डेंगू बुखार और न्यूरोलॉजिक समस्याएं      Publish Date : 27/09/2025

                     डेंगू बुखार और न्यूरोलॉजिक समस्याएं

                                                                                                                                                                  डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

डेंगू बुखार का वाहक एंडीज एजिप्टी मच्छर बच्चों के मस्तिष्क को प्रभावित कर उनमें न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी पैदा कर सकता है। हाल ही में किए गए शोध से यह जानकारी सामने आई है कि डेंगू से संक्रमित होकर इंसेफेलाइटिस के शिकार बने बच्चों के प्राथमिक उपचार में लापरवाही यदि बढ़ती गई तो वायरल लोड बढ़ने से वायरस धीरे-धीरे मस्तिष्क में पहुंच जाता है। इससे बुखार के साथ ही यदि बच्चों को झटके भी आने लगते हैं।

वर्ष 2018-19 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती डेगू बुखार से प्रभावित बच्चे ठीक होकर घर चले गए थे, लेकिन उसके 5 साल बाद इन बच्चों के स्वास्थ्य का आकलन किया गया तो देखा गया कि कई बच्चों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इससे यह अनुमान लगाया गया कि डेगू बुखार से पीड़ित रहे बच्चों को न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी हो सकती है।

                                                                         

जापानी इंफेलाइटिस के शिकार बच्चों में दिव्यांगता की बात तो इइससे पूर्व के एक अध्ययन में सामने आ ही चुकी है। अब इस नए अध्ययन में आरएमसी ने यह जानने की कोशिश की की क्या डेगू के कारण इंसेफेलाइटिस से शिकार बच्चों में भी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ रही है।

अध्ययनकर्ता दल की अगुवाई कर रही डॉक्टर नेहा श्रीवास्तव ने वर्ष 2018-19 में डेंगू से इंसेफेलाइटिस के शिकार 56 बच्चों को अध्ययन में शामिल किया गया था। वर्ष 2023-24 में शुरू हुए इस अध्ययन के दौरान टीम ने उनके घर जाकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का आकलन किया। इनमें से 34 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ मिले, लेकिन मानसिक दिव्यंागता के चलते एक बच्चे की मृत्यु हो गई थी और 11 बच्चों में हल्की न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी पाई गई थी। इन समस्याओं के चलते उनके व्यवहार में परिवर्तन आया था।

चार बच्चों में से एक बच्चे का एक हाथ या पैर काम नहीं कर रहा था तो कुछ बच्चों को बोलने व सुनने में भी समस्याएं आ रही थी। इनमें से 6 बच्चे अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर निर्भर थे। उक्त सभी 21 बच्चों में चीजों को याद रखने की क्षमता भी कम हो गई थी। गोरखपुर और बस्ती मंडल और इससे सटे बिहार व नेपाल के कई जिलों में लंबे समय से जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस बढ़ रहा है, जबकि पिछले 7-8 वर्षों से इसका प्रकोप लगभग खत्म हो गया था।

                                                                 

प्रारंभिक दौर में इंसेफेलाइटिस का कारण जापानी इन सप्लायाइटिस वायरस पाया गया था और इसका उन्मूलन हो चुका है। इस वायरस का टीका उपलब्ध है, जो नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में भी शामिल किया जा चुका है। इस वायरस से प्रभावित बच्चों का डाटा अलग बनाया जाता है। हालांकि बाद में किए गए कुछ अध्ययनों से सामने आया है कि डेंगू, चिकनगुनिया, स्क्रब, टाइफाइड, मलेरिया एवं लैपटॉप स्प्रे की वजह से भी इंसेफेलाइटिस होता है।

इन सभी को मिलाकर एक्वाइट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम कहा गया, जिसमें शामिल जापानी इंसेफेलाइटिस के अलावा शेष अन्य वायरस बैक्टीरिया से प्रभावित बच्चों का डाटा एस के नाम से बनाया जाता है। डेंगू केवल संक्रमण तक सीमित नहीं है यह लंबे समय तक मानसिक शारीरिक और व्यावहारिक दिक्कतें भी छोड़ सकता है।

इसलिए समय पर इसको पहचान कर गहन देखभाल और पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए, तभी आप अपने बच्चों को जो डेंगू बुखार से लंबे समय तक प्रभावित रहे है उनको न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम से बचा सकते हैं।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।