विच ईटिंग डिसऑर्डरः मानसिक एवं शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं      Publish Date : 28/09/2025

विच ईटिंग डिसऑर्डरः मानसिक एवं शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं

                                                                                                                                                                          डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

विच ईटिंग डिसऑर्डर केवल मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी आपको नुकसान पहुंचाता है। प्रत्येक व्यक्ति में अधिक मात्रा में खाते रहने से मोटापा तो बढ़ता ही है साथ में मोटापे से जुड़ी अन्य बीमारियां जैसे डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा आत्मविश्वास में कमी वजन बढ़ाने और शरीर की छवि को लेकर हीनभावना भी महसूस हो सकती है। अवसाद, चिंता, घबराहट व बेचैनी आदि के कारण व्यक्ति का भावनात्मक रूप से असंतुलन भी बढ़ता है।

कैसे बचे इस डिसऑर्डर से

सबसे अच्छी बात यह है कि विच ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज संभव है। सही समय पर पहचान और सहयोग से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके उपचार के विकल्प के रूप में साइकोथेरेपी को भी अपनाया जा सकता है। यह इसके उपचार के लिए सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। इस डिसऑर्डर के उपचार के लिए जरूरत पड़ने पर दवाइयां से इलाज किया जाता है। साथ ही समर्थन समूह भी सहयोगी हो सकते हैं, यह ऐसे समूह होते हैं जो इस डिसऑर्डर में जूझ रहे लोगों को भावनात्मक समर्थन देते हैं। इसके अलावा एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने से इसके इलाज में मदद मिल सकती है। इसलिए प्रतिदिन सुबह और शाम व्यायाम जरूर करें और इसके साथ ही संतुलित आहार का सेवन करना भी लाभदायक रहता है।

नजरअंदाज करना आपको पढ़ सकता है भारी

                                                       

हर समय भूख लगना या भावनात्मक रूप से खाना खाना एक गंभीर संकट हो सकता है। इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें। अगर आप या आपके किसी जानने वाले को ऐसा लग रहा है कि वह खाने पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है तो वह चिकित्सक की सलाह जरूर लें। याद रखें यह केवल खाने की आदत नहीं बल्कि एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसका समय पर उपचार कराना बेहद जरूरी है। यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया जाएगा तो कई अन्य शारीरिक बीमारियां भी पैदा हो सकती है। इसलिए भूख पर नियंत्रण रखकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।