कैल्शियम की कमी का मसल्स पर प्रभाव      Publish Date : 07/10/2025

                   कैल्शियम की कमी का मसल्स पर प्रभाव

                                                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

कैल्शियम की कमी का प्रभाव केवल हड्डियों पर ही नहीं पड़ता है। इससे हमारी मांसपेशियों में अकड़न भी आ सकती है। कैल्शियम लेवल के बहुत अधिक कम होने से झुनझुनी (अक्सर होंठों, जीभ, उंगलियों और पैरों में), मांसपेशियों में दर्द, गले की मांसपेशियों में ऐंठन (जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ़ होती है), मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन (टिटेनी), सीज़र्स और असामान्य हृदय की धड़कन आदि की समस्या भी हो सकती है।

कैल्शियम हमारे शरीर के लिए अहम मिनरल होता है। यह हमारी हड्डियों और दांतों के लिए एक आवश्यक तत्व माना जाता है। यहां तक कि हमारे कई मसल्स फंक्शन जैसे मसल्स कॉन्ट्रैक्शन, नर्व सिग्नल ट्रांसमिशन आदि में भी कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है। अगर हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम न हो, तो ब्लड क्लॉटिंग की जटिल प्रक्रिया भी बाधित हो सकती है। यह सच है कि कैल्शियम की कमी होने पर मांसपेशियों में अकड़न हो सकती है। असल में कैल्शियम आयन मसल्स कॉन्ट्रैक्शन और रिलैक्सेशन के लिए आवश्यक होते है।

                                                        

जब शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है, तो मसल्स अपने आप सिकुड़ने लगती है। इससे स्टिफनेस आ जाती है, असहजता बढ़ जाती है। नतीजतन, मांसपेशियों में अकड़न, पैरों में दर्द जैसी कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो कैल्शियम की कमी की वजह से पीठ में भी दर्द बढ़ने लगता है। इसलिए शरीर में कैल्शियम की कमी की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। अगर लंबे समय तक कैल्शियम की कमी को इग्नोर करते हैं, तो कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसमें याद्दाश्त कमजोर होना, मिर्गी के दौरे पड़ना और हार्ट प्रॉब्लम आदि का होना शामिल हैं।

हमारे शरीर की हर हड्डी और मांसपेशी को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम ;ब्ंसबपनउद्ध कितना जरूरी है? कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक खनिज है, जो हड्डियों (Bones) और दांतों (Teeth) को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। यह न केवल मांसपेशियों (Muscles) और नसों (Nerves) के सही कामकाज के लिए जरूरी है, बल्कि हृदय (Heart) और अन्य अंगों के सही संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन जब शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम (Low Level of Calcium) हो जाती है, तो यह न केवल आपकी हड्डियों को कमजोर करता है बल्कि कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है और कई महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रियाओं को गहराई से प्रभावित कर सकता है।

आज की अपनी इस ब्लॉग पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि कैल्शियम की कमी के कारण (Causes of Calcium deficiency) क्या हैं, इसके लक्षण कैसे पहचानें और इसे ठीक करने के लिए क्या किया जा सकता है।

कैल्शियम क्या है और यह क्यों जरूरी है?

कैल्शियम एक महत्वपूर्ण खनिज है, जो हमारे शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक है। यह हमारे हड्डियों, दांतों, मांसपेशियों, तंत्रिका तंत्र और रक्त संचार आदि के सामान्य कामकाज लिए बेहद जरूरी है। यह खनिज मुख्य रूप से शरीर में हड्डियों और दांतों में जमा होता है। शरीर में मौजूद कुल कैल्शियम का लगभग 99 प्रतिशत भाग हड्डियों और दांतों में होता है, जबकि बाकी का 1 प्रतिशत रक्त और अन्य ऊतकों में भी पाया जाता है।

हड्डियों और दांतों के निर्माण मे सहायकः कैल्शियम हड्डियों और दांतों की मजबूती और इनके विकास में मुख्य भूमिका निभाता है। यह बच्चों और किशोरों के विकास के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि इस दौरान हड्डियों का निर्माण तेजी से होता है।

हड्डियों के घनत्व को बनाए रखनाः उम्र बढ़ने के साथ ही हड्डियों का घनत्व (Bone Density) कम होने लगती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कैल्शियम हड्डियों को कमजोर होने से भी बचाता है।

मांसपेशियों के संकुचनः शरीर की मांसपेशियों के ठीक से काम करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। यह मांसपेशियों के संकुचन (Muscle Contractions) और उनके ढीलेपन को नियंत्रित करता है।

तंत्रिका तंत्र के कार्य का समर्थनः कैल्शियम शरीर के तंत्रिका तंत्र (Nervous System) की कार्य प्रणाली को नियंत्रित करता है। यह तंत्रिका कोशिकाओं  के बीच सिग्नल भेजने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क और शरीर के बीच संपर्क बना रहता है।

हृदय का सही तरीके से कार्य करनाः कैल्शियम हृदय की धड़कन को नियमित करने में मदद करता है। यह हृदय की मांसपेशियों को सही तरीके से काम करने में सहायता करता है।

रक्त का थक्का जमानाः कैल्शियम की सहायता से शरीर में रक्त का थक्का जमता है, जो चोट लगने पर अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हॉर्मोन और एंजाइम का निर्माणः कई हॉर्मोन और एंजाइम के निर्माण और उनके कार्यों के लिए कैल्शियम जरूरी होता है।

कैल्शियम की कमी क्यों होती है?

जिला अस्पताल, मेरठ के मेडिकल ऑफिसर डॉ0 दिव्यांशु सेंगर के अनुसार, शरीर में कैल्शियम की कमी कई कारणों के चलते हो सकती है। कैल्शियम का स्तर कम होने से शरीर के सामान्य कार्यों में बाधा आ सकती है, जिससे हड्डियों, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कैल्शियम की कमी के कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

खराब आहार प्रणालीः कैल्शियम की कमी का एक प्रमुख कारण है कैल्शियम युक्त आहार का न लेना। यदि व्यक्ति अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, तिल, सोया उत्पाद और मछली आदि नहीं ग्रहण करता है, तो शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। आधुनिक जीवनशैली और फास्ट फूड के सेवन के कारण लोग इन आवश्यक तत्वों को अपनी डाइट से बाहर रखते हैं, जिससे यह कमी और भी अधिक बढ़ जाती है।

विटामिन D की कमीः विटामिन D शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। जब शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती है, तो कैल्शियम को शरीर ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता है। इसके कारण कैल्शियम की कमी हो सकती है, भले ही आहार में कैल्शियम की मात्रा भी ठीक हो। विटामिन D की कमी विशेष रूप से उन लोगों में होती है, जो सूरज की रौशनी से पर्याप्त संपर्क नहीं करते, जैसे ऑफिस में काम करने वाले लोग, या जिनके पास पर्याप्त आहार स्रोत नहीं होते।

उम्र का बढ़नाः जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, शरीर में कैल्शियम का स्तर भी कम होने लगता है। खासकर महिलाओं को रजोनिवृत्ति के बाद कैल्शियम की कमी का सामना करना पड़ता है। रजोनिवृत्ति के बाद शरीर में एस्ट्रोजन हार्माेन का स्तर हो जाने के कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और कैल्शियम का अवशोषण भी प्रभावित होता है। उम्र के साथ हड्डियों में कैल्शियम का टूटना बढ़ सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

                                                                   

हड्डी रोगः कुछ हड्डी रोग, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) और ऑस्टियोमलेशिया (Osteomalacia) कैल्शियम की कमी का प्रमुख कारण बन सकते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) में हड्डियाँ कमजोर और आसानी से टूटने योग्य हो जाती हैं। यह रोग कैल्शियम के अवशोषण और उपयोग को प्रभावित करता है, जिससे हड्डियाँ और कमजोर हो जाती हैं। इस प्रकार के रोगों में शरीर कैल्शियम को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता, जिससे शरीर में इसकी कमी हो जाती है।

Hormonal Change: शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने के लिए Hormonal संतुलन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। थायरॉइड और पैराथायरॉइड ग्रंथियों के असंतुलन से कैल्शियम का स्तर प्रभावित हो सकता है। हाइपरथायरॉइडिज़म और हाइपोथायरॉइडिज़म जैसे थायरॉइड विकार कैल्शियम के अवशोषण और वितरण को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, पैराथायरॉइड हॉर्माेन का असंतुलन कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने में बाधा डालता है, जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है।

अधिक मात्रा में नमक और कैफीन का सेवन करनाः अधिक नमक और कैफीन का सेवन कैल्शियम की कमी का कारण बन सकता है। अत्यधिक नमक के सेवन से शरीर कैल्शियम को पेशाब के माध्यम से बाहर निकाल देता है। इसके अलावा, ज्यादा कैफीन का सेवन करने से भी शरीर से कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ सकता है। कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन, जैसे चाय, कॉफी और सोडा आदि कैल्शियम के स्तर को कम कर सकता है और इसकी कमी उत्पन्न कर सकता है।

दवाइयों का प्रभावः कुछ दवाइयाँ भी कैल्शियम की कमी का कारण बन सकती हैं। विशेष रूप से स्टेरॉयड और मूत्रवर्धक जैसी दवाइयाँ शरीर से कैल्शियम को बाहर निकाल सकती हैं। जो लोग लंबे समय तक इन दवाइयों का सेवन करते हैं, उन्हें कैल्शियम की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, कुछ अन्य दवाइयाँ, जैसे एंटीबायोटिक्स और एंटीडिप्रेसेंट्स आदि भी कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित कर सकती हैं।

गुर्दे की बीमारियाँ: गुर्दे का सही तरीके से काम न करना कैल्शियम और फॉस्फोरस के संतुलन को प्रभावित कर सकता है। जब गुर्दे ठीक से काम नहीं करते, तो कैल्शियम का स्तर कम हो सकता है, क्योंकि गुर्दे कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद करते हैं। गुर्दे की बीमारियाँ जैसे किडनी फेल्योर, शरीर में कैल्शियम का असंतुलन पैदा कर सकती हैं, जिससे इसकी कमी हो सकती है।

कैल्शियम की कमी के लक्षणः

जब शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, तो इसके कई शारीरिक और मानसिक लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों पर प्रभाव डालते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:

हड्डियों में दर्द और कमजोरीः शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, जिससे उनमें दर्द और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है।

मांसपेशियों में ऐंठनः मांसपेशियों में बार-बार खिंचाव और ऐंठन कैल्शियम की कमी का एक संकेत है।

दांतों की समस्याः दांतों में कैविटी, दर्द और कमजोर दांत कैल्शियम की कमी के कारण होते हैं।

नाखूनों और बालों का कमजोर होनाः कैल्शियम की कमी से नाखून पतले और टूटने लगते हैं, और बाल झड़ने लगते हैं।

थकान और कमजोरीः शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना और जल्दी थक जाना कैल्शियम की कमी के लक्षण हैं।

झुनझुनी और सुन्न होनाः हाथों, पैरों, और चेहरे पर झुनझुनी महसूस होना कैल्शियम की कमी का संकेत हो सकता है।

हृदय संबंधी समस्याएँ: कैल्शियम की कमी से हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है।

बच्चों में रिकेट्स रोगः बच्चों में कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ कमजोर और टेढ़ी हो जाती हैं।

अनिद्राः कैल्शियम की कमी नींद की समस्या का कारण बन सकती है।

ऑस्टियोपोरोसिस: कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ छिद्रयुक्त और कमजोर हो जाती हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस नामक रोग होता है।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।