घुटनों की सुरक्षा एवं देखभाल      Publish Date : 24/08/2025

                     घुटनों की सुरक्षा एवं देखभाल

                                                                                                                                               डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

उम्र बढ़ने के साथ घुटनों में अर्थराइटिस की समस्या भी बढ़ जाती है, लेकिन कुछ सुझावों पर अमल कर काफी हद तक इस समस्या से बचा जा सकता है-

ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या शरीर के जोड़ों विशेष रूप घुटनों को विकारग्रस्त कर देती है। जब यह घुटनों को विकारग्रस्त करती है, तो इसे नी ऑस्टियो अर्थराइटिस कहते हैं। लेकिन कुछ जरूरी सुझावों पर अमल कर नी ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या से किसी हद तक बचा जा सकता है।

नी ऑस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण

                                                         

  • इस समस्या ग्रस्त रोगी का चलना-फिरना और नियमित दिनचर्या के कार्यों को पूरा कर पाना कठिन हो जाता है।
  • रोगी के घुटनों में तेज दर्द होना और इसके साथ ही घुटने में सूजन आ जाना।
  • रोगी के घुटने के जोड़ों में जलन होना।
  • घुटने से कड़-कड़ की आवाज (नी-नॉइस) का आना।

नी ऑस्टियो अर्थराइटिस के कारण

  • वंशानुगत कारण।
  • सामान्य से अधिक शारीरिक वजन का होना।
  • घुटने के जोड़ पर चोट लगना या फिर जोड़ में संक्रमण होना। नी ऑस्टियो अर्थराइटिस बढ़ती उम्र की बीमारी है, परंतु संयमित जीवनचर्या से इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।

बढ़ती उम्र में ऑस्टियो नी अर्थराइटिस से बचाव के लिए नीचे दिए गए कुछ सुझावों पर अमल करने लाभ प्राप्त होता है।

  • वजन पर नियंत्रण के लिए कम वसायुक्त भोजन को वरीयता दें। बाजार में उपलब्ध जंक फूड्स जैसे पिज्जा, पेस्ट्री आदि मोटापा बढ़ाने वाली चीजों से परहेज करना चाहिए।
  • अंकुरित अनाज व उबली हुई सब्जियों का सेवन इस रोग से बचाव में विशेष रूप से लाभदायक है। यह सभी क्षारीय आहार की श्रेणी में आते हैं। क्षारीय आहार शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं।
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन डी व कैल्शियम का उचित मात्रा में सेवन करते रहना चाहिए।
  • ऊंची और सख्त एड़ी वाले जूते व सैंडल पहनने से बचना चाहिए।
  • सुबह वॉकिंग के समय ऊबड़-खाबड़ या बहुत मुलायम धरातल पर चलने का प्रयास न करें।
  • साइकिल चलाने पर घुटने के जोड़ पर उतना दबाव नहीं आता है जितना कि पैदल चलने पर। साइकिल चलाना जांघ की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए उत्तम व्यायाम है, पर चढ़ाई वाली सड़क का उपयोग न करें। साइकिल की सीट जहां तक संभव हो, ऊंची रखें। इससे घुटने पर पड़ने वाला दबाव और भी कम होता है।
  • धूम्रपान व मदिरापान आदि नशों से दूर रहना चाहिए।

जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी

                                                 

नी आस्टियो अर्थराइटिस के इलाज के लिए दर्द से राहत पाने के लिए कई दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं। रोगी को कभी भी अपनी मर्जी से कोई दर्द निवारक दवा नहीं लेनी चाहिए, इससे उन्हें नुकसान भी हो सकता है। दवा लेने के बाद शरीर के किसी अन्य हिस्से में आए बदलाव के बारे में डॉक्टर को एकदम बताना चाहिए। नी ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या होने पर जब दवाओं, फिजियोथेरेपी और व्यायाम द्वारा राहत नहीं मिल पाती है तो घुटना प्रत्यारोपण का सहारा लेना पड़ता है। यह सर्जरी व्यक्ति विशेष में रोग के आधार पर दो प्रकार से की जाती है।

जब घुटने का जोड़ पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो चुका हो तो पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण (टीकेआर) का ही विकल्प सर्वाेत्तम होता है, परंतु जब घुटने के विभिन्न हिस्सों में से केवल कोई एक हिस्सा खराब हो जाता है तो आंशिक जोड़ प्रत्यारोपण के विकल्प का चयन किया जा सकता है। जोड़ प्रत्यारोपण में रोबोटिक तकनीक के उपयोग ने घुटने के प्रत्यारोपण को अधिक सटीक बना दिया है। रोबोटिक तकनीक से होने वाली सर्जरी के उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।