बदलते हुए मौसम में रहे सावधान, बढ़ सकती है खांसी की समस्या      Publish Date : 05/10/2025

  बदलते हुए मौसम में रहे सावधान, बढ़ सकती है खांसी की समस्या

                                                                                                                                                     डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

बच्चों को डॉक्टर की सलाह से ही दें कोई भी कफ सिरप

अब मौसम धीरे-धीरे बदल रहा है और वातावरण में हल्की हल्की ठंडक भी महसूस होने लगी है। मौसम में आए इस बदलाव का असर बच्चों तथा बड़ों के फेफड़ों पर भी पड़ता है। ठंडी हवा सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचने लगती है, जिससे फेफड़ों की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती है। इसके अलावा हवा के साथ ही धूल के कण पहुंचने से फेफड़ों का संक्रमण भी बढ़ जाता है और इसके चलते खांसी और सांस फूलने के मामले भी तेजी से बढ़ने लगते हैं।

जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि मौसम बदलाव के दौरान घुटनों व जोड़ों के दर्द के जैसी परेशानी भी लोगों में बढ़ जाती है। यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है जिनकी फिजिकल सक्रियता कम होती है और वह अधिक देर तक बैठकर काम करते रहते हैं। ऐसे लोगों को विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि वह नियमित रूप से व्यायाम करें ताकि उनके शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक बना रहे।

प्रायः देखा गया है कि  गांवों तथा अन्य छोटे-छोटे स्थानों पर बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के ही कोई भी कफ सिरप मेडिकल स्टोर से लेकर पिला दिया जाता है, लेकिन अभी हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देश के संबंध में मातृ एवं शिशु अस्पताल के पीडियाट्रिक के डॉक्टर ने बताया कि शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र ज्यादातर लोग बिना डॉक्टर की सलाह मेडिकल स्टोर से कफ सिरप लेकर बच्चों को पिलाते हैं जबकि यह बहुत खतरनाक हो सकता है।

बच्चों के मामले में यह समझना बेहद जरूरी है कि सही मात्रा व कम से कम दिनों के लिए उन्हें कोई भी दवा दी जाए। इसके अलावा एक साथ कई दवाओं का उपयोग न किया जाए जैसी सावधानियों से आप बच्चे की जान जोखिम में डालने से बच सकते हैं। डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि 5 वर्ष तक के बच्चों को कफ सिरप देना सुरक्षित नहीं होता है। खांसी के सिरप में मौजूद डेक्सट्रो मिठाई फन बच्चों में सांस की दिक्कत, चक्कर, उल्टी और बेहोशी आदि की समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। ड्रिंक जस्टिस जैसे इफेक्ट ड्रीम और पीएसईदो इफेक्ट ड्रीम नाम की जकड़न से राहत दिलाने में तो कर कर है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव भी शरीर पर पड़ता है। अतः बिना किसी विशेषज्ञ से सलाह किए इस प्रकार  दवाओं और सिरप को बच्चों को नहीं देना चाहिए। कई देशों में तो 15 साल तक की उम्र तक के बच्चों को कफ सिरप देने पर पाबंदी लगी हुई है।

कफ सिरप फेफड़ों में पहुंचते हैं तो राहत मिलती है लेकिन इनके साइड इफेक्ट भी होते हैं

                                                               

हम लोग जिन कफ सिरप का इस्तेमाल करते हैं, वह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। पहला ड्राई कफ सिरप और दूसरा वेट कफ सिरप

ड्राई कफ सिरप सूखी खांसी को दबाता है जबकि वेट कफ सिरप बलगम को पतला कर उसे बाहर निकलने में मदद करता है।

अधिक मात्रा में कफ सिरप नर्वस सिस्टम, सांस लेने की क्षमता, किडनी, लीवर और दिल पर भी कुप्रभाव छोड़ सकता है।

एक्सपेक्टोरेट तत्व बलगम को पतला करता है लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी होते है।

2 वर्ष तक के बच्चों को न दें कोई भी कफ सिरप

डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि बच्चों की खांसी और सर्दी में गर्म पानी भाप उपचार और नींद आदि प्राथमिक उपचार हैं। सिरप का सेवन करने से यदि उल्टी, चक्कर या सांस की दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि अधिकतर कफ सिरप में प्रिजर्वेटिव्स जैसे डाइएथिलीन ग्लाइकोल एथिलीन ग्लाइकोल होते हैं और यदि इन्हें अधिक मात्रा में लिया जाए तो यह बच्चों की किडनी, लीवर समेत अन्य अंग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में काली खांसी की समस्या हो तो बरते सावधानी

मौसम बदलने के दौरान अक्सर बच्चों और बड़ों को काली खांसी हो जाती है। हालांकि यह तुरंत ठीक भी हो जाती है, लेकिन अगर बच्चे अधिक छोटे हैं तो विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि छोटे शिशुओं में काली खांसी जानलेवा साबित हो सकती है। इस अध्ययन में गर्भावस्था के दौरान माता के टीकाकरण की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। काली खांसी एक अत्यधिक संक्रामक जीवाणु जनित श्वसन संक्रमण है जो गंभीर खांसी के दौर का कारण बनता है। इसे ड्रॉपिंग कप भी कहा जाता है।

यह संक्रमण वयस्कों और बच्चों दोनों में ही महीनों तक रह सकता है। शिकागो के एंड एंड रोबोट हरी चिल्ड्रनश्एस हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ कैटलिन ली ने कहा कि शिशुओं में काली खांसी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। इसमें खांसी की विशिष्ट विशेषता अनुपस्थित हो सकती है लेकिन इस बात का ध्यान रखना है की काली खांसी है तो शक रहे और डॉक्टर विशेषज्ञ से जांच करने के उपरांत ही कोई सिरप का प्रयोग करना उचित रहता है

बच्चों को डॉक्टर की सलाह से दें कफ सिरप

अब मौसम धीरे-धीरे बदल रहा है वातावरण में ठंडक महसूस होने लगी है। मौसम में आए इस बदलाव का असर बच्चों तथा बड़ों के फेफड़ों पर पड़ता है। ठंडी हवा सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच जाती है जिससे फेफड़ों की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती है और इसके साथ ही हवा के साथ धूल के कण भी पहुंचने से फेफड़ों का संक्रमण भी बढ़ जाता है और इसके चलते खांसी और सांस फूलने के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं।

डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि मौसम बदलाव के दौरान लोगों में घुटनों व जोड़ों के दर्द की समस्या भी बढ़ने लगती है। यह सतस्या उन लोगों में अधिक होती है जिनकी सक्रियता बेहद कम होती है और वह अधिक देर तक बैठकर काम करते रहते हैं। ऐसे लोगों को ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि वह व्यायाम करें और पहले ताकि ब्लड सर्कुलेशन ठीक बना रहे।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।