग, मेरठ के द्वारा 21 दिवसीय वर्मी-कम्पोस्ट उत्पादन तकनीकी विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम सेना के विभिन्न कोर के जवानों एवं अधिकारियों के लिए शुभारंभ हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 08 सितम्बर से 28 सितम्बर 2025 तक आयोजित किया जाएगा।

                                                           

कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि एवं विवि के माननीय कुलपति महोदय डॉ. के. के. सिंह जी ने वर्मी-कम्पोस्ट के उत्पादन एवं महत्व पर प्रकाश डाला और उन्होंने कृषि की भूमिका में वर्मी-कम्पोस्ट के महत्व को विस्तार से बताया। माननीय कुलपति जी ने प्रशिक्षणार्थियों एवं अन्य शिक्षकों, वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण को स्वच्छ एवं संतुलित बनाए रखने, उच्च गुणवत्ता युक्त खाद्यान्न, फल, सब्जियाँ, दूध उत्पादन तथा मृदा की जैविक, भौतिक एवं रासायनिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए और किसानों की आय बढ़ाने की आवश्यकता है।

उक्त कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति महोदय डॉ. के. के. सिंह जी ने वर्मी-कम्पोस्ट के उत्पादन एवं महत्व पर प्रकाश डाला और उन्होंने कृषि की भूमिका में वर्मी-कम्पोस्ट के महत्व को बताया।

                                                           

माननीय कुलपति जी ने प्रशिक्षणार्थियों एवं अन्य शिक्षकों, वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण को स्वच्छ एवं संतुलित बनाए रखने, उच्च गुणवत्ता युक्त खाद्यान्न, फल, सब्जियाँ, दूध उत्पादन तथा मृदा की जैविक, भौतिक एवं रासायनिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वर्मी-कम्पोस्ट अत्यंत महत्वपूर्ण जैविक खाद है, जो पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध कराती है।

निदेशक कृषि डॉ. विवेक धामा ने माननीय कुलपति जी का स्वागत किया और अपने संबोधन में वर्मी-कम्पोस्ट के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजकल शहरों में भी छतों पर पौधों एवं किचन गार्डन बनाने के लिए इसकी बहुत अधिक माँग है।

डॉ. एस. पी. सिंह, विषय विशेषज्ञ ने विस्तारपूर्वक 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि सात प्रदेशों से आए प्रशिक्षणार्थी इस कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में विषय से संबंधित व्याख्यान, प्रयोगशालाओं में प्रयोग और भ्रमण कराए जाएँगे।

                                                            

मृदा विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. यू. पी. शाही जी ने वर्मी-कम्पोस्ट पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए कहा कि पशु-पक्षियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जैविक खाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ. यू.पी. शाही ने प्रशिक्षण में आए हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों, मुख्य अतिथि माननीय कुलपति महोदय डॉ. के. के. सिंह, तथा विश्वविद्यालय सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रेस मीडिया का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन में निदेशक स्नातकोत्तर डॉ. गोपाल सिंह, निदेशक शोध डॉ. देव फिकलानी, डॉ. सरसेंद्र कुमार, डॉ. योगेश कुमार, डॉ. नीरज कुमार तथा कृषि संकाय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं कृषि संकाय के सदस्यगण उपस्थित रहे।