
एल्बिनिज्म रोग के प्रति जागरूकता Publish Date : 03/08/2025
एल्बिनिज्म रोग के प्रति जागरूकता
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मकेश शर्मा
‘‘एल्बिनिज्म यानी सफेद त्वचा यह कोई रोग नहीं बल्कि एक आनुवांशिक स्थिति है। अतः इससे पीड़ित को लोगों से सम्मान के साथ पेश आना हमारी जिम्मेदारी है।’’
सड़क पर चलते हुए जब आप किसी सफेद त्वचा वाले इंसान को देखते हैं तो तो कई बार उसे अनजाने में ही बार-बार मुड़कर देखने लगते हैं और उस व्यक्ति को उसकी ओर देखते हुए देखकर आप नजरे चुराने लगते हैं। ऐसे में बच्चों की मासूम जिज्ञासा भी सामने आती है कि वह ऐसा क्यों दिखते है? और अनजाने में ही चुराई गई नजरे उस व्यक्ति के मन को आहत कर देती हैं।
यह सफेद त्वचा एल्बिनिज्म है, जो कि एक आनुवाशिक स्थिति होती है और इस स्थिति में उस व्यक्ति की कोई गलती नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि आप इसके प्रति जागरूक बनें और प्रभावित व्यक्ति के साथा सम्मानपूर्वक व्यवहार करें। हमार उद्देश्य एल्बिनों के साथ होते भेदभाव को समाप्त करना और उन्हें सम्मान, सुरक्षा एवं समान अधिकार प्रदान करना है, जो कि आमजन की इसके प्रति जागरूकता से ही सम्भव हो पाएगा।
क्या है एल्बिनिज्म
मेलेनिन वह पिगमेंट है जो कि इस पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक जीवधारी में पाया जाता है। यही मेलेनिन मानव की त्वचा, बाल और आंखों को विभिन्न प्रकार की रंगत प्रदान करता है। एल्बिनों में यही मेलेनिन बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होता है या बिलकुल ही नहीं बनता है, जिसके चलते ऐसे लोगों की त्वचा अधिक गोरी, बाल सफेद या हल्का सुनहरीपन लिए और उनकी आंखें हल्की नीली या गुलाबी रंग की दिखाई देती हैं। यह एक अनुवाशिक स्थिति होती है, जो कि माता-पिता से बच्चों में जीन के माध्यम से आती है। यदि माता-पिता, दोनों की जीन में एल्बिनिज्म से सम्बन्धित कोई कमी है तो बच्चों में एल्बिनिज्म से प्रभावित होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
एल्बिनिज्म के प्रकार
एल्बिनिज्म मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। इसमें पहला है ऑकुलो क्यूटेनियस-एल्बिनिज्म, जिसके अन्तर्गत पीड़ित की त्वचा, बाल और आंखें सभी प्रभावित होते है। जबकि दूसरे प्रकार के एल्बिनिज्म यानी ऑक्यूलर एल्बिनिज्म में केवल प्रभावित व्यक्ति की आंखें ही प्रभावित होती है। इस स्थिति में प्रभावित व्यक्ति की त्वचा और उसके बालों का रंग सामान्य ही होता है अथवा परिवार के अन्य सदस्यों के जैसा ही होता है, लकिन उसकी आंखें संवेदनशील और उसमें दृष्टि से सम्बन्धित परेशानियां पाई जाती हैं।
आवश्यकता है सम्मान और सपोर्ट की
एल्बिनिज्म से पीड़ित व्यक्ति को भेदभाव नहीं अपितु स्नेह और साथ की आवश्यकता होती है। एल्बिनिज्म से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी दशा में सामान्य व्यक्ति से कमतर नहीं आंका जा सकता। ऐसे व्यक्ति आसानी से एक स्वस्थ जीवन-शैली को अपना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि वह कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखें। सबसे पहले तो वह अपनी आंखों की उचित देखभाल अवश्य ही करें। इसके लिए वह धूप में चश्मा पहनकर ही निकले और आंखों की नियमित रूप् से जांच कराते रहें।
धूप के सम्पर्क में भी कम से कम रहने का प्रयास करें और यदि धूप में जाना ही पड़ता है तो एसपीएफ-50 वाला ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करें। धूप में टोपी पहनकर निकलें। त्वचा में कोई परिवर्तन नजर आए तो अपने डॉक्टर को अवश्य ही दिखाएं और किसी भी दशा में आपने मनोबल को नहीं गिरने दें।
प्रभावित के मनोभावों को समझें
अभी तक एल्बिनिज्म का कोई स्थाई उपचार उपलब्ध नहीं है, चूंकि यह एक अनुवाशिक स्थिति होती है, जाम जन्म से शुरू होकर जीवन के अंत तक बनी रहती है। हालांकि एल्बिनिज्म से सम्बन्धित समस्याओं का प्रबन्धन वर्तमान समय में किया जाना सम्भव हो गया है, जैसे कि आंखों की कमजोरी के लिए विशेष लेंस का उपयोग करना और त्वचा के बचाव के लिए सनस्क्रीन, टोपी तथा समय-समय पर नेत्र एवं त्वचा रोग विशेषज्ञ से जांच करवाना। एल्बिनिज्म से पीड़ित व्यक्ति एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, यदि उसे उचित देखभाल, सपोर्ट और समाज में सम्मानजनक व्यवहार प्राप्त हो, जो कि एल्बिनिज्म के प्रति आमजन में जागरूकता से ही सम्भव है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।