
विज्ञान और प्रौद्योगिकी से सशक्त होते एमएसएमई Publish Date : 27/05/2025
विज्ञान और प्रौद्योगिकी से सशक्त होते एमएसएमई
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
एमएसएमई को अधिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी समाधानों से जोड़ने की अत्यंत आवश्यकता है, ताकि वे सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को व्यावहारिक उत्पादों और प्रक्रियाओं में रूपांतरित कर सकें। विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित योजनाओं के माध्यम से एमएसएमई को अनुसंधान, नवाचार एवं तकनीकी क्षेत्र में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि हो रही है और उन्हें वैश्विक स्तर पर व्यापक पहचान प्राप्त हो रही है। स्वदेशी तकनीकी नवाचारों के बल पर एमएसएमई तेजी से अपनी वैश्विक पहचान सुदृढ़ कर रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहलों ने एमएसएमई को केवल एक आर्थिक इकाई के रूप में ही नहीं बल्कि नवाचार, रोजगार सृजन और ग्रामीण उत्थान के एक प्रमुख केंद्र के रूप में भी स्थापित किया है।
भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान है, चूंकि एमएसएमई न केवल आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि राष्ट्रीय आय के समान वितरण और रोजगार सृजन में भी सहायक होते हैं। विशेष रूप से, एमएसएमई का प्रभाव ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में उद्यमिता के विकास को बढ़ावा देने में देखा जाता है। इन उद्यमों ने निर्यात, ग्रामीण क्षेत्रों के विकासऔर समावेशी विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
आज एमएसएमई को अधिक वैज्ञानिक और तकनीकी समाधानों से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि वे सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान और विकास को उत्पादों और प्रक्रियाओं में रूपांतरित कर सकें। इन उद्यमों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बनकर उभरी हैं, जो एमएसएमई को समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित योजनाओं के माध्यम सेएमएसएमई को अनुसंधान, नवाचार, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आवश्यक संसाधन प्राप्त हो रहे है, जो उन्हें प्रतिस्पर्धी बना रहा है और उन्हें अधिक वैश्विक स्तर पर पहचान दिला रहा है।
आज देश के एमएसएमई स्वदेशी तकनीकी नवाचारों से अपनी वैश्विक पहचान बना रहे हैं। एमएसएमई क्षेत्र ऊर्जा दक्ष इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इलेक्ट्रिक बाइक, ड्रोन तकनीक, वर्चुअल रिएलिटी, स्वास्थ्य उपकरण, रोबोटिक्स और ऊर्जा से जुड़े अनुप्रयोगों में देश को सेवाएं दे रहा है। एमएसएमई उद्यमों की सहायता और प्रोत्साहन के लिए देश में विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जो कि एमएसएमई और स्टार्टअप को नई दिशा दे रहे हैं। इस लेख में आगे मुख्य योजनाओं का उल्लेख किया गया है।
सामान्य अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास हब (CRTDH कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब)
औद्योगिक क्लस्टर क्षेत्रीय आर्थिक विकास व नवाचार को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी दिशा में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 में सामान्य अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास हब (कॉमन रिसर्च एंड टेक्नॉलजी डेवलपमेंट हब) कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य एमएसएमई क्लस्टर में तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना, बौद्धिक संपत्ति अधिकार समस्याओं का समाधान प्रदान करना, प्रौद्योगिकी विकास में गति लाना, विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना है और एमएसएमई को वैज्ञानिक समाधान उपलब्ध कराना है।
यह कार्यक्रम एमएसएमई को सहयोगात्मक प्लेटफ़ॉर्म भी प्रदान करता है, जहां वे अपने बौद्धिक संपत्ति अधिकार से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, कौशल विकास कर सकते है, साथ ही नए बाजार अवसरों और उभरती हुई ग्राहक जरूरतों की पहचान कर सकते हैं, और एमएसएमई अनुसंधान संस्थानों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब की संरचना और कार्यप्रणाली के अंतर्गत विभिन्न शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों में सुविधाओं या केंद्रों की स्थापना की जाती है, जहां कई संगठन अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों में सहयोग करते हैं। ये हब उद्योग, अकादमिक और सरकार को एकजुट करके साझा समस्याओं पर काम करने, संसाधनों का आदान-प्रदान करने और विशेषज्ञता एकत्र करने का अवसर प्रदान करते हैं।
इसके अंतर्गत वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग द्वारा विभिन्न पहलुओं के लिए अनुदान प्रदान किए जाते हैंजैसे कि अनुसंधान और विकास सुविधाएं, विश्लेषणात्मक परीक्षण सुविधाएं, डिजाइन केंद्र, पायलट प्लांट उत्पादन सुविधाएं, डिजाइन इंजीनियरिंग और प्रोटोटाइप विकास, प्रदर्शन इकाइयां और उत्पाद प्रदर्शनी केंद्र। इन सुविधाओं के माध्यम से शोधकर्ता, नवप्रवर्तक और एमएसएमई अपनी परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन प्राप्त कर सकते है।
इस योजना के तहत, अब तक 18 कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवेलपमेंट हब स्थापित किए गए हैं, जो पांच प्रमुख क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स व नवीकरणीय ऊर्जा, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं, पर्यावरणीय हस्तक्षेप, कम लागत वाली मशीनरी और नए पदार्थ व रासायनिक प्रक्रियाएं। ये हब सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान संस्थानों में स्थापित किए गए हैं। इस कार्यक्रम में एमएसएमई और अन्य नवप्रवर्तकों के लिए एक ऐसा पारितंत्र तैयार किया गया है जो नवाचार और उत्पाद विकास के साथ-साथ व्यापार की प्रक्रिया को भी सक्षम बनाता है।
इस पहल के माध्यम से, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग नवप्रवर्तकों को प्रोत्साहित कर रहा है और एमएसएमई को आवश्यक अनुसंधान और विकास सुविधाएं प्रदान कर रहा है, ताकि वे वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सके और आर्थिक विकास में अपना योगदान दे सकें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।