आधुनिक तकनीकी के इस युग में आसानी से कराये हृदय का उपचार      Publish Date : 18/08/2025

आधुनिक तकनीकी के इस युग में आसानी से कराये हृदय का उपचार

                                                                                                                                                     डॉ. दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

आजकल भाग दौड़ की जिंदगी में लोगों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने का समय नहीं मिल पाता, जिसके चलते काफी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा हो जाती हैं, लेकिन जब अधिक तनाव और हेल्थ खराब होती है तो दिल की बीमारी भी हो सकती है। हालांकि अब इसके लिए अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सतर्क रहकर और समय पर समस्या का उपचार प्रारंभ करने से आप आसानी एवं प्रसन्नता से जीवन जी सकते है।

हृदय रोगियों को अब घबराने या भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बैलून एंजियोप्लास्टी और विभिन्न तरह के स्टेंट्स (स्प्रिंगनुमा यंत्र) के विकास के कारण इन दिनों हृदय धमनियों में अवरोध (ब्लॉकेज) को हटाने के लिए हर मामले में बाईपास सर्जरी कराने की अनिवर्याता अब समाप्त हो चुकी है।

आमतोर पर सीने में दर्द या भारीपन को लोग गैस का नाम देकर नकार देते हैं और इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। अधिकतर दिल के दौरे के आने से पहले कुछ विशेष लक्षण महूसस नहीं होते हैं। कई बार तो इसमें केवल बेचैनी होती है, सीने में दर्द भी नहीं महसूस होता है।

ऑपरेशन की जरूरत नहीं

                                                          

दिल के दौरे को टालने या दिल के दौरे के पड़ने पर मरीज की जान बचाने के लिए एक समय ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ता था, लेकिन वर्तमान में बैलून एंजियोप्लास्टी और विभिन्न तरह के स्टेंट्स के विकास के कारण अब हृदय धमनियों में बलॉकेज को हटाने के लिए हर मामले में बाईपास सर्जरी कनाने की आवश्यकता नहीं रह गई है।

ओपन हार्ट सर्जरी का भी है विकल्प

वर्तमान समय में बैलून एंजियोप्लास्टी और विभिन्न तरह के स्टेंट्स से संबंधित तकनीकों के अस्तित्व में आने के बाद अब इन्हें ओपन हार्ट सर्जरी का कारगर विकल्प भी माना जाने लगा है। मौजूदा समय में एंजियोप्लास्टी के साथ धमनियों में स्टेंट इंप्लांट का प्रयोग करना काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है। इस तकनीक को कोरोनरी भी कहते हैं। अवरुद्ध धमनी में एंजियोप्लास्टी स्टेंटिंग किया जाता है।

इस तकनीक को एंजियोप्लास्टी तकनीक की मदद से स्टेंट नामक स्प्रिंगनुमा यंत्र को ब्लॉक धमनियों के अंदर पहुंचाया जाता है और फिर अंदर इसे इसे ऑटोमेटिक छतरी की तरह खोल दिया जाता है।

आमतौर पर स्टेंटिंग एंजियोप्लास्टी का प्रयोग एक या दी धमनियों में होने वाले अवरोध को दूर करने के लिए किया जाता है। लंकिन यदि हार्ट की तीनों धमनियों में ही अयंगेध आ गया है तो इसके लिए आमतौर पर ओपन हार्ट सर्जरी (बाईपास) का सहारा ही लिया जाता है।

बाईपास में चीर-फाड़ करनी पड़ती है और अगर बाईपास के बाद फिर से अवरोध उत्पन्न हो जाए, तो उसे या तो स्टेंटिंग पंजियोप्लास्टी से ठीक किया जाता है या फिर दोबारा बाईरास भी करना पड़ सकता है, जो बहुत अधिक जोखिम भरा होता है। कुछ मरीजों की हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के अलावा डायविटीज और अन्य बीमारियां भी होती हैं। इस स्थिति में उनकी बाईपास सर्जरी में जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं।

                                              

अक्सर ऐसा देखने में आता है कि कुछ लोग बहुत ज्यादा भयभीत होने के कारण बाईपास कराना नहीं चाहते और जब कम उम्र के व्यक्तियों को भी तीनों धमनियों में ब्लॉक होने पर बाईपास कराने का सुझाव दिया जाता है, तो उनके लिए यह निर्णय लेना बहुत कठिन होता है। ऐसे हृदय रोगियों को बाईपास की सलाह दी जाती है, किंतु मैंने यह देखा है कि सर्जरी के डर से मरीज इसके लिए तैयार ही नहीं हो पाते हैं। इसलिए रोगियों की जान बचाने के लिए में स्टॅटिंग एंजियोप्लास्टी का सहारा लेना पड़ता है।

जब धमनी सौ फीसदी ब्लॉक्ड हो

कई बार जो धमनी 100 प्रतिशत तक बंद (ब्लॉक्ड) होती है, उसे खास तकनीक से खोला जाता है। जिन धमनियों में कैल्शियम जमा होता है, उन्हें डायमंड ड्रिलिंग तकनीक के के माध्यम से खोला जाता है। इस तरह उन मरीजों को जो चीर-फाड़ से डरे हुए होते हैं, उन्हें बाईपास से बचाया जाता है।

बहरायल मैं तो हृदय रोगियों को यही सलाह दूंगा कि जिन लोगों की तीनों धमनियों में अवरोध (ब्लॉकज) हैं, तो उन्हें बाईपास सर्जरी को हीे प्राथमिकत देनी चाहिए, लेकिन जो लोग बाईपास नहीं कराना चाहते, अब उन्हें भी घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि 90 प्रतिशत से अधिक मरीजों में धमनियों को स्टेटिंग एंजियोप्लास्टी के द्वारा खोला जा सकता है।

स्टेंटिंग किसी वरदान से कम नहीं

                                             

स्टॅटिंग हृदय रोगियों के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है। ऐसा देखने में आया है कि कई बार हृदय धमनी में 90 प्रतिशत से भी अधिक अवरोध होता है और इसके साथ ही साथ हार्ट अटैक भी जारी रहता है। ऐसे समय में एक अर्जेंट सिचुएशन पैदा होती है और बाईपास सर्जरी के माध्यम से कुछ ही मिनटों में मेन आर्टरी खोल दी जाती है और तैयारी करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में स्टेंटिंग से मरीज को नई एक जिंदगी मिल जाती है।

क्यों पड़ता है दिल का दौरा

दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से अधिक धमनियों में जमे वसा के थक्के (कलॉट्स) के कारण रुकावट आ जाती है। थक्कों के कारण हृदय में रक्ल का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। खून नहीं मिलने से दिल की मांसपेशियों की गति रुक जाती है। ऐसा हार्ट अटेकर दिल का दौरा), जिसके लक्षण अस्पष्ट हो या जिसका पता ही न चले, उसे साइलेंट हार्ट अटैक कहलाते हैं।

हो जाएं सचेत

  • सीने में बेचैनी और ऐठन का होना। इस दौरान सीने में दर्द भी संभव है।
  • सीने में कुछ समय तक तेज दर्द या जकडन का भी अहसास हो सकता है।
  • दर्द और बेचैनी की यह स्थिति छाती से लेकर पीड़ित व्यक्ति के कांधों, बाजुओं, दालों अथवा जबड़ों तक भी महसूस हो सकती है।
  • मरीज को पसीना आना और उसकी सांस फूलना।
  • मरीज का सिर चकराना और किसी कारण के बिना ही थकान महसूस करना।
  • उपर्युक्त लक्षणों में से किसी भी लक्षण के प्रकट होने पर अतिशीघ्र एंबुलेंस के लिए अस्पताल को फोन करें और अच्छे अस्पताल में अनुभवी हर्ट विशेषज्ञ से अविलम्ब संपर्क करने का प्रयास करें।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।