नैनो कवकनाशी एवं फसल सुरक्षा पर एकदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न      Publish Date : 10/06/2025

नैनो कवकनाशी एवं फसल सुरक्षा पर एकदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

आगामी युग नैनोटेक्नोलॉजी का होगा- प्रोफेसर रामजी सिंह

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के कांफ्रेंस हॉल में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के संयुक्त तत्वाधान में नैनो काव़कनाशी एवं फसल सुरक्षा विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफेसर रामजी सिंह, निदेशक प्रसार डॉक्टर पी के सिंह, निर्देशक शोध डॉक्टर कमल खिलाड़ी, निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेंगर एवं परियोजना के मुख्य अन्वेषक नीलेश कपूर के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर रामजी सिंह ने कहा कि नैनो कवाकनाशको की सहायता से कीट रोग नियंत्रण अब पर्यावरणीय खतरे को बचाए रखते हुए भी संभव हो सकेगा। उन्होंने कृषि में हो रहे नवीन परिवर्तन और किसानो की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि जब किसान और वैज्ञानिकों को साथ मिलकर   कृषिगत समस्याओं का समाधान खोजें।

निदेशक शोध डॉक्टर कमल खिलाड़ी ने संबोधित करते हुए कहा की विश्वविद्यालय में कई वर्षों से नैनो कवकनाशको पर शोधकार्य किए जा रहे हैं और इन शोधकार्यों के प्रारंभिक परिणाम अत्यंत उत्साहजनक रहे हैं। उन्होंने बताया कि पारंपरिक कवकनाशकों की तुलना में नैनो रूपांतरित कवकनाशकों में रोग नियंत्रण की क्षमता कई गुना अधिक पाई गई है।

                                              

निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट डॉ आर एस सेंगर ने अपने संबोधन में कहा की कृषि उत्पादन में टिकाऊ और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नैनो तकनीकी एक प्रभावशाली साधन बन सकती है। उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय उत्तर प्रदेश में अग्रणीय भूमिका निभा रहा है और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई यह तकनीक  कृषकों के लिए भविष्य में वरदान साबित हो सकती है।

निदेशक प्रसार डॉ पी के सिंह ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक जागरूकता की कमी को रेखांकित करते हुए कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए ऐसे प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रसायन की अधिकता से भूमि की उर्वरता घटती जा रही है, जबकि नैनो तकनीकी पर्यावरण अनुकूलित एवं दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है।

परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ नीलेश कपूर ने दूसरे सत्र में संबोधित करते हुए कहा कि नैनो कवक नाशियों को बनाने के लिए अनुसंधान कार्य तेजी से किया जा रहे हैैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से इस परियोजना में नैनो कवकनाशियो के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नैनो कवकनाशको की विशेष सतही संरचना के कारण रोग नियंत्रण करने में बेहतर परिणाम मिलते हैं।

वैज्ञानिक डॉ रेखा दीक्षित ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया की नैनो कवकनाशकों की संरचना क्रियाविधि तथा पौधों पर पड़ने वाले उनके प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नैनो कण पौधों की कोशिकाओं तक पहुंचकर रोग-जनको को निष्क्रिय करते हैं जिससे रोग नियंत्रण अधिक प्रभावी तरीके से होता है।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर पंकज चौहान तथा स्वागत भाषण नीलेश कपूर द्वारा दिया गया। इस अवसर पर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर ,मेरठ, गाजियाबाद ,बिजनौर, बागपत आदि जिलों के अलावा भमौरी, विरालसी, मैथना, पलहेड़ा, डोरली, चिरोड़ी, खेड़ा, पीरपुर, पावली और पबरसा आदि गांवों के 95 से  अधिक किसान उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में डॉक्टर बुध्यास गौतम, डॉ पंकज चौहान, डॉक्टर रेखा दीक्षित, डॉक्टर नीलेश कपूर, अभिनव सिंह का विशेष योगदान रहा। इसके साथ ही इस अवसर पर नैनो कवक नाशी कृषक मार्गदर्शिका पुस्तक का विमोचन भी किया गया।